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आईएसआई के निशाने पर है राजस्थान..

आईएसआई के निशाने पर है राजस्थान..

आईएसआई के निशाने पर है राजस्थान..

 

देश – विदेश :  राजस्थान में पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों के लिए काम करने वाले सीमांत लोक संगठन (एसएलएस) ने इस साल एक सनसनीखेज खुलासा किया था। उसमें कहा गया था कि गत वर्ष सीमावर्ती इलाकों से 800 शरणार्थी वापस पाकिस्तान लौट गए हैं। वजह, लंबे समय तक उन्हें भारत की नागरिकता नहीं मिली…

राजस्थान को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई अपना सॉफ्ट टारगेट बना रही है। पड़ोसी मुल्क इस प्रदेश में अपना जाल फैलाने के लिए हनी ट्रैप से लेकर वॉट्सऐप ग्रुप तक ऐसे सभी तरीकों का इस्तेमाल कर रहा है। राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों के अलावा अन्य क्षेत्रों में रह रहे मुस्लिमों में धार्मिक कट्टरता को एक साजिश के तहत बढ़ावा दिया जा रहा है। बॉर्डर एरिया में अल्पसंख्यकों की आबादी तेजी से बढ़ रही है,

तो वहीं हिंदू पलायन कर रहे हैं। साल 2018 में स्टडी ऑफ डेमोग्राफिक पैटर्न इन द बॉर्डर एरिया ऑफ राजस्थान एंड इट्स सिक्योरिटी इंप्लिकेशन रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ था। राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात रहे केंद्रीय अर्धसैनिक बल के एक अधिकारी का दावा है कि वहां आईएसआई द्वारा तेजी से राष्ट्र विरोधी गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है। वहां बहुसंख्यक आबादी के मुकाबले, अल्पसंख्यकों की संख्या काफी तेजी से और कई गुना ज्यादा बढ़ी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय को विभिन्न एजेंसियों द्वारा समय-समय पर ऐसी रिपोर्ट भेजी जाती रही हैं।

उदयपुर, कहीं ये आतंकी हमला तो नहीं..

राजस्थान के उदयपुर में हुई एक व्यक्ति की हत्या के बाद प्रदेश के कई जिलों में तनाव व्याप्त है। गौस मोहम्मद और रियाज, इन दोनों आरोपियों ने मंगलवार को तालिबानी तरीके से टेलर कन्हैयालाल की हत्या करने के बाद उसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी की पांच सदस्यीय टीम, राजस्थान पहुंचकर आरोपियों से पूछताछ करेगी। एनआईए यह जांच करेगी कि ये घटना, आतंकी हमला तो नहीं था। वीडियो में पीएम नरेंद्र मोदी को भी धमकी दी गई है। सीएम अशोक गहलोत भी कह चुके हैं कि यह मामूली घटना नहीं है। इस घटना के पीछे राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कट्टरता का समर्थन करने वाले संगठनों का हाथ तो नहीं है, इसकी जांच होगी।

सीमावर्ती इलाकों में बढ़ गई अल्पसंख्यकों की आबादी..

राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों को लेकर 2018 में जो रिपोर्ट आई थी, उसमें कई खुलासे हुए थे। रिपोर्ट में कहा गया था कि जैसलमेर सीमा व दूसरे इलाके में अल्पसंख्यकों की आबादी, असामान्य रूप से बढ़ रही है। मुस्लिमों में धार्मिक कट्टरता बढ़ रही थी। वहां पर कुछ समूह ऐसे भी दिखाई पड़े, जो राजस्थान में रह रहे अन्य मुस्लिमों की तरह स्थानीय परंपराओं को मानने की बजाए, अरब की संस्कृति को तवज्जो दे रहे थे। उनके रहन सहन, खानपान व बातचीत के तौर तरीकों में भी अंतर देखा गया। मस्जिदों की संख्या एकाएक बढ़ गई। मदरसों में बच्चों की अच्छी खासी तादाद देखी गई थी। सीमावर्ती इलाकों में मौलवियों की गतिविधियां बढ़ रही थी।

भाजपा ने भी उठाया था पलायन की मुद्दा..

सितंबर 2021 में टोंक जिले के मालपुरा कस्बे में बहुसंख्यक परिवारों के पलायन का मामला खासा उछला था। उस वक्त भाजपा ने हिंदू परिवारों के पलायन की ग्राउंड रिपोर्ट तैयार के लिए वरिष्ठ नेताओं की एक टीम गठित की थी। इस टीम में भाजपा के लोकसभा सांसद सुमेधानंद सरस्वती, विधायक शोभा चौहान और पूर्व विधायक बनवारी लाल सिंघल शामिल किए गए। भाजपा विधायक रामलाल शर्मा का कहना था

कि हिंदू परिवारों के पलायन का मसला सिर्फ मालपुरा का नहीं, बल्कि राजस्थान के कई क्षेत्रों में पलायन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। आईबी के एक रिटायर्ड अधिकारी के मुताबिक, पाकिस्तान, पश्चिमी राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में तेजी से अपना नेटवर्क बढ़ा रहा है। आईएसआई ने हनीट्रैप को अपना मुख्य हथियार बनाया है। जैसलमेर, बीकानेर, बाड़मेर और गंगानगर में स्थानीय लोगों के वॉट्सएप यूजर्स में सेंध लगाने का प्रयास किया जा रहा है। इस कार्य में कथित तौर से मदरसों की मदद ली जा रही है। राजस्थान के दूसरे इलाकों में रहने वाले स्थानीय अल्पसंख्ययक समुदाय के लोगों में कट्टरता की भावना को बढ़ावा दिया जा रहा है।

सीमांत लोक संगठन ने किया था खुलासा..

राजस्थान में पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों के लिए काम करने वाले सीमांत लोक संगठन (एसएलएस) ने इस साल एक सनसनीखेज खुलासा किया था। उसमें कहा गया था कि गत वर्ष सीमावर्ती इलाकों से 800 शरणार्थी वापस पाकिस्तान लौट गए हैं। वजह, लंबे समय तक उन्हें भारत की नागरिकता नहीं मिली। सीमांत लोक संगठन के अध्यक्ष हिंदू सिंह सोढा ने कहा था, वे लोग पाकिस्तान से इसलिए आए थे, क्योंकि उन्हें वहां पर धार्मिक प्रताड़ना झेलनी पड़ रही थी। वे इस उम्मीद में भारत आते हैं कि उन्हें यहां पर सम्मान मिलेगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो पाया। उनके पासपोर्ट तक रिन्यू नहीं हो सके। जब ये लोग वापस पाकिस्तान गए तो उन्हें वहां पर आईएसआई ने परेशान कर दिया। उनसे जबरन लिखवाया गया कि उन्हें भारत में परेशान किया जा रहा था।

केंद्र सरकार को आगे आना होगा..

केंद्र सरकार को उनके लिए कोई ठोस नीति बनाई जानी चाहिए थे। आईबी के रिटायर्ड अधिकारी ने बताया, अब सुरक्षा एवं जांच एजेंसियों को सचेत होना पड़ेगा। राजस्थान, आईएसआई के टारगेट पर है। वहां सांप्रदायिक हिंसा का माहौल बनाने की कोशिशें पहले भी होती रही हैं। सरकार को यह भी ध्यान में रखना होगा कि किसी एक समुदाय की संख्या वहां कम क्यों हो रही है और दूसरे समुदाय की अप्रत्याशित तौर से क्यों बढ़ रही है। इस तरह की बातों का लिंक बहुत गहरा होता है। उदयपुर में एकाएक ऐसी कट्टरता कहां से आ गई। तालिबानी स्टाइल में व्यक्ति मर्डर कर दिया गया। उसका वीडियो सोशल मीडिया पर डाल दिया गया। इसके बड़े मायने हैं। जांच एजेंसियां इसकी तह तक पहुंच सकती हैं।

 

 

 

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