उत्तराखंड

वरिष्ठ नागरिकों को लेकर हरिद्वार कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला..

वरिष्ठ नागरिकों को लेकर हरिद्वार कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला..

माँ -बाप को प्रताड़ित करने वाले बच्चे होंगे घरों से बाहर..

 

 

 

 

 

 

वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण और कल्याण अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति एसडीएम कोर्ट में अपने बच्चों के खिलाफ वाद दायर कर सकता है।अधिनियम की धारा के तहत एसडीएम की ओर से सुनवाई के बाद बच्चों को उनकी संपत्ति से बेदखल कर दिया जाता है।

 

 

उत्तराखंड: हरिद्वार एसडीएम कोर्ट ने बुजुर्ग माता-पिता की सहायता में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया हैं। कोर्ट का कहना हैं कि माता-पिता की सेवा करने की बजाय उन्हें प्रताड़ित करने वाले बच्चों को सचेत होने की जरूरत है। कोर्ट का कहना हैं कि माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण और कल्याण अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति एसडीएम कोर्ट में अपने बच्चों के खिलाफ वाद दायर कर सकता है।

अधिनियम की धारा के तहत एसडीएम की ओर से सुनवाई के बाद बच्चों को उनकी संपत्ति से बेदखल कर दिया जाता है। ऐसे ही छह बुजुर्गों की ओर से हरिद्वार एसडीएम कोर्ट में वाद दायर किया गया था। जिसके बाद बुजुर्गों के बच्चों को माता-पिता की संपत्ति से बेदखल करते हुए एक महीने के अंदर घर खाली करने के आदेश दिए हैं। साथ ही कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर पुलिस प्रशासन को आवश्यक कार्रवाई करने का भी आदेश दिया गया है।

आपको बता दे कि ज्वालापुर, कनखल और रावली महदूद के बुजुर्गों की ओर से कोर्ट में वाद दायर किया गया था कि उनके बच्चे उनके साथ ही रहते हैं, लेकिन न तो उनकी कोई सेवा करते हैं और न ही खाना देते हैं। उल्टे उनके साथ मारपीटकर प्रताड़ित करते हैं। जिससे उनका बुढ़ापे का जीवन नरक बन गया है।

वरिष्ठ नागरिकों की ओर से अपने बच्चों से राहत दिलाने के लिए कोर्ट से गुहार लगाई गई थी जिसमें उन्हें अपनी चल और अचल संपत्ति से बेदखल कर घरों से बाहर निकालने की मांग की गई थी। बुजुर्गों की याचिका पर सुनवाई करते हुए एसडीएम पूरण सिंह राणा ने सभी छह मामलों में बच्चों को माता-पिता की संपत्ति से बेदखल करने का फैसला सुनाया है।

 

 

 

 

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