आर्टिकल

केदारनाथ ईको सेन्सिटिव जोन घोषित

केदारनाथ ईको सेन्सिटिव जोन घोषित , 451.12 वर्ग किलोमीटर में फैला है अभयारण्य , आॅल वेदर रोड और हेली सेवाएं होंगी प्रभावित

-मोहित डिमरी

रुद्रप्रयाग। केंद्र के वन, पर्यावरण एवं जलवायु मंत्रालय ने रुद्रप्रयाग और चमोली स्थित केदारनाथ कस्तूरी मृग अभयारण्य को ईको सेन्सिटिव जोन घोषित कर दिया है। इस संबंध में गत दिसंबर को ही अधिसूचना जारी कर दी गई थी। इसकी भनक राज्य सरकार को नहीं लगी। गंगोत्री-उत्तरकाशी के बाद यह दूसरा क्षेत्र है जिसे ईको सेन्सिटिव जोन घोषित किया गया है। इस जोन के घोषित होने के बाद अब केदारनाथ में हेली सेवाएं और आल वेदर रोड का कार्य प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा पर्यटन व उद्योग भी प्रभावित होंगे। अधिसूचना में कहा गया है कि आंचलिक महायोजना तैयार होने के बाद निगरानी समिति ही गैर प्रदूषित इकाईयों को यहां निवेश की अनुमति देगी। अधिसूचना के अनुसार ईको सेन्सिटिव जोन का क्षेत्रफल 451.12 वर्ग किलोमीटर होगा। रुद्रप्रयाग के डीएम मंगेश घिल्ड़ियाल का कहना है कि उन्हें इस अधिसूचना के बारे में जानकारी नहीं है।

अधिसूचना 14 दिसम्बर 2017 के गजट 3404 में जारी की गई है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी इस अधिसूचना के लागू होने से रुद्रप्रयाग और चमोली में आॅल वेदर रोड का कार्य प्रभावित हो सकता है। क्योंकि आंचलिक महायोजना को तैयार करने के लिए दो साल का समय दिया गया है। इस बीच स्थायी प्रवृत्ति के कार्य नहीं हो सकेंगे। इसके अलावा वन सेंचुरी के ऊपर से उड़ान भरने वाले हेली सेवाएं भी प्रभावित हो सकती हैं।

त्रियुगीनारायण वेडिंग डिस्टेनेशन को बड़ा झटका

प्रदेश सरकार त्रियुगीनारायण को वेडिंग डेस्टीनेशन बनाने की दिशा में काम कर रही है। लेकिन यह क्षेत्र अब ईको सेन्सिटिव जोन में शामिल कर लिया गया है। इसके निकट होटल या रिजाॅर्ट बनाने पर पाबंदी होगी। ऐसे में यदि यहां विवाह उत्सव होता है तो वह सीमित दायरे में ही पुरातत्व विभाग और आचंलिक महायोजना के अनुसार होगा।

क्या है पारिस्थितिकीय संवेदी अधिसूचना

अधिसूचना का प्रारूप जिसे केंद्रीय सरकार पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 की 29 धारा तीन की उपधारा दो में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी करने का प्रस्ताव करती है। पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 के नियम पांच के तहत यह अधिसूचना जनसाधारण के लिए प्रकाशित किया जाएगा जो कि इस संवेदी जोन से प्रभावित होंगे। यदि इस पर किसी को आपत्ति या सुझाव हैं तो वो वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को दिये जा सकते हैं। प्रारूप अधिसूचना के तहत केदारनाथ अभयारण्य में कस्तूरी मृग और अन्य दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीव रहते हैं। मानवीय हस्तक्षेप के साथ ही इन वन्य जीवों को ध्वनि प्रदूषण का भी सामना करना पड़ रहा है। इससे इनके विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। इस क्षेत्र में कई प्रकार के वन हैं जो कि जलवायु को प्रभावित करते हैं। इसलिए इन वनों का संरक्षण भी जरूरी है।

विकास के लिए आचंलिक महायोजना

अधिसूचना में कहा गया है कि इस क्षेत्र के विकास के लिए आंचलिक महायोजना तैयार की जाएगी। जो कि अधिसूचना के जारी होने के दो साल की अवधि में होगी। इसके लिए डीएम व प्रदेश सरकार के अलावा उक्त क्षेत्र के जनप्रतिनिधि भी निगरानी समिति में होंगे। विकास कार्यों को पूरी तरह से जलवायु और पर्यावरण संरक्षण के हितों की देख-रेख करनी होगी। राज्य सरकार भू-उपयोग व अन्य बदलाव अधिसूचना के बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए ही कर सकती है। इसमें स्पष्ट निर्देश दिये गये हैं कि ईको सेन्सिटिव जोन के अंदर व एक किलोमीटर के दायरे में कोई भी होटल या रिजार्ट नहीं बन सकता है। इसके अलावा वनों के कटान पर भी प्रतिबंध है। सरकार को निर्देश दिये गये हैं कि पुराने प्राकृतिक जलस्रोतों का पता लगाएं और उन्हें दोबारा से पुनर्जीवित करने के प्रयास करें। ध्वनि प्रदूषण पर भी सख्ती से पाबंदी लगाने की बात की गई है। यह भी कहा गया है कि सीमित संख्या में ही मानवीय लोगों का अभयारण्य में दखल हो। इसके जोन के आसपास किसी भी प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग को लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

ईको सिंसेटिव जोन का क्षेत्र

उत्तरी सीमा – भिलंगना नदी किनारे से होती हुई खतलिंग ग्लेशियर चौकी से होती हुई केदारनाथ शिखर, मल्लाया शिखर से होती हुई बदरीनाथ शिखर तथा चौखम्बा तक जाती है।

पूर्वी सीमा – खिलौरी ग्लेशियर से होती हुई अलकनंदा के समीप बिरोही तक।

दक्षिणी सीमा- विरोही के निकट स्थित राष्ट्रीय राजमार्ग 58 से गोपेश्वर होते हुए गोपेश्वर मंदिर, रुद्रनाथ गंगोल गांव से होते हुए डबलगांव के नजदीक से होते हुए कुंजनी गांव राष्ट्रीय राजमार्ग 109 से होते हुए त्रिजुगीनारायण, सोनप्रयाग होते हुए लास्टरगढ़ तक जाती है।

पश्चिमी सीमा – लास्टरगढ़ से होते हुए भिलंगना नदी और कालखंद नदी के संगम से होते हुए डाबरीगढ़ के साथ भिलंगना तक जाती है।

 

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

To Top