आठवीं और दसवीं में बेहतर और बेसिक में स्कूलों का खराब प्रदर्शन..
राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण की रिपोर्ट में खुलासा..
देश – विदेश : पिछला राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण वर्ष 2017 में हुआ था। अगला उपलब्धि सर्वेक्षण वर्ष 2020 में होना था, लेकिन कोरोना की वजह से सर्वेक्षण 2021 में हुआ। इस सर्वेक्षण में इस बार निजी स्कूलों को भी शामिल किया गया।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से आयोजित राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस) 2021 की रिपोर्ट जारी कर दी गई है। रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड के स्कूलों में तीसरी और पांचवीं के छात्रों के मुकाबले कक्षा 8 वीं और 10 वीं के छात्रों ने बेहतर प्रदर्शन किया है। यह रिपोर्ट प्रत्येक कक्षा में छात्रों के सीखने के स्तर की तुलना करती है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय हर तीन साल में गुणवत्ता सर्वेक्षण की जांच के लिए राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण कराता है। पिछला राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण वर्ष 2017 में हुआ था। अगला उपलब्धि सर्वेक्षण वर्ष 2020 में होना था, लेकिन कोरोना की वजह से सर्वेक्षण 2021 में हुआ। इस सर्वेक्षण में इस बार निजी स्कूलों को भी शामिल किया गया।
निजी और सरकारी दोनों तरह के 959 स्कूलों के 24,686 छात्र-छात्राओं का आंकलन किया गया। सर्वेक्षण के तहत कक्षा तीन के छात्रों का गणित और ईवीएस के मूल्यांकन में उत्तराखंड का प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से कम रहा। कक्षा तीन में गणित का प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत 44 के मुकाबले पांच अंक कम 39 रहा। इसी तरह कक्षा पांच में भाषा, गणित और ईवीएस तीनों में मूल्यांकन राष्ट्रीय औसत से खराब रहा जबकि 8वीं और 10 वीं कक्षा में छात्र-छात्राओं ने राष्ट्रीय औसत से बेहतर प्रदर्शन किया है।
माध्यम भी है पिछड़ने की वजह..
एससीईआरटी में लेक्चरर डॉ.अंकित जोशी के मुताबिक राज्य में पर्यावरण विज्ञान और विज्ञान की पढ़ाई केवल अंग्रेजी माध्यम में न की जाए बल्कि छात्र, छात्राओं को हिंदी या अंग्रेजी में पढ़ने का विकल्प देकर उसी माध्यम में पढ़ाया जाए। यदि इस शासनादेश में संशोधन नहीं हुआ तो दो साल बाद उत्तराखंड के कक्षा तीन से कक्षा 12 तक के बच्चे विज्ञान विषय को केवल अंग्रेजी माध्यम में ही पढ़ेंगे, जिससे स्थिति और बिगड़ जाएगी। यह नवीन शिक्षा नीति की सिफारिशों के भी विरुद्ध है।