उत्तराखंड

भाजपा में टिकट के दावेदारों ने पार्टी हाईकमान की बढ़ाई टेंशन..

केदारनाथ विधानसभा में टिकट के दावेदारों की लम्बी फेहरिस्त..

रुद्रप्रयाग विधानसभा से टिकट के दावेदारों ने भाजपा से सिटिंग विधायक की बढ़ाई मुश्किलें..

पोस्टर बैनरों से सिटिंग विधायक गायब..

मेलों, पांडव नृत्य व राम लीलाओं में बढ़ चढ़कर लिया जा रहा भाग..

 

 

 

 

रुद्रप्रयाग। आगामी वर्ष में प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, लेकिन जनपद की दोनों सीटों पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने पार्टी हाईकमान के लिए मुश्किलें पैदा कर दी हैं, जबकि रुद्रप्रयाग सीट से भी कांग्रेस के लिए परेशानी खड़ी होने वाली है। कांग्रेस और भाजपा में दावेदारों की लम्बी फेहरिस्त होने से विधानसभा चुनाव में दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के लिए मुश्किलें पैदा हो सकती हैं। ऐसे में टिकट वितरण में छोटी सी चूक इन्हें हार का रास्ता भी दिखा सकती हैं। भाजपा-कांग्रेस में दावेदारों की लम्बी कतार ने हाईकमान की टेंशन बढ़ा दी है।

बता दें कि आगामी वर्ष में उत्तराखण्ड में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। जिले में दो सीटों पर चुनाव होना है, जिनमें रुद्रप्रयाग और केदारनाथ विधानसभा हैं। ये दोनों ही सीटें प्रदेश की राजनीति में काफी मायने रखती हैं। पिछले बार के चुनाव में केदारनाथ विधानसभा सीट से कांग्रेस ने कम अंतराल से जीत हासिल की थी। इस सीट पर वर्ष 2012 के बाद से कांग्रेस प्रत्याशी की जीत हो रही है। वर्ष 2016 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुई शैलारानी रावत को अंदाजा भी नहीं था कि उन्हें चैथे नम्बर पर रहकर संतोष होना पड़ेगा। उनकी हार के बाद से भाजपा में दावेदारों की लिस्ट काफी तेजी से बढ़ गयी है। ऐसे में इस सीट पर कार्यकर्ताओं में टिकट को लेकर घमासान होना तय माना जा रहा है।

 

 

चुनावी बेला नजदीक है और केदारनाथ सीट से भाजपा के दावेदारों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। जिन कार्यकर्ताओं को कभी जनता की समस्याओं को लेकर संघर्ष करते नहीं देखा गया, वे आज उनके हितैषी बने हुए हैं और खुद को भाजपा का प्रत्याशी बता रहे हैं तथा जनता के बीच इस तरह से दावा कर रहे हैं, जैसे टिकट उन्हें मिलना तय है। इसके अलावा रुद्रप्रयाग विधानसभा सीट पर भी भाजपा से दावेदारों की फेहरिस्त लम्बी है। यहां का माहौल तो अलग ही नजर आ रहा है। जो कार्यकर्ता अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं, उन्होंने पोस्टर-बैनरों से सिटिंग विधायक को ही गायब कर दिया है और खुद के पोस्टरों में राष्ट्रीय नेताओं के साथ शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचार-प्रसार अभियान शुरू कर दिया है।

इन दिनों ये नेताजी मेलांे, पांडव नृत्य व रामलीलाओं में व्यस्त हैं। कभी ये नेता स्थानीय मुद्दों को लेकर जनता के बीच नहीं दिखाई दिये और अब चुनाव को देखते हुए जनता के बीच पहुंच रहे हैं और इन धार्मिक कार्यक्रमों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर जनता को बेवकूफ बनाने में लगे हैं। अपने साथ ये किराये के कार्यकर्ताओं को ले जाकर जनता को लुभाने का प्रयास कर रहे हैं। जनता को भरमाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाये जा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहरी इलाकों में नेताओं की भरमार से शराब का प्रचलन भी काफी बढ़ने लगा है और शराब माफियाओं की पौबारह मची है। कुछ नेताओं ने तो अपनी विधानसभाओं को पोस्टर और बैनरों से पाट दिया है, जबकि साढ़े चार सालों तक ये लोग जनता से काफी दूरी बनाये हुए थे और आज उनके बीच जाकर खुद को प्रत्याशी बता रहे हैं और जनता का वोट बैंक खींचने में लगे हैं। इन्हें यहां तक भी मालूम नहीं होगा कि जिले में कितने सरकारी विभाग हैं और वे कहां-कहां स्थापित हैं। पानी, सड़क, शिक्षा की समस्या से लेकर कौन से स्कूल शिक्षक विहिन हैं, उन्हें यह भी मालूम नहीं है।

जबकि कई क्षेत्रों में स्वास्थ्य की समस्याएं आज भी जस की तस हैं। ये लोग जनता के बीच जाकर पार्टी हाईकमान को यह संदेश पहुंचाने चाहते हैं कि वे भी जनता के बीच हैं और उन्हें भी जनता का भरपूर समर्थन मिल रहा है, जबकि हालात कुछ ओर ही बयां कर रहे हैं। सिटिंग विधायक के होने के बावजूद भी भाजपा के कई नेता जनता के बीच जाकर खुद को मजबूत दावेदार बता रहे हैं और अपने-अपने पोस्टर बैनर लगाकर सिटिंग विधायक को नदारद कर प्रचार अभियान छेड़े हुए हैं। यहां तक कि कुछ सोशल मीडिया पर खुद को विकास का पुरोधा साबित करने में लगे हैं। इसके अलावा छोटे दलों के नेता भी जनता के बीच दिखने लगे हैं, जबकि निर्दलीय दावेदारों ने भी प्रचार अभियान शुरू कर दिया है।

बहरहाल, भाजपा और कांग्रेस में टिकट दावेदारों की लम्बी कतार होने से पार्टी हाईकमान के सामने भी एक चुनौती खड़ी हो गयी है। ऐसे में देखना यह भी दिलचस्प रहेगा कि सिटिंग विधायक अपने टिकट को बचा पाने में कहां तक सफल हो पाते हैं।

भाजपा से केदारनाथ सीट से इन लोगों ने की है टिकट की दावेदारी..

पूर्व विधायक शैलारानी रावत, पूर्व विधायक आशा नौटियाल, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष चंडी प्रसाद भट्ट, पूर्व दर्जाधारी अशोक खत्री, नगर पंचायत अगस्त्यमुनि की अध्यक्ष अरूणा बेंजवाल, भाजपा जिलाध्यक्ष दिनेश उनियाल, संजय दरमोड़ा, पंकज भटट, दिनेश बगवाड़ी, सुभाष नेगी, देवप्रकाश सेमवाल,

कांग्रेस से केदारनाथ विधानसभा के दावेदार –
विधायक मनोज रावत, पूर्व प्रदेश प्रवक्ता सूरज नेगी, कांग्रेस महिला जिलाध्यक्ष शशि सेमवाल लक्ष्मण सिंह रावत, जिला पंचायत सदस्य विनोद राणा

आम आदमी पार्टी – सुमंत तिवाड़ी, विजय चमोला
निर्दलीय – कुलदीप रावत, देवेश नौटियाल, कुलदीप नेगी

रुद्रप्रयाग विधानसभा से भाजपा से दावेदार –
विधायक भरत सिंह चौधरी, जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह, पूर्व दर्जाधारी वीरेन्द्र बिष्ट, पूर्व जिलाध्यक्ष वाचस्पति सेमवाल, आचार्य शिव प्रसाद ममगांई, भाजपा प्रदेश सह मीडिया प्रभारी कमलेश उनियाल, वीर सिंह रावत

रुद्रप्रयाग विधानसभा से कांग्रेस से दावेदार –

पूर्व मंत्री मातबर सिंह कंडारी, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी राणा, ब्लाॅक प्रमुख प्रदीप थपलियाल, वीरेन्द्र बुटोला, जिला पंचायत सदस्य नरेन्द्र बिष्ट, अंकुर रौथाण, राजीव कंडारी

उक्रांद से मोहित डिमरी, सरला खण्डूड़ी
मातृ सेवा पार्टी से सुधीर नेगी

 

 

 

 

 

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