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अन्नकूट मेले पर मां भगवती की देवरा यात्रा पहुंचेंगी केदारनाथ धाम….

अन्नकूट मेले पर मां भगवती की देवरा यात्रा पहुंचेंगी केदारनाथ धाम….

रक्षाबंधन की पूर्व संध्या पर होगा महादेवी का महादेव से मिलन..

परम्परानुसार हर 6 साल के अंतराल के बाद मां भगवती की होती है देवरा यात्रा..

केदारघाटी में क्षेत्र भ्रमण कर भक्तों को दे रही है मां आशीर्वाद..

अन्नकूट मेले की परंपरा सदियों से चली आ रही है..

 

 

 

 

 

 

 

उत्तराखंड: रविवार 10 जुलाई को आषाढ़ शुक्ल एकादशी के शुभ अवसर पर केदारघाटी के फेगू स्थित मां भगवती की देवरा यात्रा मुख्य मंदिर के गर्भ गृह से भंडार गृह में आने के साथ ही विशेष पूजा अर्चना एवं वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ प्रारंभ हो गई है। देवरा यात्रा कार्यक्रम 10 जुलाई से शुरू होकर 25 अगस्त तक चलेगा। 25 अगस्त को माँ दुर्गा की डोली देवरा यात्रा को पूरी करने के बाद अपने मूल स्थान फेगू पहुँचेगी।

प्रति वर्ष बैशाख संक्रांति के अवसर पर माँ के मंदिर में मेले का आयोजन किया जाता है और मां अपने भक्तों को चल विग्रह डोली रूप में दर्शन देती हैं । माँ का मंदिर लगभग 1200 वर्ग मी में फैला हुआ है जिसमें पौराणिक कलाकृतियाँ विद्यमान हैं। मंदिर के गर्भ गृह में मां का स्वरुप पाषाण रूप में विद्यमान है।

इसके साथ ही भगवान शिवलिंग एवं अन्य देवी देवताओं की पाषाण मूर्तियाँ हैं। प्रत्येक 6 वर्ष बाद माँ की चल विग्रह डोली अपने सभी देवी देवताओं सहित बाबा केदार की यात्रा पर जाती है। जिसे स्थानीय भाषा में देवरा यात्रा कहा जाता है। इस यात्रा में माता की चल विग्रह डोली के साथ उक्त सभी गांवों के लोग शामिल होते हैं। और साथ ही मां क्षेत्र के सभी गांवों में घर- घर जाकर भक्तों की कुशलक्षेम पूछते हुए केदारनाथ जी के दर्शनों हेतु श्रावण पूर्णिमा के दिन केदारनाथ पहुच जाती है। वापसी में उखीमठ भीरी होते हुए वापस अपने स्थान फेगू में हवन पूजन के पश्चात विराजमान होती है।

 

बता दे कि 10 अगस्त को ही भूतभावन प्रभु श्री केदारनाथ जी में अन्नकूट महोत्सव होगा। जिसे स्थानीय भाषा में भतूज भी कहा जाता है। विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम में प्रतिवर्ष रक्षाबंधन से एक दिन पहले केदारनाथ मंदिर में अन्नकूट मेला (भतूज) धूमधाम से मनाए जाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। अन्नकूट महोत्सव में सर्वप्रथम केदारनाथ मंदिर के तीर्थ पुरोहितों द्वारा भगवान शिव के स्वयंभू लिग की विशेष पूजा-अर्चना की प्रक्रिया संपन्न करने के साथ ही नए अनाज झंगोरा, चावल, कौंणी आदि के लेप लगाकर स्वयंभू लिग का श्रृंगार करते हैं।

केदारनाथ में स्थित स्वयंभू लिग पर नए अनाज का भोग एवं श्रृंगार का भक्तजन दर्शन कर भोले बाबा का आशीर्वाद लेते हैं। हर साल आयोजित होने वाले इस धार्मिक मेले को लेकर लोगों में उत्साह है। वहीं केदार घाटी में विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी , ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ सहित कई अन्य शिव मंदिरों में पर भी इसी परंपरा को निभाया जाता है।

 

 

 

 

 

 

 

 

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