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गंगा किनारे मिलीं सैकड़ों लाशें, परिजन बोले- अंतिम संस्कार के पैसे नहीं थे..

गंगा किनारे मिलीं सैकड़ों लाशें, परिजन बोले- अंतिम संस्कार के पैसे नहीं थे..

देश-विदेश: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली और उनके गृह जनपद प्रयागराज से बड़ी खबर सामने आ रही है। यहां भी कानपुर, कन्नौज, गाजीपुर, उन्नाव, और बलिया की तरह गंगा किनारे सैकड़ों की संख्या में दफन लाशें मिलीं हैं। दोनों जगह जब मीडिया ने पहुंच कर परिजनों से इस बारे में पूछा तो परिजनों ने कहा कि अंतिम संस्कार के पैसे नहीं थे इसलिए दफन कर दिया। रायबरेली में गेगासो गंगा घाट पर रेत में करीब 200 से ज्यादा शवों को देखकर ग्रामीण सहम गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इन लाशों को अब कुत्ते नोच रहे हैं। ये लाशें पिछले एक महीने के अंदर ही यहां दफन की गई हैं। हालांकि, जब मीडिया ने एडीएम प्रशासन राम अभिलाष से सवाल किया तो उन्होंने इसका खंडन किया।

 

प्रयागराज में भी बड़ी संख्या में दफन शव मिले..

प्रयागराज के फाफामऊ गंगा घाट के किनारे भी बड़ी संख्या में दफन शव मिले। आस-पास के लोगों का कहना है। कि हर दिन करीब 15 से 20 शवों को यहां दफनाया जा रहा है। घाट किनारे शव को दफन करने आए एक शख्स ने कहा कि महंगी लकड़ी व दाह संस्कार के खर्च का बोझ नहीं उठा सकते हैं इसलिए शव को यहीं दफन करके जा रहे हैं। मां गंगा इन्हें मुक्ति दे देंगी। घाट के किनारे करीब 150 से ज्यादा शव दफन हैं।

 

मीडिया की रिपोर्ट में 2 हजार से ज्यादा लाशों का खुला राज..

मीडिया ने शुक्रवार को ही उत्तर प्रदेश के 27 जिलों की रिपोर्ट से ग्राउंड रिपोर्ट करवाई। जहां 30 रिपोर्टर्स ने खुद हालात का जायजा लिया। जिससे मालूम चला कि बिजनौर से उत्तर प्रदेश में दाखिल होने वाली गंगा मां के किनारे बलिया तक 2 हजार से ज्यादा लाशें पिछले कुछ दिनों में मिल चुकी हैं।

 

श्मशानों पर लकड़ी के दामों में इजाफा..

कोरोना में मौतों की संख्या बढ़ने के चलते श्मशान घाटों पर लकड़ी के दामों में इजाफा देखने को मिला है। सामान्य दिनों में जहां लकड़ी 1000 रुपए क्विंटल बिकती थी, वहीं अब मनमाना रेट वसूला जा रहा है। नाम न जाहिर करने की शर्त पर प्रयागराज के फाफामऊ घाट पर दाह-संस्कार की सामग्री बेचने वाले एक शख्स का कहना हैं कि इस बार तो लकड़ी 1500 से 1800 रुपए प्रति क्विंटल बिक रही है।

 

अभी शवदाह के लिए करीब 12 हजार तक खर्च हो रहे हैं। ऐसे जो गरीब परिवार अपने परिजनों के इलाज में पहले ही टूट चुके हैं, उनके लिए दाह-संस्कार में और पैसे खर्च कर पाना संभव नहीं हो पा रहा हैं। जिसके चलते वे गंगा में जहां कहीं जगह मिली शव दफना रहे हैं।

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