खेती बाड़ी से जिंदगी जी रहे हैं इस गांव के लोग, 1 परिवार ने भी नहीं किया पलायन..
उत्तराखंड: बीते वर्षों में गाँवों से शहरों की ओर पलायन करने वाले लोगों की संख्या में लगातार वृद्धि होती जा रही है। जो चिंता का विषय है। इसके चलते कई तरह के असंतुलन पैदा हो रहे हैं। भारत गाँवों का देश है, यह केवल कहने की बातें रह जाएंगी। अपनी बुनियादी जरूरतों और सुविधाओं की तलाश में, बड़ी संख्या में लोग गाँवों से शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। लेकिन अभी भी उत्तराखंड में कुछ ऐसे गांव हैं जिनसे उम्मीद बंधी हुई है, जिन्होंने अब भी पहाड़ों से कभी शहरों की ओर रुख नहीं किया।
ऐसा ही एक गांव हैं उत्तरकाशी जिले के नौगांव ब्लॉक का दियाड़ी गांव जहां अब भी लोग खेती कर के जीवन व्यापन करते हैं और इस गांव का एक भी परिवार पलायन का शिकार नहीं हुआ। इन्ही लोगों ने उत्तराखंड की धरोहर को अब भी संजो कर रखा हुआ है। नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार पाने वाली उत्तरकाशी जिले का यह गांव हर मायने में समाज में ठोस उदाहरण पेश करता है। वहां के लोगों की वजह से गांव में एक भी परिवार ने रोजगार के कारण गांव से पलायन नहीं किया। आज भी लोग रोजगार के लिए खेती करते हैं और सुकून की जिंदगी जीते हैं। दियाड़ी गांव में 44 परिवार और 450 लोग रहते हैं।
इस गांव की एक खास बात और है। यह गांव पर्यावरण की रक्षा को लेकर भी जागरूक है और गांव में लोगों द्वारा समय समय पर स्वच्छता अभियान चलाया जाता है। केवल इतना ही नहीं बल्कि यह गांव पॉलीथिन मुक्त भी है और इसी के साथ यहां साफ-सफाई का भी पूरा ख्याल रखा जाता है। कुल मिलाकर इस गांव में रहने वाले कुल 44 परिवारों और 450 लोगों ने एक अलग दुनिया बसा ली है जहां हर कोई सुकून से और बिना किसी तकलीफ के जीवन व्यापन कर रहा है। आजतक किसी को भी गांव से बाहर नौकरी के लिए नहीं जाना पड़ा। और ऐसा नहीं है कि इस ग्रामसभा में पढ़े-लिखे लोग नहीं है। दियाड़ी गांव की साक्षरता दर जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। यहां की साक्षरता दर 95 % है। जहां पर 10 लोग पुलिस में सेना एवं अन्य सरकारी सेवा में कार्यरत हैं और प्राथमिक और जूनियर स्कूल भी ग्राम सभा के अंदर ही हैं।
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 150 किलोमीटर दूर दियाड़ी गांव सड़क से जुड़ी हुई है और स्वरोजगार की जीती जागती मिसाल पेश करते हैं। एक भी परिवार ने गांव से पलायन नहीं किया है हर परिवार अपने पुश्तैनी व्यवसाय से जुड़ा हुआ है। वही कुछ ग्रामीणों का कहना है कि खेती-बाड़ी कर हर परिवार साल के 5 से 10 लाख रुपए तक कमा लेता है। ग्राम सभा का हर परिवार गेहूं और धान के साथ नगदी फसलों का उत्पादन करता है और एक परिवार एक वर्ष में 5 से 10 लाख तक टमाटर, शिमला मिर्च एवं मटर बेचता है और इन उत्पादन को खरीदने के लिए विकास नगर, देहरादून, सहारनपुर और दिल्ली से आते हैं। इसके साथ ही पर्यावरण को लेकर भी दियाड़ी गांव के हर ग्रामीण जागरूक है