उत्तराखंड

स्वदेशी बाबा रामदेव को भाया विदेश..

स्वदेशी बाबा रामदेव को भाया विदेश..

काला धन भारत लाना था, सफेद धन नेपाल ले जा रहे..

नेपाल में शुरू कर दिये दो टीवी चैनल..

 

 

 

उत्तराखंड: योग गुरु रामदेव स्वदेशी के प्रबल समर्थक हैं। उनके उत्पादों की क्वालिटी की जब भी जांच हुई तो वो खरे नहीं पाये गये। लेकिन उनके स्वदेशी प्रेम के कारण उनके उत्पादों की धूम है। आज पतंजलि ही एक मात्र ऐसी स्वदेशी कंपनी है जो एमएनसीज के लिए चुनौती बनी हुई है। रामदेव ने डूब चुकी रुचि सोया को लिया तो उसके शेयर आज सबसे महंगे हैं। यानी रामदेव मिट्टी को भी सोना बना रहे हैं।

 

यही कारण है कि आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद उनके विवि के दीक्षांत समारोह में आ रहे हैं जहां आयुर्वेदिक छात्रों से एमबीबीएस कालेजों से भी अधिक फीस वसूली जाती है। रामदेव काला धन भारत लाने के समर्थक थे। इसलिए अब उन्होंने अपना सफेद धन नेपाल में निवेश करना शुरू कर दिया है। टैक्सी हालीडे उत्तराखंड से लेते हैं लेकिन बिजनेस नेपाल में बढ़ा रहे हैं।

रामदेव ने नेपाल में दो चैनल आस्था नेपाल और पतंजलि नेपाल लांच किये हैं। दोनों की लांचिंग विवादित हैं। काला धन वापसी करने की मांग करने वाले बाबा क्या सफेद धन नेपाल ले जा रहे हैं? दरअसल, इस सदी के शुरुआत में देश में बाबा रामदेव के योग की धूम थी। बाबा रामदेव ने भारतीयों को प्राचीन योग पद्धति से दोबारा रूबरू कराया। बाबा ने देशवासियों से कहा कि काम-धंधा छोड़ो, योग करो, योग करो।

 

बाबा रामदेव के कहने पर देशवासी योग करने लगे और बाबा धंधा। कई मिलावटी उत्पादों पर सवाल उठे और अब तो धन विदेश में लगाने लगे। तो स्वदेश का अर्थ क्या रह गया? कहने का अर्थ यह है कि ये दुनिया बाजार है और बाजार में सब माल बेचना चाहते हैं। लड़ाई बाजार पर वर्चस्व की है, सिद्धांतों की बाजारवाद में कोई कीमत नहीं। तो बाबा रामदेव भी उतने ही स्वार्थी और लालची हैं जितनी कोई अन्य एमएनसी।

 

 

 

 

 

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