तुंगनाथ में होती है भगवान शिव की भुजाओं की पूजा
रुद्रप्रयाग। पंचकेदारों में से तीसरे केदार के रूप में विख्यात भगवान तुंगनाथ के कपाट शीतकाल के छह माह के लिये विधि-विधान से बंद कर दिये गये हैं। अब देश-विदेश से आने वाले तीर्थ यात्री तुंगनाथ के दर्शन शीतकालीन गददीस्थल मार्कण्डेय तीर्थ मक्कूमठ में करेंगे।
तृतीय केदार तुंगनाथ में भगवान शिव की भुजाओं की पूजा होती है। प्रत्येक वर्ष यात्रा सीजन के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु तुंगनाथ के दर्शन के लिये पहुंचते हैं। तुंगनाथ धाम में भगवान शिव का मंदिर है, जिसका निर्माण पांडवों ने कराया था। यहां पर पांडवों को भगवान शिव की भुजाओं के दर्शन हुये थे। तुंगनाथ मंदिर अत्यधिक ऊच्चाई पर स्थित शिव मंदिर है।
आज प्रात: तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के स्वयंभू लिंग को भष्म, भृंगराज और ब्रम्हकमल के साथ अन्य पूजार्थ सामाग्रियों से समाधि दी गई। लिंग को समाधि देने के बाद भगवान तुंगनाथ की मूर्ति को डोली में विराजमान किया गया। जिसके बाद भगवान तुंगनाथ की डोली ने तुंगनाथ मंदिर की एक परिक्रमा की और अपने शीतकालीन गददीस्थल के लिये रवाना हुई। तीस अक्टूबर को भगवान तुंगनाथ की डोली अपने शीतकालीन गददीस्थल मक्कूमठ में पहुंचेगी। जहां छह माह तक तृतीय केदार तुँगनाथ की विधिवत पूजा शुरू हो जायेगी। कपाट बंद होने के अवसर पर हजारों तीर्थ यात्री भी मौजूद रहे।