गोल्डन कार्ड में अंशदान की तुलना में कैशलेस इलाज पर दोगुना खर्च..
क्लेम देनदारी 80 करोड़ पहुंची..
उत्तराखंड: राज्य सरकार के कर्मचारियों, पेंशनरों और उनके आश्रितों को राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना (एसजीएचएस) के गोल्डन कार्ड पर असीमित खर्च पर कैशलेस इलाज की सुविधा मिलती है। इस लाभ को पाने के लिए कर्मचारियों और पेंशनरों से हर महीने अंशदान लिया जाता है। लेकिन, अंशदान की तुलना में कैशलेस इलाज का खर्च दोगुना हो गया है। सूचीबद्ध अस्पतालों की क्लेम देनदारी 80 करोड़ से अधिक पहुंच गई है। राज्य सरकार ने योजना का बजट नहीं बढ़ाया तो कैशलेस इलाज में दिक्कतें आएंगी। राज्य सरकार ने 2020-21 में कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए कैशलेस इलाज के लिए गोल्डन कार्ड की सुविधा शुरू की थी। बता दे कि पांच साल में कर्मचारियों और पेंशनरों से अंशदान के रूप में 510 करोड़ रुपए की राशि प्राप्त हुई है। वहीं कैशलेस इलाज पर 700 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए गए। इलाज का खर्च हर साल बढ़ रहा है। इससे सूचीबद्ध अस्पतालों की देनदारी भी बढ़ रही है।
4.79 लाख गोल्डन कार्ड बने
आपको बता दे कि योजना के तहत 1,28,761 सेवारत कर्मचारियों और 91,390 पेंशनरों और उनके आश्रितों के 4.79 लाख गोल्डन कार्ड बनाए गए हैं। योजना के तहत कर्मचारियों और पेंशनरों को असीमित खर्च पर इलाज की सुविधा है। अगर किसी कर्मचारी या पेंशनर के कैंसर के इलाज पर 30 लाख रुपये खर्च होते हैं, तो उसका पूरा भुगतान योजना से किया जाता है। कर्मचारियों और पेंशनरों के कैशलेस इलाज के लिए एसजीएचएस योजना अंशदान पर आधारित है। इसमें कर्मचारियों और पेंशनरों से हर महीने अंशदान लिया जाता है। लेकिन हर साल इलाज का खर्च बढ़ता जा रहा है। योजना के लिए और बजट मुहैया कराया जाएगा।
