दो महीने तक कमरे में कैद रहे बुजुर्ग दंपती, खाना तक नहीं हुआ नसीब..
उत्तराखंड: बागेश्वर के बिलौना वार्ड से मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। वार्ड में रहने वाले बुजुर्ग दंपती पिछले दो महीने से घर में कैद रहे, लेकिन उनकी मदद के लिए कोई आगे नहीं आया। पड़ोसियों का कहना है कि सेना से रिटायर्ड बुजुर्ग अक्सर शराब पीकर गालीगलौज करते थे, इस वजह से कोई उनसे ठीक से बात नहीं करता था। वही बुजुर्ग दंपती के बाहर रह रहे बेटों का कहना है कि सितंबर में उनकी बातचीत बुजुर्ग दंपती से हुई थी और दो महीने पहले बहन ने उनके ठीक होने की खबर दी थी।
बिलौना वार्ड के सेवानिवृत्ति फौजी जमन सिंह (65) और उनकी पत्नी देवकी देवी (55) को बदहवास हालात में रविवार जिला अस्पताल ले जाया गया। बुजुर्ग दंपती की हालत बेहद खराब थी। नाखून और बाल काफी बढ़े थे और शरीर पर कपड़े बेहद मैले और शरीर काफी कमजोर हो गया था। बुजुर्ग दंपति ठीक से बोल तक नहीं पा रहे थे।
दंपति के बड़े बेटे जगत सिंह नेगी ने बताया कि वह और उसका छोटा भाई दिल्ली में नौकरी करते हैं। शनिवार को उसके पास एक वीडियो आया, जिसमें घर का दरवाजा बंद था और जब कुछ पुलिस वाले घर के अंदर घुसे तो मां और पिता की हालात बेहद खराब दिखी। उनको इस हालात में देखकर वह फौरन घर के लिए निकाला और यहां देखा कि मां और पिता बदहाल हालत में हैं। वह बोलने की स्थिति में भी नहीं थे और कमरों के खिड़की और दरवाजे टूटे थे। घर में मकान की मरम्मत के लिए रखा लोहा और सीमेंट गायब था और साथ ही मां के जेवर भी नहीं थे।
दो माह से घर में कैद मां और पिता की सुध लेने की साहस पड़ोसियों ने भी नहीं उठाई। उन्होंने बताया कि फोन पर मां और पिता से बातचीत हो जाती थी पर पिछले तीन माह से उनसे कोई संपर्क नहीं हो पा रहा था। बहन से दो माह पहले ही उनकी हालात के बारे में पता चला तो चिंता दूर हो गई। पर आज मां और पिता को इस स्थिति देखकर दिल विचलित हो गया।
बुजुर्ग दंपति के पुत्र ने बताया कि वार्ड में रहने वाले कुछ दबंगों की वजह से उनके परिवार की यह हालत हुई है। उन्होंने बताया कि इन दबंगों के डर से उसके माता-पिता को कमरे में कैद होने पर मजबूर होना पड़ा है। आसपास रहने वाले लोग भी दबंगों के डर के कारण उसके परिवार की मदद नहीं कर सके। वहीं छोटे बेटे सुरेश सिंह नेगी से फोन पर हुई बातचीत में गांधी नाम के एक शख्स पर पिता के रुपये ऐंठने का आरोप लगाया।
अस्पताल में भर्ती देवकी देवी से डॉक्टरों ने पूछताछ की तो वह सही जवाब नहीं दे पा रही थी और टूटे-फूटे शब्दों में डर के मारे बाहर नहीं निकलने की बात कर रही थी। वह बीच-बीच में बोल रही थी कि दराती-बड़याठ लेकर मारने आ रहे थे। हालांकि मारने कौन और कब आया वह इसका जवाब नहीं दे पाईं। करीब दो महीने से कमरे में कैद बुजुर्ग जमन सिंह आसाम राइफल्स से सेवानिवृत्त हैं। उन्हें हर महीने पेंशन मिलती है। बिलौना में आबादी के बीच स्वयं का मकान है। इसके बावजूद परेशानी के समय उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं था।
दंपति का उपचार कर रहे डॉ. कपिल तिवारी ने बताया कि बुजुर्ग दंपति काफी बुरी हालत में अस्पताल पहुंचे थे। सबसे पहले उनके कपड़े बदलवाए गए। उन्होंने बताया कि दोनों की मानसिक हालत सही नहीं है। सरसरी तौर पर देखने से लग रहा है कि उन्होंने चार या पांच हफ्ते से खाना नहीं खाया है। दोनों के शरीर में पानी की भी कमी हो गई है। दोनों के मानसिक उपचार के लिए मनोचिकित्सक की मदद लेनी ही पड़ेगी।
बुजुर्ग दंपति के पुत्र ने पुलिस पर आरोप लगाया कि शनिवार को पुलिस उनके घर आई थी, लेकिन उसने मां और पिता को अस्पताल नहीं पहुंचाया। कोतवाल बागेश्वर डीआर वर्मा ने बताया कि पुलिस पर लगाए गए आरोप गलत हैं। ये दंपती अक्सर अंदर से दरवाजा बंद कर लेते थे, गांवों वालों की सूचना पर पुलिस गांव जाकर इनकी देखरेख करती थी। शनिवार को भी पुलिस टीम मौके पर गई थी और एंबुलेंस बुलाकर दवा दी थी। इन लोगों की पड़ोसियों से भी नहीं बनती थी।