उत्तराखंड

आईटी पार्क के पास पकड़ा फर्जी कॉल सेंटर, अमेरिका के लोगों से करते थे ठगी..

आईटी पार्क के पास पकड़ा फर्जी कॉल सेंटर, अमेरिका के लोगों से करते थे ठगी..

उत्तराखंड: देहरादून में बैठकर अमेरिका के लोगों को वारंट का डर दिखाकर ठगने वाले चार शातिरों को एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया है। ठग इस काम के लिए आईटी पार्क क्षेत्र में एक फर्जी कॉल सेंटर संचालित कर रहे थे। इनके पास से लैपटॉप, कंप्यूटर व अन्य सामान बरामद हुआ है। ये ठग उन्हें वारंट व गिरफ्तारी से बचने के लिए कानूनी सलाह देने के बदले धन वसूलते थे।

 

इस संबंध में बृहस्पतिवार को डीआईजी एसटीएफ डॉ. नीलेश आनंद भरणे और एसएसपी अजय सिंह ने पत्रकार वार्ता की। उनका कहना हैं कि काफी दिनों से एसटीएफ की एक टीम फर्जी कॉल सेंटर के बारे में जानकारियां जुटा रही थी। इसी बीच बृहस्पतिवार शाम को पुख्ता सूचना के आधार पर आईटी पार्क स्थित एक बिल्डिंग में छापा मारा गया। जिसके बाद इस बिल्डिंग पर ट्रेक नॉउ ट्रेवल का बोर्ड लगा हुआ था। अंदर जाकर देखा तो चार युवक डेस्क पर बैठकर काम कर रहे थे। इनसे पूछताछ हुई तो वह ज्यादा जानकारी नहीं दे पाए। इसके बाद शक होने पर साइबर थाने लाया गया।

 

उन्होंने बताया कि वह खुद को यूएस कस्टम एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन ऑफिस से बताते हुए अमेरिका के लोगों से संपर्क करते हैं। इसके बाद उन्हें वारंट आने का डर दिखाया जाता है। इसके बाद जब वे डर जाते हैं तो लीगल सर्विस उपलब्ध कराने के नाम पर उनसे पैसे लिए जाते हैं। इसके बाद उनका कथित केस खत्म कर दिया जाता है। इसके बाद अगला शिकार ढूंढा जाता है। पुलिस ने इन चारों को गिरफ्तार कर आईटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है।

 

ठगी करने वाली टीम में 16 लोग..

आपको बता दे कि गिरफ्तार होने वाले युवकों में इस कॉल सेंटर का आईटी हेड दीपक निवासी उत्तमनगर दिल्ली, सीमन निवासी पालम दिल्ली, गगन निवासी महेंद्र नगर नेपाल और एक मोनू नाम का है। पूछताछ में इन्होंने कहा कि उनकी टीम में 16 लोग हैं। इनमें विजय नाम का युवक जो दिल्ली में रहता है मैनेजर है। इसके अलावा इस बिल्डिंग के मालिक का नाम गौरव गुलशन है। पूछताछ में पता चला है कि यह काम वे बीते तीन माह से कर रहे थे। इनके पास से 20 लैपटॉप, दो कंप्यूटर, तीन मोबाइल और एक कार बरामद हुई है।

 

ऐसे करते हैं ठगी..

ये लोग खुद को यूएस कस्टम एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन ऑफिस का कर्मचारी बताते हैं। इसके बाद इनमें से एक इंटरनेट के माध्यम से अमेरिका निवासी को कॉल करता है। मान लो गगन यहां से किसी रिचर्ड नाम के व्यक्ति को फोन लगाता है। गगन कहता है कि ऑफिस में रिचर्ड का पार्सल आया है। यह अवैध रूप से आया हुआ है। रिचर्ड मना करता है तो उसे बताया जाता है कि उनकी आईडी का इस्तेमाल किया गया है। लिहाजा सारी जिम्मेदारी उन्हीं की होगी। जल्द ही वारंट निकलेगा और फिर गिरफ्तारी भी हो सकती है।

 

इन सब बातों को सुनकर जो व्यक्ति डर जाता है तो वह इससे बचने का उपाय पूछता है। इसके बाद गगन और उसके साथी दोबारा किसी दूसरे नंबर से रिचर्ड को फोन करते हैं और बचाव का तरीका बताकर कथित फाइल बंद कर देते हैं। लीगल एड यानी कानूनी सहायता के लिए यह ठग मुद्रा में धन कम ही लेते हैं। इसके लिए वह किसी ई-कॉमर्स कंपनी का कूपन लेते हैं। इसके अलावा बिटकॉइन में भी धन लिया जाता है। इसके बाद विभिन्न एक्सचेंज के माध्यम से इन्हें भारतीय रुपये में बदल लिया जाता है।

 

10 लाख रुपये महीने का तो केवल खर्च..

इस कॉल सेंटर में सभी सैलरी पर काम करते हैं। इनमें से सीमन नाम के युवक की सैलरी 19 हजार रुपये और गगन की 17 हजार रुपये है। इसके अलावा सभी इसी के आसपास महीने में सैलरी पाते हैं। जबकि, कॉल सेंटर के संचालक ने इनके रहने खाने का बंदोबस्त भी किया हुआ है। इन्होंने मालसी में 11 कमरे 90 हजार रुपये प्रतिमाह और मैनेजर के लिए एक फ्लैट किराए पर लिया हुआ है। जबकि, इन सब व्यवस्थाओं और सैलरी पर संचालक करीब 10 लाख रुपये प्रतिमाह खर्च करता है।

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