उत्तराखंड

चारधाम यात्रा में 50 फीसदी घटी तीर्थयात्रियों की संख्या..

चारधाम यात्रा में 50 फीसदी घटी तीर्थयात्रियों की संख्या..

ऑफलाइन पंजीकरण संख्या भी गिरी..

 

 

 

 

 

 

 

 

 

मानसून से पहले ही चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या कम होने लगी है। पीक समय में बद्रीनाथ, केदारनाथ में जहां 18 से 20 हजार श्रद्धालु पहुंच रहे थे, अब ये संख्या सात से दस हजार रह गई है।

 

 

उत्तराखंड: 3 मई से उत्तराखंड में चारधाम यात्रा की शुरुआत हो चुकी हैं। चारधाम यात्रा को लेकर इस बार श्रद्धालुओं में भारी उत्साह नजर आ रहा है। बता दे बीते दो वर्ष कोरोना के चलते चारधाम यात्रा नहीं चल पाई थी, उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध् चार धाम यात्रा को लेकर इस बार स्थानीय लोगों में खासा उत्साह भी नजर आ रहा है। लेकिन मानसून से पहले ही चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या कम होने लगी है। पीक समय में बद्रीनाथ, केदारनाथ में जहां 18 से 20 हजार श्रद्धालु पहुंच रहे थे, अब ये संख्या सात से दस हजार रह गई है।

 

साथ ही यात्रा पंजीकरण में भी 50 फीसदी की कमी आई है। बद्रीनाथ धाम में पांच से दस जून के बीच हर दिन 18 से 20 हजार श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच रहे थे, जबकि यात्रा के लिए हर दिन 20 से 22 हजार पंजीकरण केवल बद्रीनाथ की यात्रा के लिए हो रहे थे। लेकिन अब यहां हर दिन सात से दस हजार श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। मंगलवार को बद्रीनाथ धाम में 7210 श्रद्धालु पहुंचे। जबकि अब पंजीकरण भी 12 से 15 हजार के बीच ही हो रहे हैं।

 

वही केदारनाथ की अगर बात करे तो केदारनाथ धाम में यात्रा के शुरूआती दिनों में 20 से 22 हजार तक श्रद्धालु दर्शन को पहुंच रहे थे। अब ये संख्या आठ से नौ हजार रह गई है। मंगलवार को यहां 8437 श्रद्धालु दर्शन को पहुंचे। केदारनाथ धाम में जहां पहले 35 हजार तक पंजीकरण हो रहे थे, अब 12 हजार पंजीकरण ही हो रहे हैं। गंगोत्री धाम में भी दर्शन के लिए पहुंचने वाले यात्रियों की संख्या 12 हजार से घटकर छह हजार तक पहुंच गई है। जबकि पंजीकरण भी 18 हजार से घटकर आठ हजार तक ही हो रहे हैं। वही यमुनोत्री धाम की यात्रा के लिए पंजीकरण और यात्रियों की संख्या भी आधी से कम रह गई है।

 

आपको बता दे कि चारधाम यात्रा के लिए ऋषिकेश और हरिद्वार में ऑफलाइन पंजीकरण के लिए अब पहले जैसे मारामारी की स्थिति नहीं है। हरिद्वार में बुधवार को मात्र 410 श्रद्धालुओं ने ही पंजीकरण कराया। ऋषिकेश में 300 श्रद्धालु ही ऑफलाइन पंजीकरण को पहुंचे। जबकि यात्रा शुरू होने के समय यहां यात्रियों को वापस लौटाया जा रहा था।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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