उत्तराखंड

बाजपुर चीनी मिल के चीफ इंजीनियर विनीत जोशी निलंबित..

बाजपुर चीनी मिल के चीफ इंजीनियर विनीत जोशी निलंबित..

उत्तराखंड: अधिकारियों और भ्रष्ट कंपनियों के साठ गांठ का एक नया मामला सामने आया हैं। बाजपुर चीनी मिल के चीफ इंजीनियर विनीत जोशी को कई गंभीर आरोपों के चलते निलंबित कर दिया गया है। उनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी प्रशासक चंद्रेश कुमार ने देकर सितारगंज चीनी मिल से अटैच कर दिया है। उन पर ब्लैक लिस्ट कंपनी को पूरा भुगतान करने, चीनी मिल तकनीकी या अन्य कारणों से बंद रहने सहित कई आरोप हैं।

 

बाजपुर चीनी मिल को बाकायदा तरीके से न चलाए जाने और निर्धारित पेराई क्षमता के मुकाबले कम उपयोग और मैकेनिक व इलेक्ट्रिकल कारणों से हो रही बंदियों को देखते हुए बीते छह फरवरी को प्रशासक चंद्रेश कुमार ने मिल के प्रधान प्रबंधक से रिपोर्ट और चीफ इंजीनियर विनीत जोशी से स्पष्टीकरण मांगा था। रिपोर्ट में जो बात सामने आई उसके मुताबिक तकनीकी बंदियों के लिए मुख्य रूप से चीफ इंजीनियर ही ज़िम्मेदार ठहराया गया है।

 

आपको बता दें कि अभियांत्रिकी विभाग के विभागाध्यक्ष होने की वजह से उनकी जवाबदेही भी बनती है। इसके साथ ही पांच फरवरी से सात फरवरी के दौरान सुपरस्पैक टैक लिमिटेड लखनऊ के तकनीकी दल ने भी अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में केन फीडिंग यूनिट और केन प्रिपरेशन से संबंधित तैयारियों पर प्रतिकूल टिप्पणी की थी। प्रधान प्रबंधक ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि चीनी मिल में केन अनलोडरों की मरम्मत के लिए जिस मैसर्स चंद्रपाल सिंह को ठेका दिया गया था, उसने अपनी जिम्मेदारियों का पूरा पालन भी नहीं किया था जिसकी वजह से उसे तीन साल के लिए ब्लैक लिस्ट कर दिया गया था।

 

इसके बावजूद चीफ इंजीनियर जोशी की सिफारिश पर उस फर्म को पूरा भुगतान कर दिया गया जो कि उनकी फर्म से मिलीभगत की ओर इशारा कर रहा है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में बताया कि पेराई सत्र 2020-21 में चीनी मिल में स्वीकृत रिपेयर और मेंटिनेंस के लिए प्रति कुंतल तीन रुपये खर्च किया जाना था। इसके लिए एक करोड़ पांच लाख रुपये स्वीकृत थे, जिसमें से 92 लाख 74 हजार रुपये पेराई सत्र पूरा होने से पहले ही खर्च कर दिए गए।

 

विनीत जोशी ने नवंबर 2018 में चीनी मिल में कार्यभार सम्हाला था। उनसे पहले 2018-19 में चीनी मिल में 52 घंटे बंदी हुई थी लेकिन 2019-20 में 96 घंटे चीनी मिल बंद रही। लिहाजा, प्रशासक ने उन्हें निलंबित करते हुए उनके खिलाफ विभागीय जांच बैठा दी है। इस पुरे मामले के लिए गन्ना एवं चीनी आयुक्त ललित मोहन रयाल को जांच अधिकारी नामित किया गया है। अब देखना होगा कि जांच रिपोर्ट सामने कब तक आएगी और ऐसे अधिकारीयों के खिलाफ कितनी सख्त कार्यवाही सामने आती है

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