रामबाड़ा, घिनुरपानी और गरूड़चटटी के आपदा पीड़ितों को हो दुकानों का आवंटन
रुद्रप्रयाग। रामबाड़ा, घिनुरपानी, गरूड़चटटी सहित अन्य स्थानों के नजूल भूमि पटआ धारक आपदा पीड़ितों ने गौरीकुंड से लेकर केदारनाथ पैदल मार्ग पर दुकान व्यवसाय चलाने के लिये भूमि आवंटित करने की मांग की है। पीड़ितों ने चेतावनी देते हुये कहा कि यदि जबरन लाटरी प्रक्रिया में नजू भूमि पटटा धारकों को शामिल किया गया तो गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर चक्काजाम किया जायेगा। ऊखीमठ में आयोजित आपदा पीड़ितों की बैठक में वक्ताओं ने कहा कि 2013 की आपदा से पूर्व कई पीढ़ियों से वह रामबाड़ा, गरूड़चटटी व घिनुरपानी में अपना व्यवसाय चलाते थे, लेकिन आपदा में सबकुछ तबाह हो गया है। आपदा को पांच साल पूरे होने को हैं, लेकिन अभी तक उनके रोजगार के बारे में नहीं सोचा गया है। जिस कारण उन्हें भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि यात्राकाल में प्रशासन गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर लाटरी के माध्यम से दुकानों का आवंटन कर रहा है, जो कि सरासर गलत है। दुकानें उन्हें उपलब्ध करानी चाहिये, जिनकी पूर्व में उक्त स्थानों पर दुकाने थी।
उन्होंने कहा प्रशासन को हमे दुकानें आवंटित करनी चाहिये, न कि हमें भी लाटरी प्रक्रिया में शामिल करना चाहिये। वक्ताओं ने कहा कि पूर्व में तैनात जिलाधिकारी डाॅ राघव लंगर ने आश्वासन दिया था कि भूमि पटटा धारकों को भूमि आवंटित की जायेगी, लेकिन इस दिशा में कोई कार्यवाही होती नहीं दिख रही है। आपदा पीड़ितों ने मांग की कि यात्राकाल में व्यवसाय को संचालित करने के लिये भूमि पटटा धारकों को लाटरी प्रक्रिया से बाहर रखा जाय और उन्हें दुकानों का आवंटन किया जाय। यदि उनकी इस मांग पर कार्यवाही नहीं होती है तो 26 अप्रैल को परिवार सहित केदारनाथ हाईवे व गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर अनिश्चितकालीन चक्काजाम करने के लिये मजबूर हो जाएंगे। जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। इस दौरान आपदा पीड़ितों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के साथ ही जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल को भी ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में संदीप सिंह पुष्पवाण, जसपाल सिंह, दौलत सिंह, पवन राणा, भगवती प्रसाद, भरत सिंह, जीतपाल सिंह, आशीष सिंह, विकास सिंह, दिलवर सिंह, होशियार सिंह, शिवराज सिंह, विजेन्द्र राणा, प्रेम सिंह नेगी, मदनमोहन, मातबर सिंह, गजपाल सिंह आदि के हस्ताक्षर मौजूद हैं।