गुड न्यूज: देश में पहली बार कोरोना संक्रमितों को दी जाने वाली दवा की उत्तराखंड से होगी शुरुआत..
उत्तराखंड: प्रदेश से एक अच्छी खबर सामने आ रही है। आखिरकार कोरोना संक्रमित रोगियों के लिए आयुष-64 के वितरण करने की पहल उत्तराखंड ने कर ली है और इसी के साथ उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बना है जो जल्द ही राज्य के कोरोना संक्रमित रोगियों के उपचार के लिए आयुष-64 का व्यापक स्तर पर वितरण करेगा। उत्तराखंड द्वारा आयुष मंत्रालय के स्तर पर आयुष 64 को खरीदने की तैयारी कर ली गई है और जल्द ही आयुष-64 को प्रदेश में कोरोना से संक्रमित रोगियों के बीच में उपचार के लिए पहुंचाया जाएगा।
आपको बता दें कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य बना है जिसने कोरोना से संक्रमित रोगियों के लिए आयुष 64 के वितरण को व्यापक स्तर पर करने की पहल की है। केंद्रीय आयुष मंत्रालय की ओर से जारी मानक प्रचालन प्रक्रिया ( एसओपी ) के अनुसार आयुष 64 का उपयोग बिना लक्षण वाले या फिर बेहद कम लक्षण वाले रोगियों के लिए किया जाता है आयुष 64 उन रोगियों के लिए बनाई गई है जिनमें कोरोना का कोई भी सीरियस सिम्टम्स नहीं हैं और जिनको ऑक्सीजन की जरूरत नहीं है। कम सिम्पटम्स वाले रोगियों के उपचार के लिए आयुष 64 बहुत लाभदायक है।
आयुष 64 की उपयोगिता क्लिनिकल ट्रायल में सफल भी साबित हुई है जिसके बाद केंद्र सरकार के स्तर पर पूरे देश में आयुष 64 को संक्रमित रोगियों को निशुल्क उपलब्ध कराने की योजना पर काम किया जा रहा है और अब उत्तराखंड सरकार ने भी बड़ी संख्या में संक्रमित रोगियों को आयुष 64 उपलब्ध कराने की योजना शुरू कर दी है और आयुष निदेशालय के अनुसार उत्तराखंड के हर जिले को जरूरत के अनुसार आयुष 64 की सप्लाई का आकलन किया जा रहा है और अनुमान लगाया जा रहा है कि उत्तराखंड को डेढ़ लाख से लेकर 2 लाख किट की जरूरत पड़ सकती है।
आयुष-64 का इस्तेमाल रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। केंद्रीय शोध संस्थाओं के द्वारा किए गए प्रयास में यह साबित हो गया है कि कोरोना रोग के उपचार में भी आयुष 64 कारगर है। केंद्रीय मंत्रालय ने भी यह साफ कर दिया है कि आयुष-64 का इस्तेमाल बिना लक्षण वाले संक्रमित (एसिमटोमेटिक), कम (माइल्ड) या मध्यम (माडरेट) संक्रमण वाले रोगियों पर ही किया जा सकता है। वहीं उत्तराखंड के वन एवं आयुष मंत्री हरक सिंह रावत का कहना है कि आयुष-64 का वितरण बड़े स्तर पर राज्य में किया जाएगा। उनका कहना है कि उत्तराखंड इस दवा का इस्तेमाल करने वाला देश का पहला राज्य होगा।