बरसाती सीजन में भी चैन की नींद सोया है प्रशासन..
रुद्रप्रयाग: पहाड़ी जिलों में बारिश से काफी दिक्कतें हो रही है। जहां एक ओर केदारनाथ धाम में बारिश के कारण पुनर्निर्माण कार्यों को करना मुश्किल हो रहा है, वहीं केदारनाथ हाईवे की स्थिति बद से बदतर बनी हुई है। हाईवे पर सफर करना किसी खतरे से खाली नहीं है। हाईवे के जगह-जगह मलबा आने के साथ ही राजमार्ग कीचड़ में तब्दील हो गया है। जिस पर सफर करना मौत को दावत देने जैसा हो गया है।
शुक्रवार को हाईवे के गंगतल महादेव मंदिर के पास ऊपरी पहाड़ी से बड़ी तादात में मलबा और बोल्डर आ गया, जिस कारण हाईवे बंद हो गया। हाईवे के बंद होने के बाद भी राष्ट्रीय राजमार्ग लोक निर्माण विभाग चैन की नींद सोया रहा।
हाईवे पर फंसे लोगों ने सूचना पुलिस को दी। जिसके तीन घंटे बाद मशीन मौके पर पहुंची, लेकिन एक कटर मशीन और जेबीसी के भरोसे राजमार्ग खोलने का प्रयास किया गया, जिस कारण राजमार्ग को खोलने में और देरी हुई। राजमार्ग पर भारी मलबा आने के कारण प्रशासन की ओर से रूट को डायवर्ट करते हुए लोगों को तिलवाड़ा-बैंजी-अगस्त्यमुनि वैकल्पिक मार्ग से भेजा गया, मगर इस पर भी चीड़ का पेड़ गिरने से लिंक मार्ग बंद पड़ा था। राजमार्ग और लिंक मार्ग के बंद होने से लोगों को भारी परेशानियां का सामना करना पड़ा। करीब दस घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद राजमार्ग को खोल दिया गया, लेकिन अभी भी ऊपरी पहाड़ी से राजमार्ग पर बोल्डर और मलबा गिर रहा है, जिससे लग रहा है कि राजमार्ग पुनः बंद हो जायेगा।
राजमार्ग पर फंसे विजयपाल नेगी ने कहा कि बरसाती सीजन चल रहा है और प्रशासन और विभागीय अधिकारी चैन की नींद सोये हुए हैं। राजमार्ग के बंद होने पर शीघ्र गति से खोलने के कोई प्रयास नहीं किये जा रहे हैं। विभाग को सूचना देने के कई घंटों बाद मौके पर मशीन भेजी जा रही है। भारी भरकम मलबा राजमार्ग पर आ रहा है और विभाग की ओर से जेसीबी मशीन का प्रयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आॅल वेदर का कार्य राजमार्ग पर चल रहा है, जिस कारण आज ये स्थिति हो रही है। राजमार्ग के कई जगहों पर डेंजर जोन उभर आये हैं, जो हल्की सी बरसात होने पर परेशानी पैदा कर रहे हैं। ऐसे में प्रशासन को पोकलैंड मशीन की मदद से राजमार्ग को खोलना चाहिए और शीघ्रता से कार्यवाही करनी चाहिए।