तपोवन टनल से मिला शव, एक साल बाद फिर ताजा हुए लोगों के जख्म..
ऋषि गंगा की आपदा में 206 जिंदगियां मलबे में दफन हो गई थीं..
आज भी यहां शव मिलने का सिलसिला जारी है..
उत्तराखंड: बीते साल सात फरवरी को ऋषि गंगा की आपदा में 206 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें से 88 के शव बरामद किए जा चुके थे। एनटीपीसी के 140 श्रमिकों की भी इस आपदा में मौत हो गई थी, जिसमें कई श्रमिकों के शव परियोजना की टनल में फंसे हुए थे। एनटीपीसी की ओर से अभी भी टनल से मलबा हटाने का काम किया जा रहा है। ऋषि गंगा की आपदा के एक साल बाद भी आपदा में मारे गए लोगों के शव मिलने का सिलसिला जारी है।
इसी दौरान मंगलवार को 520 मेगावाट वाली एनटीपीसी की तपोवन विष्णुगाड़ जल विद्युत परियोजना के टनल से एक और शव बरामद हुआ है। शव की पहचान भी हो गई है। जिसकी पहचान इंजीनियर गौरव निवासी ऋषिकेश के रूप में हुई है। अब आपदा में मारे गए लोगों में से 89 के शव बरामद हो चुके हैं।
आपको बता दे कि ऋषि गंगा आपदा में 206 जिंदगियां मलबे में दफन हो गई थी। संपूर्ण उत्तराखंड को झकझोर देने वाली ऋषि गंगा की आपदा को एक वर्ष हो गया है। इस आपदा में 206 जिंदगियां मलबे में दफन हो गई थीं। इस जलप्रलय को याद करते ही आज भी रैणी और तपोवन घाटी के ग्रामीणों की रूह कांप जाती है। स्थिति यह है कि आज भी तपोवन और रैणी के ग्रामीण धौली और ऋषि गंगा के किनारे जाने से डर रहे हैं।
आपदा को एक वर्ष बाद भी रैणी क्षेत्र में धौली गंगा और ऋषि गंगा के टूटे तटबंधों पर बाढ़ सुरक्षा कार्य शुरू नहीं हो पाए हैं। मलारी हाईवे का सुधारीकरण कार्य भी अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। रैणी गांव में मलारी हाईवे पर आज भी बैली ब्रिज से ही वाहनों की आवाजाही हो रही है। यहां स्थायी मोटर पुल का निर्माण कार्य भी शुरू नहीं हो पाया है।
ऋषिप्रयाग तक जाने के लिए भी पैदल रास्ता नहीं बन पाया है। ग्रामीण को प्रयाग पर शवदाह करने के लिए जाने का रास्ता भी नहीं बचा है। भूस्खलन और भू-कटाव से मलारी हाईवे कई जगहों पर धंस गया है। इसका सुधारीकरण कार्य भी अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। रैणी गांव के ग्रामीणों का कहना हैं कि क्षेत्र में पैदल रास्ते अभी भी क्षतिग्रस्त पड़े हैं। ऋषि गंगा के किनारे बाढ़ सुरक्षा कार्य भी नहीं हुए हैं। आज भी ग्रामीण नदी किनारे जाने से डरते हैं।