उत्तराखंड

उत्तराखंड के दस पहाड़ी जिलों में कामकाजी महिलाओं के लिए बनेंगे हॉस्टल..

उत्तराखंड के दस पहाड़ी जिलों में कामकाजी महिलाओं के लिए बनेंगे हॉस्टल..

 

 

 

 

 

 

 

प्रदेश के दस पहाड़ी क्षेत्रों में शीघ्र ही कामकाजी महिलाओं के लिए वर्किंग हॉस्टल का निर्माण किया जाएगा। अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। उनका कहना हैं कि महिलाओं के लिए चल रही सभी योजनाओं की सख्त मॉनिटरिंग की जाए।

 

 

 

 

 

उत्तराखंड: प्रदेश के दस पहाड़ी क्षेत्रों में शीघ्र ही कामकाजी महिलाओं के लिए वर्किंग हॉस्टल का निर्माण किया जाएगा। अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। उनका कहना हैं कि महिलाओं के लिए चल रही सभी योजनाओं की सख्त मॉनिटरिंग की जाए। उन्हें नौकरी के लिए सुरक्षित कार्यस्थल दिया जाना चाहिए।

गुरुवार को अपर मुख्य सचिव ने सभी पुलिस अधीक्षक के साथ बैठक बुलाई। बैठक में बताया गया कि राज्य के असंगठित क्षेत्र के 96 प्रतिशत कर्मचारी, कामगार और नौकरीपेशा व्यक्ति ई-श्रम से पंजीकृत हैं। ई-श्रमों में श्रमिक पंजीकरण के मामले में उत्तराखंड देश में तीसरे स्थान पर है। सभी पंजीकृत श्रमिकों में महिलाएं लगभग 16.37 लाख हैं। राज्य में जिन 3700 फैक्ट्रियों का रजिस्ट्रेशन हुआ है, उनमें 7 फीसदी महिला कर्मचारी हैं।

आपको बता दे कि अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने राज्य में कामकाजी महिलाओं का प्रतिशत बढ़ाने के लिए शासन और जिला प्रशासन को प्रो-एक्टिव मोड पर कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में महिला कार्यबल को बढ़ाने के लिए महिलाओं के लिए कार्यस्थल पर सुरक्षित और सकारात्मक वातावरण सुनिश्चित करना प्रशासन की जिम्मेदारी है। केंद्र सरकार ने हर जिले में महिला वर्किंग हॉस्टल के लिए 50 लाख की मंजूरी दी है। पहाड़ी क्षेत्रों में कार्यरत हॉस्टलों का विकास तेजी से किया जाए। महिलाओं की शिकायतों के समाधान के लिए सभी जिलाधिकारी सुनिश्चित करें कि आंतरिक शिकायत समिति का गठन यथाशीघ्र किया जाए।

मानव तस्करी और बाल विवाह को रोकने को ठोस प्रयास

इसके साथ ही उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों की महिला कल्याणकारी सभी योजनाओं की सख्त मॉनिटरिंग के भी निर्देश दिए। उन्होंने एक कार्यशाला का आयोजन किया और जिलाधिकारियों से राज्य में काम करने वाली महिलाओं की संख्या को बढ़ाने और उन्हें एक सुरक्षित कामकाजी माहौल देने के बारे में विचार मांगे। महिलाओं के घरेलू हिंसा के आरोपों को काउंसलिंग तक सीमित नहीं रखना और उन्हें शारीरिक शोषण की चरम स्थितियों में आईपीसी के तहत प्राथमिकी दर्ज करके कार्रवाई करने का निर्देश देना।

उन्होंने कहा कि राज्य को बाल विवाह और मानव तस्करी को समाप्त करने के लिए ठोस प्रयास करने चाहिए। वन स्टॉप सेंटर को पुलिस विभाग सहित कई अन्य एजेंसियों से जोड़ा जाना चाहिए। सभी महिला हेल्पलाइन 181, 112 और 1905 को जोड़ने पर भी विचार किया गया।

अपर मुख्य सचिव का कहना हैं कि राज्य सरकार कार्यरत महिलाओं की संख्या बढ़ाने और सुरक्षित कार्यस्थल सुनिश्चित करने के लिए मिशन मोड में काम कर रही है। वन-स्टॉप सॉल्यूशन ऐप वर्तमान में विकसित किया जा रहा है और जल्द ही सीएम धामी द्वारा इसका शुभारंभ भी किया जाएगा। सरकार और पुलिस भी महिलाओं के खिलाफ आईटी अपराधों और साइबर अपराध से बचाव के लिए एक प्रणाली तैयार कर रही है। बैठक में सचिव शैलेश बगोली, अपर सचिव सी रविशंकर और रिद्धिम अग्रवाल जैसे अधिकारियों ने भाग लिया।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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