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धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि को प्रसन्न करने के लिए ऐसे करें पूजा..

धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि को प्रसन्न करने के लिए ऐसे करें पूजा..

 

 

देश-विदेश: हिंदू पंचाग के अनुसार यह हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर धनतेरस मनाई जाती है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी पर धन्वंतरि देव का जन्म हुआ था और तब से इस दिन धन्वंतरि देव की पूजा की जाती है। इस साल यह 2 नवंबर को मनाई जा रही है। इस दिन सभी घरों में भगवान विष्णु के धन्वंतरि की पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन धन्वंतरी के साथ कुबेर, माता लक्ष्मी भगवान गणेश और यम की पूजा की जाती हैं।

 

धनतेरस जो कि एक प्रमुख हिंदू त्योहार है और यह दिवाली त्योहार से दो दिन पहले मनाया जाता है। यह कार्तिक महीने में तेरहवें चंद्र दिवस के अंधेरे पक्ष में मनाया जाता है, इसे मुख्य रूप से कार्तिक अमावस्या कहा जाता है।

धनतेरस – समृद्धि का त्योहार..

धनतेरस को विशेष रूप से समृद्धि का त्योहार कहा जाता है। इस दिन महंगे सामान खरीदना शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि धनतेरस के दिन किया गया खर्च आपको सालभर में कई तरह से धन का लाभ कराता हैं। इसी वजह से, लोग धनतेरस तक अपनी महत्वपूर्ण खरीदारी स्थगित कर देते हैं। धनतेरस के दिन वाहनों की खरीदारी करना भी शुभ माना जाता है। साथ ही धनतेरस के दौरान स्टील के बर्तनों की काफी मांग रहती है। जो लोग महंगे सामानों पर ज्यादा खर्च नहीं कर सकते, वे छोटे चांदी के सिक्के खरीदने की कोशिश करें, क्योंकि यह भी शुभ माना जाता है।

 

 

 

 

धन और समृद्धि का यह हिंदू त्योहार देवी लक्ष्मी की पूजा करने के साथ ही शुरू करना चाहिए। इसके साथ ही अच्छे स्वास्थ्य समृद्धि के लिए भगवान धनवंतरी की पूजा ज्यादातर शाम के वक़्त घर के प्रत्येक सदस्य की उपस्थिति में और पारंपरिक पूजा स्थल पर करना चाहिए।

 

चूंकि यह समृद्धि का त्योहार है, इसलिए लोग अपने घरों को भी साफ करते हैं, उन्हें एक नया रंग देते हैं और उन्हें कई तरह से सजाते हैं ताकि घर को एक समृद्ध रूप दिया जा सके। सजावटी रोशनी, लैंप, पेंटिंग, सोफा कवर और तमाम चीजों से घर को अन्दर तथा बाहर से सजाया जाता है। धनतेरस हर किसी को समृद्ध और अच्छे स्वास्थ्य का एहसास कराता है जैसा पहले कभी नहीं हुआ।

धनतेरस के पर्व पर, सजे रहते बाज़ार
घर में लेकर आते हैं हम कई नये उपहार

 दीपों के जगमगाहट से सजा रहता हैं संसार
                   हर घर में आया हैं आज खुशियों का त्यौहार

सरस्वती के साथ में आते लक्ष्मी,गणेश
धन के साथ मिलता सदा सम्पदा और सुखद परिवेश
इस सुंदर अवसर पर सजे रहते हैं घर बाजार
                चारों और उजाला हैं खुशियां अपरंपार

 

धनतेरस पूजा विधि..

1- धनतेरस के दिन सबसे पहले सुबह उठकर नित्यक्रिया से निवृत्त होकर धनतेरस पूजा की तैयारी शुरू करें।

2- पूजा की तैयारी करने के बाद घर के ईशान कोण में धन्वंतरी भगवान की पूजा करें।

3- पूजा करते समय अपने मुंह को हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा में ही रखें।

4-  पूजा करते समय पंचदेव यानी भगवान सूर्य, भगवान गणेश, माता दुर्गा, भगवान शिव और भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।

5- धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की षोडशोपचार की पूजा करें यानी 16 क्रियाओं से पूजा करें।

6- पूजा के अंत में सांगता सिद्धि के लिए दक्षिणा जरूर चढ़ाएं।

7- पूजा समापन करने के बाद धन्वंतरी देवता के सामने धूप, दीप, हल्दी, कुमकुम, चंदन, चावल और फूल चढ़ाकर उनके मंत्र का उच्चारण करते हुए जाप करें।

8-  प्रदोष काल में घर के मुख्य द्वार या आंगन में दीया जलाएं। एक दीया यम देवता के नाम का भी जलाएं।

9-  धनतेरस के दिन घर में अपने इष्ट देवता की पूजा करते समय स्वास्तिक, कलश, नवग्रह देवता, पंच लोकपाल, षोडश मातृका और सप्त मातृका का पूजन जरूर करें।

 

 

 

 

धनतेरस की कथा..

धनतेरस के त्योहार से जुड़ी एक छोटी लेकिन रोचक व पौराणिक कहानी है। कहानी राजा हेमा के 16 साल के बेटे से संबंधित है। राजकुमार की कुंडली पर भविष्यवाणी हुई थी कि उनकी मृत्यु उनकी शादी के चौथे दिन सांप के काटने से होगी। जिससे राजा बहुत चिंतित थे फिर भी राजकुमार ने शादी की। राजकुमार की नवविवाहित पत्नी भविष्यवाणी के बारे में जानती थी और इसलिए उसने राजकुमार को बचाने की योजना बना रखी थी।

 

उनकी शादी की चौथी रात, राजकुमार की नवविवाहित पत्नी ने अपने सभी सोने, चांदी के गहने निकाले और प्रवेश द्वार पर इसका ढेर लगा दिया। और इसके बाद उसने भजन गाना शुरू कर दिया और राजकुमार को जगाए रखने के लिए कहानियाँ भी सुनाईं। उस प्राणघातक रात में जब मृत्यु के देवता यम पहुंचे, तो एक सांप के रूप में खुद को छुपा नहीं पा रहे थे, उनकी आँखें सजावटी आभूषणों के ढेर की चमक से चकित थी।

 

वह ढेर पर ही चढ़ गए और उसके ऊपर बैठ कर राजकुमार की पत्नी के गाने और कहानियाँ सुनने लगे। सुबह होने के साथ-साथ वह राजकुमार की जान लिए बगैर ही वापस चले गए। इसलिए, राजकुमार की जान उसकी पत्नी की समझदारी और चतुराई से बच गई। तब से यह दिन धनतेरस के रूप में मनाया जाता है और समृद्धि के लिए स्पष्ट रूप से महत्व रखता है। और अगले दिन जब यम उस घर से वापिस खाली हाथ लेकर गए, तो उसे नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है।

 

 

 

 

 

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