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नंदा की चिंता-13

नंदा की चिंता-13

Uk न्यूज़ नेटवर्क के सभी पाठको को नमस्कार। Uk न्यूज़ नेटवर्क टीम की यही कोशिश है कि सामाजिक रूप से जागरूक किया जाए और कुरीतियों पर प्रहार किया जाये। इसी कड़ी में महावीर सिंह जगवाण द्वारा रचित ‘नंदा की चिंता’ आपके बीच ला रहे हैं।

महाबीर सिंह जगवाण

नंदा द्वारा बनाई गई पेंटिंग से रूकमणी अचंभित है,तभी नंदा कहती है दीदी अब तो वादा पूरा करो,रूकमणी कहती है पक्का,थोड़ा इंतजार करो,जल्दी से रूकमणी अंदर से दो लकड़ी की कुर्सियां आंगन मे ले आती है,उनके सम्मुख मेज उसके ऊपर ब्रह्मकमल और वर्फ से सजे चाँदी सदृश मनमोहक चौखंबा के प्रिंट से सँवरा जो नंदा की बीच वाली बहिन ने बनायी है उस बेहतरीन टेबल क्लाॅथ को उसमे प्यांर से फैलाती है,और जल्दी जल्दी ताँबे के लौठे पर पानी और दो गिलास कुर्सिंयों के सम्मुख रखती है,दौड़कर अंदर जाती है,दोनो कुर्सिंयों के सम्मुख दो नेम प्लेट रखती है ,जिसमे एक पर जिलाधिकारी और दूसरे पर मुख्य अतिथि लिखा है,नंदा की बनाई पेंटिंग

को ठीक इस टेबल के पीछे दीवाल पर लगाती है और ठीक सामने दूसरी ओर दीवार पर दादा जी एक श्वेत श्याम फोटो जिसपर दादा जी सेब से लकदक पेड़ के संग खड़े हैं ,सिर पर काली टोपी,और ब्रस्टड कलर वूल पेंट और लाइट ग्रे शर्ट उसके ऊपर चटख सफेद भेड़ की ऊन का बना दौखा (ऊंनी मोटा लोंग जैकट नुमा पारंपरिक वस्त्र)और सुहावना मौसम युक्त फोटो पर आज भी दादा जी की छवि रौनक विखेर रही है,फिर नंदा से रूकमणी कहती है आप जिलाधिकारी वाली कुर्सी मे बैठ जाऔ और नैना को मुख्य अतिथि नेम प्लेट वाली कुर्सी मे बैठने को कहती है।तभी दादी जी और माँ जी भी पहुँच जाती हैं ,तभी नंदा इशारा करती है चुप रहो,और रूकमणी अंदर से दो कुर्सी लेकर आती है और माँ जी और दादी जी को उसमे प्यांर से बैठाती है और सभी से कहती है ध्यान से सुनना ,नंदा और नैना को मेरे भाषण पर समीक्षा भी देनी है ,इसलिये आप दोनो की कुर्सियों के सम्मुख पैन और काॅपी रखी है।रूकमणी पहले दादा जी की फोटो की ओर देखती है और अंतस से प्रणाम करती है,फिर नंदा की पेंटिंग की ओर देखकर गंभीर होती है ,फिर स्नैह से दादी जी और माँ जी की ओर देखकर और सम्मुख कुर्सी पर बैठी नंदा और नैना की ओर मंद मुसकारकर संबोधन की शुरूआत करती है ,सामने छत और डाल पर गौरय्या बैठी हैं जो आज के इस आयोजन की साक्षी हैं।नंदा और नैना धैर्य से बैठे हैं और गंभीर मुद्रा मे दीदी रूकमणी को सुनने को ।रूकमणी की शुरूआत,

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सम्मानीय मुख्य अतिथि जी,जिलाधिकारी महोदय ,मातृ शक्ति और युवा साथियों आज का चयनित विषय ‘उत्तराखंड पर्वतीय राज्य संभावना और शुरूआत’तात्कालिक संदर्भ मे अति महत्वपूर्ण और उपयोगी है,निश्चित रूप से आज हम उन सुझावों तक पहुँचने की ईमानदार कोशिष करेंगे जिनसे आने वाले समय मे नहीं बल्कि आज से ही शुरूआत होगी,बहुत तेजी से अमल करने के पीछे सभी जानते हैं हमने राज्य को उस चौराहे पर खड़ा कर दिया है,जहाँ राज्य प्राप्ति की मंशा ही धूमिल हो गई है,कोई कुछ भी कहे या स्थितियाँ कितनी भी विकट हों ,संभावनायें सदैव अमर रहती हैं,जरूरत है बिना समय गवाँये उन बिन्दुऔं पर अमल करने की जो अनियोजन की परिणति फैले घावों पर मरहम का काम करे और शुरूआत हो हर हाथ को काम मिलने की ,प्रतिभाऔं को अवसर उपलब्ध हों ,नींव के पत्थर इतनी सतर्कता और तकनीकी से रखे जायें ताकि खुशहाल और समृद्ध हो भविष्य।

उपस्थित विद्वत साथियो,भारत में पावन नदी गोदावरी के तट से लगा है खूब सूरत राज्य तेलंगाना,गोदावरी नदी समुद्र तल से 100मीटर ऊपर बहती है जबकि तेलंगाना राज्य गोदावरी से 300मीटर से 650मीटर की ऊँचाई पर स्थित है,इस स्थिति मे सदाबहार बहने वाली गोदावरी न तो तेलंगाना के नागरिकों की प्यास बुझा पाती है और न ही तेलंगाना की धरती को सिंचित कर पाती है,तेलंगाना मे सत्तारूढ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टी आर एस )सरकार के मुखिया ,के चंद्रशेखर राव के विजन और संकल्प को देखिये समझिये,उन्होने कालेश्वरम परियोजना के की परिकल्पना को जमीन पर उतारकर यह सिद्ध करने की कोशिष की दुनियां मे यदि ईश्वर सबसे शक्तिशाली है तो निश्चित सरकारें भी समकक्ष ही शक्तिशाली होती हैं,यह परियोजना जो चंद दिनो मे ही बनकर तैयार होने वाली है ,आप यह जानकर आश्चर्य करेंगे यह दुनियां की सबसे बड़ी सिंचाई और वाटर लिफ्टिंग परियोजना है,गोदावरी नदी का पानी एक सुरंग के जरिये,जमीन के 330मीटर नीचे एकत्रित किया जायेगा,जमीन के अंदर 400किलोवाट के ट्रांसफार्मर स्थापित कर ,139मेगावाट क्षमता के विशाल पंप प्रत्येक दिन 2000मिलियन क्यूबिक फीट पानी उठाना शुरू कर देगी,इसके तहत 15किलोमीटर लंबी सुरंग के जरिए गोदावरी का पानी मेडिगड्डा बैराज पहुँचेगा,37•8लाख एकड़ जमीन सिंचित करने का लक्ष्य है,इसके जरिये राज्य के किसान दो फसलों की बुआई मे सक्षम होंगे,तेलंगाना,पर्यटन और मछली उत्पादन मे नंबर वन राज्य बन जायेगा,तेलंगाना मे पुराने और नये 20 जलाशयों तक यह पानी पहुँचेगा,सात परियोजनाऔं और आठ पैकेजों मे विभाजित कालेश्वरम परियोजना तेलंगाना आर्थिक शक्ति से सम्मन्न राज्य बन जायेगा।

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यह सरकार की दृढ इच्छा शक्ति,अभियान्त्रिकी तकनीकी का कमाल और लाखों किसानो की उम्मीद को नई रोशनी है साथ ही विश्व रिकार्ड की ओर बढता कदम भी,लागत 80 हजार करोड़ से ऊपर की ऐतिहासिक परियोजना जिसका उद्देश्य राज्य के हर नागरिक तक स्वच्छ पेय जल ,हर खेत को पानी,पुराने और नये जलाशयों के समृद्ध जल भंडार,जो पर्यटन को आकर्शित करेंगे साथ ही जल आधारित रोजगार की संभावनाऔं को सफलता पूर्वक साकार करेंगे,विद्वत जनो आप सोच रहे होंगे इस संदर्भ को लेने की क्या जरूरत,जरूरत थी विदर्भ के बाद तेलंगाना वह राज्य है जहाँ सबसे अधिक किसान आत्महत्या करते हैं,जिसका बड़ा कारण सूखे की वजह से खेती का बर्बाद होना ,भूमिगत जल मे आर्सेनिक और फ्लोराइड की अधिकता से खेतों की उर्वरा शक्ति और नागरिकों मे बढती बीमारियाँ,औद्योगिक इकाइयों को अपर्याप्त जल ,रोजगार के नये क्षेत्रों कि संकल्प इन सबका समाधान है कालेश्वरम परियोजना,जो राज्य02जून 2014को बनता है और 2018मे वह तोहफा राज्य को देता है जिसकी अनदेखी की वजह से नये राज्य की जरूरत पड़ी थी,जो सवाल सबसे बड़ा था उसके समाधान की कोशिष भी ऐतिहासिक विश्व स्तरीय और विश्व रिकार्ड के साथ ,इसे कहते हैं

जनता के प्रति सरकार की जबाबदेही,और ईश्वर सदृश जनकल्याण के लिये बढते कदम।विद्वत जनो आप औसतन सभी विकसित देशों को देखिये,विकास और हर सवाल का पहला समाधान है पर्याप्त जल,उत्तराखंड की उत्पति के पीछे भी एक ही सवाल के समाधान की चिंता थी, रोजगार की आस,हर हाथ को उसकी योग्यतानुसार काम मिले,लोग अपने विकट और दुरूह जीवन को सहजता से जी सकें,हमे तो आज भी जो सबसे बड़ी आस दिखती है हर सवाल के समाधान मे वह है हर घर तक स्वच्छ जल,हर खेत तक पानी,हर खाल ताल जल से लबालब भरे हों,जो पर्यटन और जल आधारित रोजगार की आस बढाये,आज भी यदि उत्तराखंड के सौ सवाल वहीं पर खड़े हैं जिस जगह पर इस राज्य की नींव रखी गई ,तो अस्सी सवालों का समाधान पानी मे है,इस राज्य के भाग्य विधाताऔं ने पानी का मोल नहीं पहिचाना उनकी आँखों पर जो चश्मा चढा है सिर्फ और सिर्फ उन्हें पानी से बिजली बनती दिखती है,वह भी कंपनियों के भरोसे,जिनसे मोटी चाँदी तो कटती ही है,साथ ही जलीय जीवन और पर्यावरण के बढते हैं संकट, तेलंगाना गोदावरी का पानी 650मीटर ऊपर पहुँचा रहा है और उत्तराखंड की नदी के उदगम उत्तराखंड की बसासत और कृषि एवं वन भूमि से 200 सौ मीटर से 3500मीटर की ऊँचाई पर हैं,उत्तराखंड मे ऊपर से नीचे जल बह रहा है,यदि इसके प्रबंधन का संकल्प ऊँचा हो तो निश्चित रूप से समृद्धि के द्वार खुल सकते हैं,हम टनल और नहरों मे बिना लिफ्ट के पानी दौड़ाने मे सक्षम होंगे,लिफ्ट मे ब्यय विद्युत की बचत होगी और अतिरिक्त जल हजारों लघु जलविद्युत परियोजनायें आकार लेंगी,टिहरी बाँध जैसे माॅडल की भूख शांत होगी,पंचेश्वर बाँध से मुक्ति मिलेगी,छोटे अनगिनत नहरें इनसे कई गुना अधिक बिजली और रोजगार देने मे सक्षम होंगी।

आज पहाड़ों पर सत्तर फीसदी आबादी जल संकट से जूझ रही है जिनकी बड़ी जरूरत पीने का पानी है,नब्बे फीसदी खेत असिंचित हैं,हर साल साठ से अस्सी फीसदी वन जलते हैं यदि ऊँची चोटी पर बहता पानी होगा तो मुक्ति मिलेगी वनाग्नि से,बंजर और असिंचित खेतों तक पहुँच यदि पानी की होगी तो अवसरों की बाढ आ जायेगी,पीने का स्वच्छ और हर पल उपलब्ध जल खंडहरों मे तब्दील गाँवो के लिये फिर से रौनक लौटाने हेतु ऑक्सीजन का काम करेगा,फिर देखना हजारों नयें रिजर वायर ताल सरोवरों से युक्त यह हिमालयी राज्य पर्यटन मे कहाँ फिनलैंड पिछे होता,पहाड़ी ढलानो पर छोटे छोटे वन विकसित होते कंटूर तकनीकी से ,इनके मध्य स्थानीय चारापत्ती,जड़ी बूटी और आर्थिकी के अवसर विकसित होते,उद्यानिकी मे इस्राइल हार्टिकल्चर तकनीकी का प्रयोग होगा, हिमांचल से भी अब्बल प्रगति दिखा सकते हैं,

समय रहते हम ठोस जल नीति बना पाये,बहते जल का चालीस फीसदी जल प्रबंधन का तरीका विकसित करने मे हम सफल हुये तो यह उत्तराखंड के पचास प्रतिशत लोंगो को रोजगार देने मे कामयाब माॅडल होगा,उत्तराखंड के पाॅलिसी मेकर को,थिंक टैंक ,जागरूक समाज को रूटीन बाधाऔं और अड़चनो के समाधान के लिये बड़ी और मजबूत लाइन खीचने की जरूरत है,हम उन विकल्पों की ओर बढने के लिये आज भी दिली और वजनदार कोशिष से कोषों पीछे हैं,

नंदा उठकर जोर से ताली बजाती है और सैल्यूट करती है दीदी रूकमणी को,साथ ही नैना और दादी जी के संग नंदा की माँ का चेहरा खिलता है और वह अपनी बेटी की ओर गर्व से देखती हैं,नंदा कहती है,मुझे गर्व है मै रूकमणी की छोटी बहिन हूँ,काश कल होने वाले ब्याख्यान मे मेरी दीदी की बात को सभी अच्छी तरह समझ जायें तो सौ फीसदी नंदा की चिंता दूर होने की संभावना है।
क्रमश:जारी

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