पेयजल योजनाओं के क्षतिग्रस्त होने से गहराया पानी का संकट..
जल्द जलापूर्ति बहाल करे जल संस्थान..
रुद्रप्रयाग: पेयजल योजनाओं के क्षतिग्रस्त हो जाने से धनपुर क्षेत्र के कई गांवों में पानी का संकट बना हुआ है। स्थिति यह है कि जल संस्थान टैंकरों से पानी की पर्याप्त आपूर्ति नहीं कर पा रहा है। ऐसे में पानी को लेकर गांवों में हाहाकार मचा हुआ है। दरअसल, खेड़ीखाल-भुनका सड़क निर्माण के मलबे से भुनका-लमेरी पेयजल योजना क्षतिग्रस्त हो गई है। योजना के चैंबर में भारी भरकम मलबा आया हुआ है। इसके अलावा भैरों गदेरे से पोखरसारी और बौंठा गांव के लिए बनाई गई पेयजल योजना भी क्षतिग्रस्त हो गई है।
योजनायें क्षतिग्रस्त होने से कोठियूँ, ग्वाड़, पोखरसारी, बौंठा, तूना हरिजन बस्ती, किमोठा, लमेरी सहित अन्य गांवों में पानी का संकट गहरा गया है। स्थिति यह है कि बामनपाणी और कोठियूं के पेयजल स्रोत पर पानी के लिए पोखरसारी, ग्वाड़, कोठियूं, बौंठा के लोगों की भीड़ जुटी रहती है। बारिश के चलते बरसू और चरगढ़ गदेरे में मटमैला पानी आ रहा है, जो पीने योग्य नहीं है। स्थानीय निवासी देवेंद्र सिंह बिष्ट, उम्मेद सिंह बिष्ट, राजेन्द्र सिंह बिष्ट, शेखर बिष्ट, पूर्व प्रधान रणजीत पंवार, रमेश पंवार, देवेंद्र पंवार, सरदार पंवार, लक्ष्मण बिष्ट, लक्ष्मण पंवार, सुनील कप्रवान का कहना कि टैंकर से पानी की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो रही।
सड़क से जुड़े कुछेक गांवों को ही टैंकर के जरिये पानी उपलब्ध हो पा रहा है। कई लोग घरों में आइसोलेशन में हैं। उन्हें भी पानी उपलब्ध कराना मुश्किल हो रहा है। आम लोगों के साथ ही मवेशियों को भी पानी की समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है। बारिश के सहारे ही अपनी प्यास बुझा रहे हैं। जब बारिश होती है तो ग्रामीण उसी पानी को स्टोर कर देते हैं। गदेरे का पानी भी पीने लायक नहीं है। वहीं उत्तराखंड क्रांति दल के युवा नेता मोहित डिमरी ने जल संस्थान को धनपुर क्षेत्र के गांवों में पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने को कहा। उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द क्षतिग्रस्त पेयजल योजनाओं की मरम्मत की जाय।
जब तक पानी की नियमित आपूर्ति नहीं होती, तब तक हर रोज दो टैंकरों और सड़क से दूर गांवों में घोड़े-खच्चरों से पानी की आपूर्ति की जाय। युवा नेता मोहित डिमरी ने कहा कि पेयजल स्रोतों पर साफ पानी नहीं आ रहा है। लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। इससे लोग बीमार भी पड़ सकते हैं। इन सभी समस्याओं के मद्देनजर संस्थान को गंभीरता से जलापूर्ति करनी चाहिए।