उत्तराखंड

आखिर कब कब सुधरेंगे पहाड़ों में स्वास्थ्य हालात, बारिश में भीगती रही गर्भवती, रास्ते में हुआ प्रसव..

आखिर कब कब सुधरेंगे पहाड़ों में स्वास्थ्य हालात, बारिश में भीगती रही गर्भवती, रास्ते में हुआ प्रसव..

फिसलन भरी सड़क पर तीन घंटे चले ग्रामीण..

 

 

 

 

 

 

 

 

एक तरफ देश जहां आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, वहीं कई ग्राम सभाएं आज भी सड़क, स्वास्थ्य और अन्य सुविधाओं से वंचित हैं।

 

उत्तराखंड: ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी कुछ जगह ऐसी है जहाँ पर स्वास्थ्य सुविधा ग्रामवासियों तक नहीं पहुंच पायी हैं। बात अगर शहरों की करे तो आज जहाँ शहरों में विकास की रफ्तार में तेज होती जा रही है, वही गाँव के लोग अपनी दैनिक मूलभूत सुविधाओं के लिये भी संघर्ष करने के लिये मजबूर है। ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पताल एक मात्र रेफर सेंटर बन कर ही रह जाते हैं। जिसके चलते कई लोग समय पर इलाज न मिल पाने के कारण अपनी जान गवा देते हैं।

इसके बावजूद भी ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर करने के लिए कोई प्रयास नहीं किये जाते हैं। एक तरफ देश जहां आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, वहीं कई ग्राम सभाएं आज भी सड़क, स्वास्थ्य और अन्य सुविधाओं से वंचित हैं। ग्राम सभा बल्यूटी के तोक मोरा में बुधवार को गर्भवती को प्रसव पीड़ा होने पर प्रसूता को पांच किमी कुर्सी पर बैठाकर लाए लेकिन सड़क पर प्रसव हो गया।

भुजियाघाट के करीब बसे तोक मोरा गांव की दीपा जीना को प्रसव पीड़ा हुई। गांव से नैनीताल हाईवे पांच किमी दूर है। सड़क न होने की वजह से दीपा के परिजन और ग्रामीण उसे कुर्सी पर बैठाकर सड़क की ओर लाने लगे। इस दौरान मूसलाधार बारिश हो रही थी।

ग्रामीणों का कहना है कि रास्ता फिसलन भरा होने की वजह से चलना दुश्वार हो रहा था जिस वजह से गर्भवती को ले जाना बहुत मुश्किल साबित हो रहा था। कई बार संतुलन बनाना मुश्किल हो गया। रास्ते में उनके पैरों पर जोंक चिपक रहीं थीं। भारी बारिश में दीपा भी भीगती रही। किसी तरह तीन घंटे तक चलने के बाद भुजियाघाट से दस मीटर पहले प्रसव पीड़ा बढ़ गई और अपराह्न तीन बजे महिला ने सड़क पर ही बच्चे को जन्म दे दिया।

तभी वहां 108 एंबुलेंस पहुंच गई। महिला और बच्चे को एंबुलेंस से तुरंत महिला अस्पताल ले जाया गया। भुजियाघाट चौराहे के पास प्रसूता ने बच्चे को जन्म दिया तो इसकी सूचना वहां मौजूद लोगों को लग गई। तुरंत ही लोग मदद के लिए दौड़े। राहत की बात यह है कि तभी वहां एंबुलेंस पहुंच गई जिस वजह से कुछ राहत मिल गई।

 

 

 

 

 

 

 

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