पिरूल के उपयोग से युवाओं को मिलेगा रोजगार , जैव ईधनों से विद्युत उत्पादन को लेकर आयोजित कार्यशाला
रुद्रप्रयाग। जैव ईधनों से विद्युत उत्पादन को लेकर जिला कार्यालय सभागार में अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (उरेडा) ने जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने कहा कि जनपद में पिरूल प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। पिरूल व अन्य बाॅयोमास जैसे कृषि अपशेष, लेन्टाना आदि का सही तरीके से उपयोग कर जनपद के बेरोजगार युवाओं को रोजगार प्राप्त हो सकता है। इसके साथ ही पिरूल वन क्षेत्र से पिरूल को निरन्तर एकत्रित करने से जमीन में पानी का रिसाव बढ़ाया जा सकता है, जिससे भूमि पर अन्य प्रकार के पेड़-पौधों की उपज हो सकती है।
जिलाधिकारी ने वरिष्ठ परियोजना अधिकारी को पिरूल की दूसरी कार्यशाला आयोजित कराने से पूर्व नीति से संबंधित सभी आँकड़ो एवं आवेदक को दी जाने वाली रियायतों की जानकारी रखने के निर्देश दिए। इसके साथ ही 2011 में पिथौरागढ़ में स्थापित अवनि संस्था द्वारा स्थापित पिरूल संयत्र के फील्ड विजिट कराने के भी निर्देश दिए। इस अवसर पर वरिष्ठ परियोजना अधिकारी नीरज गर्ग ने जानकारी देते हुए बताया कि नीति क्रियान्वयन वन व उरेडा विभाग द्वारा किया जाएगा। जनपद स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय नियोजन एवं अनुश्रवण समिति का गठन कर जनपद स्तर से चीड़ के जंगल के क्षेत्र तथा उन क्षेत्रों से प्राप्त होने वाला पिरूल व अन्य बायोमास की उपलब्धता लगने वाली इकाईयों की क्षमता एवं संख्या के निर्धारण के लिए मानचित्र तैयार किए जायेंगे।
इस अवसर पर वरिष्ठ परियोजना अभियंता अभिषेक पांडये ने विस्तार से नीति के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पिरूल से हो रही वन हानि को रोकने तथा पर्वतीय क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाने के लिए राज्य सरकार द्वारा पिरूल के उपयोग से विद्युत उत्पादन, ब्रिकेट बनाने तथा बायो आॅयल आधारित औद्योगिक इकाईयाँ लगाये जाने के लिए नीति तैयार की गई है। इस अवसर पर ब्लाॅक प्रमुख अगस्त्यमुनि जगमोहन सिंह रौथाण, जिला विकास अधिकारी एएस गुंज्याल, मुख्य चिकित्साधिकारी डाॅ एसके झा, जिला उद्यान अधिकारी योगेन्द्र सिंह सहित वन पंचायत के सरपंच, जिला पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान, स्वयं सहायता समूह के प्रतिनिधि व जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे।