उत्तराखंड

उत्तराखंडी बोले- यूक्रेन से हमारे बच्चों को सुरक्षित वापस लाए सरकार..

उत्तराखंडी बोले- यूक्रेन से हमारे बच्चों को सुरक्षित वापस लाए सरकार..

 

उत्तराखंड : यूक्रेन में फंसे बच्चों को सुरक्षित वापस नहीं लाने पर परिजनों में केंद्र सरकार और विदेश मंत्रालय की नीतियों को लेकर भी खासा गुस्सा है।

रूस के तल्ख तेवर और यूक्रेन में उपजे संकट के बीच युद्ध के आसार बन गए हैं। ऐसे में यूक्रेन की राजधानी कीव समेत लिवीव, खारकीव जैसे शहरों में मेडिकल की पढ़ाई के लिए देहरादून से गए छात्र और छात्राओं के परिजन उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। परिजन चाहते हैं कि जल्द से जल्द यूक्रेन में फंसे उनके बच्चों को भारत सुरक्षित लाया जाए। इसके लिए अभिभावकों ने केंद्र सरकार और विदेश मंत्रालय से गुहार भी लगाई है।

हाथीबड़कला केंद्रीय विद्यालय में अध्यापिका रश्मि बिष्ट का बेटा सूर्यांश सिंह बिष्ट यूक्रेन के लिवीव मेडिकल कालेज में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है। रूस और यूक्रेन के बीच विवाद की खबरें मीडिया में आने के बाद रश्मि को बेटे की चिंता सताने लगी है। दरअसल, केंद्र सरकार की ओर से यूक्रेन से नई दिल्ली के बीच सीधी हवाई सेवा नहीं होने से उसे भारत आने में दिक्कत हो रही हैं।

परिजनों के सामने आर्थिक संकट खड़ा..

एयर इंडिया की ओर से संचालित फ्लाइट का किराया बहुत ज्यादा होने से बच्चों और उनके परिजनों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। शिक्षिका रश्मि बिष्ट का कहना है कि बच्चों को भारत लाने के लिए 70 हजार रुपये किराया लिया जा रहा है, जो बहुुत अधिक है। कमोबेश यही बात शिक्षिका अंजू सिंह ने भी दोहरायी। अंजू की बेटी श्रेया भी यूक्रेन के खारकीव में एमबीबीएस थर्ड ईयर की छात्रा है।

अंजू सिंह और रश्मि बिष्ट की तरह प्रीति पोखरियाल भी अपनी बेटी आस्था को लेकर खासी चिंतित हैं। आस्था भी लिवीव में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है। सूर्यांश, श्रेया और आस्था जैसे कितने ही उत्तराखंड के अलग-अलग शहरों के बच्चे यूक्रेन में रहकर मेडिकल के अलावा अन्य विषयों की पढ़ाई करने के लिए गए हुए हैं। परिजनों की मानें तो इन बच्चों को वापस भेजने में संस्थाओं ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं।

संस्थाओं ने इन बच्चों को मोबाइल फोन पर नोटिस जारी कर यह कहा है कि वे अपने स्तर पर व्यवस्था करके स्वदेश लौट जाएं। यूक्रेन में फंसे बच्चों को सुरक्षित वापस नहीं लाने पर परिजनों में केंद्र सरकार और विदेश मंत्रालय की नीतियों को लेकर भी खासा गुस्सा है। परिजनों का कहना है कि केंद्र सरकार को तत्काल हवाई सेवाओं का संचालन कर यूक्रेन में फंसे बच्चों के साथ सभी भारतीयों को तत्काल सुरक्षित बाहर निकालना चाहिए।

किराया देने पर भी नहीं मिल रही सीधी फ्लाइट..

दिलचस्प पहलू यह है कि यूक्रेन के विभिन्न शहरों में फंसे बच्चों को सुरक्षित वापस लाने के लिए परिजन हवाई यात्रा के टिकट का भुगतान करना चाहते हैं लेकिन यूक्रेन के कीव, खारकीव व लिवीव जैसे शहरों से सीधी हवाई सेवाएं नहीं होने से बच्चों को आने में दिक्कत हो रही है। यूक्रेन में फंसे बच्चों के अभिभावकों की मांग है कि सरकार को तत्काल तमाम बड़े शहरों से सीधी हवाई सेवाएं शुरू कर देनी चाहिए।

70,000 रुपये का भुगतान करके लिया टिकट..

सूर्यांश की मां रश्मि बिष्ट ने बताया कि उन्होंने 70,000 रुपये का भुगतान करके बेटे के लिए हवाई यात्रा का टिकट लिया है जो 27 फरवरी को कीव से रवाना होगी। हवाई सेवा लिवीव से पहले राजधानी कीव और फिर दुबई के रास्ते भारत आएगी। रश्मि का कहना है कि जिस तरीके की परिस्थितियां बनी हुई हैं उसे देखते हुए केंद्र सरकार को तत्काल सीधी हवाई सेवाओं का संचालन नई दिल्ली के लिए करना चाहिए।

लोगों के संपर्क में हैं भारतीय दूतावास के अधिकारी..

लिवीव में फंसे सूर्यांश ने अपनी मां रश्मि बिष्ट को बताया कि फिलहाल यूक्रेन संकट के बीच खाने-पीने और रहने का संकट नहीं है। पर जिस तरीके से स्थितियां बनी हुई हैं उसे देखते हुए सुरक्षित देश लौटने में ही भलाई है। हालांकि सूर्यांश ने यह भी बताया कि कीव स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारी यूक्रेन में रहने वाले सभी भारतीयों के संपर्क में हैं और दूतावास के अधिकारियों की ओर से समय-समय पर एडवाइजरी जारी की जा रही है।

 

 

 

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