उत्तराखंड

केदारनाथ यात्रा में 107 तीर्थ यात्रियों की हुई मौत, हार्ट अटैक बन रही मौत की वजह..

केदारनाथ यात्रा में 107 तीर्थ यात्रियों की हुई मौत, हार्ट अटैक बन रही मौत की वजह..

 

 

 

 

 

 

इस साल 6 मई को केदारनाथ धाम के कपाट देश विदेश के तीर्थयात्रियों के दर्शनार्थ हेतु खोले गए थे। पहले ही दिन यहां रिकार्ड 23 हजार तीर्थयात्री दर्शनों को पहुंच गए। केदारनाथ धाम की दो महीने की यात्रा के दौरान जहां रिकार्ड 8,56,721 तीर्थयात्रियों ने भगवान केदारनाथ के दर्शन किए हैं

 

उत्तराखंड: इस साल 6 मई को केदारनाथ धाम के कपाट देश विदेश के तीर्थयात्रियों के दर्शनार्थ हेतु खोले गए थे। पहले ही दिन यहां रिकार्ड 23 हजार तीर्थयात्री दर्शन करने के लिए पहुंच गए थे। केदारनाथ धाम की दो महीने की यात्रा के दौरान जहां रिकार्ड 8,56,721 तीर्थयात्रियों ने भगवान केदारनाथ के दर्शन किए हैं वहीं इसी दौरान 107 तीर्थयात्रियों की मौत भी हुई है। धाम में लगातार श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती गयी। 4 जून तक केदारनाथ धाम में 8,56,721 तीर्थयात्रियों ने बाबा केदार के दर्शन कर लिए है। जो कि अपने आप में रिकार्ड है। वहीं केदारनाथ यात्रा में इस साल बीते सालों की तुलना में अधिक मौतें भी हुई है।

 

करीब दो महीने की यात्रा में जहां केदारनाथ धाम और पैदल यात्रा मार्ग पर 103 तीर्थ यात्रियों की मौत हार्ट अटैक, ठंड, हाईपोथरमिया व अन्य शारीरिक बीमारियों से हुई हैं। वहीं 4 लोगों की मौत पहाड़ी से पत्थर गिरने, पैर फिसलने के कारण हुई है। केदारनाथ यात्रा के बीते कुछ वर्षों पर नजर लगाएं तो 2017 में 34, वर्ष 2018 में 52, वर्ष 2019 में 52, वर्ष 2020 में 4 और वर्ष 2021 में 6 मौते पूरे छह माह की यात्रा सीजन के दौरान हुई हैं। चारधाम यात्रा में अभी चार महीने की यात्रा शेष है। इस बीच मानसून सीजन में सुरक्षित यात्रा कराना पुलिस और प्रशासन के लिए भी चुनौती बना है।

 

वहीं दूसरी ओर बीते सालों तक मानसून सीजन में यात्रियों की संख्या काफी कम होती रही है। किंतु इस बार अभी तक आंकड़ा 5 से 6 हजार के पास है। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नन्दन सिंह रजवार का कहना हैं कि केदारनाथ यात्रा में अब तक 107 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है। इनमें 103 यात्रियों की मौत हार्ट अटैक, हाईपोथरमिया व अन्य शारीरिक बीमारियों के कारण हुई है जबकि 4 मौतें आपदा से हई हैं। केदारनाथ जैसे कठिन ऊंचाई वाले स्थान पर अक्सर मैदानी क्षेत्रों से आने वाले लोगों को कुछ मुश्किलें उठानी पड़ती है।

 

 

 

 

 

 

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