नंदा की चिंता-7
Uk न्यूज़ नेटवर्क के सभी पाठको को नमस्कार। Uk न्यूज़ नेटवर्क टीम की यही कोशिश है कि सामाजिक रूप से जागरूक किया जाए और कुरीतियों पर प्रहार किया जाये। इसी कड़ी में महावीर सिंह जगवाण द्वारा रचित ‘नंदा की चिंता’ आपके बीच ला रहे हैं।
महाबीर सिंह जगवाण
नंदा और नैना बस घर पहुँचने ही वाले तभी उनके सामने से सुँवरों की बड़ी टोली गुजरी जिनके पीछे पीछे दो तेंदुऐ दौड़ रहे थे,नंदा और नैना की एक पल के लिये तो सांस ही रूक गई ,नंदा कहती है दीदी नैना घबराऔ मत यह तो आम बात हो गई,नैना बोली नंदा हम जंगल मे घूम रहे हैं या गाँव मे ,यह तो बड़ा खतरा हो गया है,नंदा कहती है दादा जी कहते थे दो तीन दशक से कुछ अधिक ही हो गया है,जंगलों मे अब शिकार घट गया है और जंगल के सभी जानवर गाँव की ओर लपक रहे हैं,सुवरों का आतंक तो इतना बढ गया वह किसी भी फसल को रौंद डालते हैं,सुँवरों के बढने का बड़ा कारण शियार (लोमड़ी)का विलुप्त होना भी है,दादा जी कहते थे,कुदरत की जो भी रचनायें हैं उनका आपस मे ही संतुलन बनाने का दुर्लभ पारिस्थिकी तंत्र है,सुँवर काफी बच्चों को जन्म देता है और इनमे से अधिकाधिक शियार के निवाले बन जाते थे लेकिन अब तो शियार नहीं है इनकी बेलगाम तादाद इतनी बढ गई है ,पहाड़ की अस्सी फीसदी खेती यह बर्बाद कर रहे हैं,
जंगलों मे हर साल हजारों हैक्टेअर जंगल जलकर राख हो रहे हैं परिणति वन्य जीव या तो जलकर स्वाहा हो रहे हैं या घायल और बीमार,छोटे शाकाहारी जीवों की घटती शंख्या वन की सत्ता पर काबिज मांसाहारी जीवों के लिये बड़ा संकट का वातावरण बन रहा है,कमजोर और बीमारू मांसाहारी जीव गाँवों की ओर बढ रहा है जहाँ वह घरेलू पशुऔं,बच्चों और चारा लेने जंगल गई महिलाऔं पर प्राणघातक हमला कर रहा है।नैना थोड़ा भय भीत होती है लेकिन नंदा के साहस के सम्मुख वह खुद को भी ढाँढस देती है,नैना कहती है वाकई गाँव का जीवन जोखिम से युक्त तो है ही,नंदा कहती है हाँ गाँव मे रहने के लिये साहस जरूरी है,मेरे दादा जी ने सरकार को चिट्ठी लिखी थी,हमे फसलों का बीमा चाहिये और जान माल की गारन्टी,सरकार का जबाब आया फसल बीमा योजना शुरू हो चुकी है और जान माल के संदर्भ मे हम कोशिष करेंगे ,आज तक न तो बीमा गाँव के खेतों तक पहुँचा और तब से अगल बगल के कई गाँवों मे लोग जान माल का बड़ा नुकसान झेल चुके हैं ,घरेलू पशुऔं पर खतरा मण्डराता रहता है,पहले लोग सुबह घरेलू पशु गाय भैंस बैल को जंगल छोड़ देते थे और सायं को लेने जाते थे या वह अपने आप घर आ जाते थे ,लेकिन अब तो बाघ तेंदुऐ के खतरे से यह सिलसिला बंद ही हो गया,वैसे भी जो लोग पलायन कर गये हैं उनके खंडहरों मे इन सभी खतरों का डेरा बना ही रखा है।
एक बार गाँव मे महाकाल के मंदिर मे बड़ा आयोजन था सभी प्रवासी आ रखे थे ,कुछ के तो अब रहने लायक भी नहीं हैं,दादा जी ने इतने लोंगो के रहने के लिये लकड़ी की बल्लियों से टैंट बनवाये थे, सभी लोग मैदान से अपने लिये बिस्तर और कपड़े के तिरपाल लेकर आये थे।तब इन लोंगो के सम्मुख दादा जी ने प्रस्ताव रखा था,आप सबके मकान खंडहर हो गये हैं,इन्हें तोड़कर इनके पत्थर एक जगह पर सहेज कर रख लें ताकि खण्डहरों से गाँव को मुक्ति मिल जाय और बच्चे खेलते हैं उनके लिये भी खतरा बना रहता है।इन खंडहरों मे सांप,अजगर,सुँवर ,तेंदुऔं का डेरा बना रखा होता है।यदि यह खंडहर हटा लिये जायेंगे तो गाँव भी सुन्दर दिखेगा और सुरक्षित भी रहेगा।दादा जी ने एक और प्रस्ताव दिया था,आप लोग अब लगभग मैदान मे बस चुके हैं ,अधिकतर के दो तीन जगह जमीन और मकान हैं अब गाँव मे प्रत्येक परिवार अलग अलग मकान बनायेगा तो उसकी हेरदेख भी मुश्किल होगी और लागत भी अधिक।
इसलिये मिलजुलकर सभी सुविधाऔं से युक्त चार पाँच बड़े कमरों का एक सामुहिक मकान बनाना चाहिये,जिसे भी जब भी मौका मिलता है गाँव आकर इसमे रह सकता है,इसकी लागत भी सभी मिलकर अदा करेंगे तो प्रत्येक के हिस्से कम ही आयेगी साथ ही यह सामुहिक घर गाँव की रौनक मे चार चाँद लगा देगा,सुना है दिल्ली और मुम्बई मे रहने वलों मे सहमति है जबकि लंदन और आस्ट्रेलिया रह रहे हमारे गाँव के लोग कह रहे हैं इसका ब्यय हम उठायेंगे।सभी कहते हैं नंदा तेरे दादा जी की कृपा से हम सब ठीक हो गये लेकिन उनकी सेवा का सौभाग्य नहीं मिल पाया अब बस एक ही तमन्ना है उनके सपनों का गाँव हम बनायेंगे,इन सभी विषयों पर एक कमेटी बनी है उसकी अध्यक्षा मेरी दादी जी हैं।नैना अचंभित है हम गाँव से दून पहुँचकर गाँव भूल गये और इस गाँव के लोग लंदन पहुँचकर भी अपनी जड़ों से जुड़े हैं ,नैना कहती है नंदा जानती है यह सब तेरे दादा जी की दूरदृष्टि का परिणाम है।
नंदा कहती है मेरे दादा जी को सभी बहुत सम्मान देते थे,उनके उपकार ब्यवहार और विजन से इतने प्रभावित थे विदेश मे रहने वाले हों या देश के कोने कोने मे रहने वाले हों सभी उनका सम्मान करते थे,दादा जी को कई बार उन लोंगो ने कहा आप सपरिवार हमारे साथ गाँव छोड़कर चलिये,आपकी सोच का गाँव मे उपयोग नहीं हो सकता ,गाँव के एक छोटे दादा जी ने उन्हें सपरिवार लंदन मे रहने के लिये आमंत्रित किया था ,दादा जी का एक ही जबाब था,इस देश को आजादी मिली है उसके खातिर लोंगो ने अपना सर्वश्य न्यौछावर किया,अब बारी है भारत और भारत के गाँवो के विकास की और हम सब इन गाँवों और देश को छोड़कर चले जायेंगे तो, फिर किसके लिये किसके द्वाराऔर कौन भारत की तरक्की मे अपना छोटा छोटा योगदान देगा ,नंदा की बात सुनकर नैना हैरान थी,फिर नंदा कहती है जब भी विदेश से वो सब गाँव आते थे दादा जी को देखकर चिंतित होते थे,कहते थे भाई साहब आपके पास जो हुनर था ,जो ईश्वरीय शक्ति थी काश इस देश मे आपकी कद्र होती तो सायद हमे रोजगार और औहदे की ढूँढ विदेश न जाना पड़ता ,हम देखते हैं भारत के शहर हो या विदेश मे अभी भी आधे से अधिक लोग बहुत छोटी नौकरी करते हैं ,
जिसमे उनका जीवन ,जीवन भर काम करने के वावजूद भी दीन ही रहता है।और आप जैसे विलक्षण ब्यक्तित्व के धनी मौन रहकर कड़वा घूट पी रहे हैं,दादा जी कहते थे,ऐसा नहीं मैं अपने पाँवों पर खड़ा हूँ,जितनी मेहनत करता हूँ उसका फल मुझे मिल जाता है,मै संतुष्ट हूँ ,मुझे गौरव है मेरे से इस जीवन मे जितना भी संभव था वह देश गाँव और परिवार के लिये सम्मान सहित किया।अब मेरी पूँजी मेरी तीन नातिन हैं जो मै न कर सका उस मेरे सपनों के गाँव और देश के लिये यह तीन देवियाँ करेंगी,मेरे से ज्ञान विज्ञान और अनुभव मे यह इक्कीस साबित होंगी मुझे गर्व है मै अपनी सोच के तीन भारतीय नागरिक राष्ट्र को सौंप रहा हूँ,सभी दादा जी की बातें सुनकर गौरव महसूस करते थे और उनकी आँखे सम्मान से छलकती थी,वह कहते थे हम सब आपके सपनो को सदैव अमर रखेंगे,आपकी विरासत हम सबके लिये धरती पर सबसे बड़ा खजाना है इसे हमारी पीढियाँ भी सहेजेंगी ।नंदा यह सब कहकर थोड़ा भावुक होती है तभी बड़ी दीदी की आवाज आती है नंदा,नैना तुम ठीक तो हैं ,गाँव मे हल्ला हो रहा है ,तेदुऔं और सुवरों ने आतंक मचा रखा है,नंदा और नैना जबाब देती हैं हाँ हम सब ठीक हैं बस घर पहुँच चुके हैं।
घर पहुँचते ही एक बुरी खबर से सभी रूबरू होते हैं ,रामू दूर देश नौकरी करने जा रखा है उसके तीन बच्चे गाँव मे नंदा के घर पर आ रखे हैं और नंदा की दीदी रूकमणी कहती है नंदा रामू चाचा के घर पर जाऔ और बिजली का मैन स्विच बंद करना और ताला लगाकर आ जाना,नंदा रामू चाचा के घर से ताला लगाकर आती है,और दीदी से पूछती है,दीदी क्या बात है,दीदी रूकमणी कहती है राम चाचा की पत्नी आज भीमल के पेड़ पर चारा काटने के लिये गई थी अचानक गिर और पाँव दो तीन जगह टूट रखा है साथ ही खोपड़ी पर चोट लगी है।नंदा ने कहा दादीजी भी तो घर में मैदा की लकड़ी से टूटी हड्डी जोड़ती है ,दादी जी ने कहा नंदा पाँव की हड्डी तीन जगह टूटी है और खोपड़ी पर भी चोट है
इसलिये अधिक देर तक गाँव मे रोकना ठीक नहीं था ,हमने गाँव के चार लड़के और तेरी माँ ने पचिस हजार रखे हैं और उनको लेकर शहर के अस्पताल चले गये हैं ,रूकमणी कहती है माँ को एटीएम कार्ड और रामू चाचा का बीपीएल कार्ड भी दिया है,नंदा कहती है दीदी चाची को कैसे ले गये,दीदी रूकमणी कहती है जिस लकड़ी की चारपाई पर आप सोती थी उसी को उल्टा कर उसमे चाची को लिटाकर ले गये।नैना नंदा से कहती है चाची पेड़ पर क्यों गई थी।नंदा कहती है दुधारू जानवरों के लिये भीमल का चारा अधिक पौष्टिक होता है ,इन टहनियों से हरे पत्ते पशु बड़े चाव से खाते हैं और इनकी टहनियों से रेशा निकलता है जो घरेलू जरूरत की रस्सियाँ बनती हैं।और इन कच्ची टहनियों को कूठकर सैंपो की तरह बाल भी धो सकते हैं,तीन दिन तक रामू चाचा के तीनो बच्चों की रेखदेख नंदा के घर पर ही होती है,
नंदा की माँ चाची के साथ जा रखी है ,माँ के सभी क्रियाकलाप नंदा की सबसे बड़ी दीदी निभा रही है,रात को नैना कहती है नंदा क्या इस समस्या का भी दादा जी के पास समाधान था,नंदा कहती है ,हाँ दादा जी ने गाँव के सभी चारा पत्ती वाले पौधों को बहुत बड़ा बढाने से रोक रखा था ,दादाजी कहते थे जब भी इन चारा वाले पौंधों से चारा निकालें उस समय चारे के साथ बड़ी टहनी काटें ताकि पेड़ अधिक ऊँचा भी न हो और पेड़ से अधिक चारा भी मिलेगा और चारा काटने मे सुविधा और सुरक्षा रहेगी,यह सब सिखाने के लिये हमारे जितने भी चारे के पौधे हैं ,भीमल,कचनार,सुबबूल,अंजीर सभी तीन से पाँच फिट तक ही हैं हम उन्हें बढने नहीं देते जबकि सबसे ऊँचे वृक्ष से भी अधिक चारा प्राप्त होता है,दादा जी कहते थे हर दिन पहाड़ों मे एक से बीस महिलायें चारे की वजह से पेड़ से या जंगल से गिरती है जिनमे आधी महिलायें तो मौत के ग्रास मे चली जाती हैं क्योंकि उन्हें समय पर इलाज नही मिलता वाकी बची बीस फीसदी जीवन भर के लिये अस्वस्थ हो जाती हैं जबकि तीस फीसदी ही स्वस्थ होकर लौटती हैं।नैना को भी चिंता है नंदा की चाची कैसे होगी,नंदा को विश्वास है रामू चाचा की पत्नी ठीक ही होंगी,सुबह नंदा की माँ और गाँव के दो लड़के गाँव लौटते हैं,सभी को चिंता होती है सभी पूछते हैं उनका स्वास्थ्य कैसा है,
नंदा की माँ धैर्य से कहती है तुम्हारी चाची की तबियत सौ फीसदी ठीक है,नंदा उत्सुकता से कहती माँ जी क्या ब्लाॅक वाले अस्पताल मे है चाची ,नंदा की माँ कहती है पहले तो गाँव से सड़क तक पहुँचना ही इतना मुश्किल था बड़ी मसक्कत से सड़क तक पहुँचे,फिर गाँव की गाड़ी से ब्लाॅक अस्पताल गये उनका जबाब था यहाँ हड्डी वाला डाॅक्टर नहीं है तुम जिला चिकित्सालय जाऔ,वहाँ से जिला चिकित्सालय पहुँचे वहाँ अटेंडेट सो रखा था,उसने शराब पी रखी थी उसे कहा डाॅक्टर को बुलाऔ वह ह्वीं ह्वीं कर रहा था हम परेशानी मे थे ,मुझे गुस्सा आ रहा था जोर से चिल्लाई वह फिर ह्वीं ह्वीं कर रहा था,फिर जोर से एक तमाचा उसकी गाल पर मारा वह दौड़कर डाॅक्टर साहब को उठाने गया,डाॅक्टर साहब आराम से आ रहे थे,
उन्होने कहाँ खोपड़ी पर भी चोट है और यहाँ हड्डी का डाॅक्टर तो छुट्टी पर है,हल्की फुलकी पट्टी बाँधी और यह कहकर वापस चले गया मेडिकल काॅलेज चले जाऔ,हमने कहा एम्बुलेंस उसने कहा उसको मत ले जाना वह बहुत शराबी है,फिर मेडिकल काॅलेज पहुँचे,उन्होने कहा यदि आप लोग खर्च कर सकते हो तो देहरादून ले जाऔ,दून पहुँचकर प्राइवेट अस्पताल मे पहुँचे उसने सभी चैकअप टैस्ट कर चालीस हजार का बिल बनाया कहा सब कुछ ठीक है पाँव पर तीन जगह मांस फटा है गर्म पट्टी बाँधकर तर दवाई खाकर आराम करो चाहो तो घर चले जाऔ और पंद्रह हजार की दवाई दी ,तुम्हारी चाची अपने भाई के कमरे मे है,वह सात दिन बाद डाॅक्टर को दिखाकर गाँव लौटेगी,हाँ गाँव की गाड़ी वाले को पंद्रह हजार देने हैं वह तीन दिन से हमारे साथ था उसने बड़ी मदद की,रूकमणी पंद्रह हजार देकर लौटती है और माँ से कहती है उसने केवल दस हजार रूपये ही लिये बाकी लौटा दिये।नैना नंदा से कहती है सरकार लाखों करोंड़ो रूपये इलाज के लिये खर्च कर रही है और आम जनता को इलाज इतने महँगे मे इतनी दूर से खरीदना पड़ता है,नंदा कहती है दादा जी को इस बात की बड़ी चिंता रहती थी पहाड़ियों के लिये आज भी स्वास्थ्य सुविधायें नहीं हैं।नंदा कहती है सरकार बड़ी बड़ी बिल्डिंग बना रही है ,करोड़ों की दवाई और मशीने खरीद रही है और सालों से कहती है डाॅक्टर आ रहे हैं ,आखिर इतना सौतेला ब्यवहार क्यों कब तक।
क्रमश:जारी
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