उत्तराखंड

उत्तराखंड समेत हिमालयी राज्यों में बदल रहा है मौसम, तेजी से सूख रहे हैं जलस्रोत..

उत्तराखंड समेत हिमालयी राज्यों में बदल रहा है मौसम, तेजी से सूख रहे हैं जलस्रोत..

उत्तराखंड समेत हिमालयी राज्यों में बदल रहा है मौसम, तेजी से सूख रहे हैं जलस्रोत..

 

उत्तराखंड : उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर समेत देश के तमाम हिमालयी राज्यों में प्राकृतिक जलस्रोत तेजी से सूख रहे हैं। वाडिया इंस्टीट्यूट आफ हिमालयन जियोलॉजी के शोध में यह बात सामने आई है कि हाल-फिलहाल में बेहद कम समय में तेज बारिश हो रही है। इससे जल स्रोतों के रिचार्ज होने में दिक्कत आ रही है। रिचार्ज होने के लिए धीरे और सामान्य बारिश जरूरी है।

जलवायु परिवर्तन के चलते मानसून के दौरान बारिश के पैटर्न में भारी बदलाव देखने में आया है। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर समेत देश के तमाम हिमालयी राज्यों में प्राकृतिक जलस्रोत तेजी से सूख रहे हैं। वाडिया इंस्टीट्यूट आफ हिमालयन जियोलॉजी के शोध में यह बात सामने आई है कि हाल-फिलहाल में बेहद कम समय में तेज बारिश हो रही है। इससे जल स्रोतों के रिचार्ज होने में दिक्कत आ रही है। रिचार्ज होने के लिए धीरे और सामान्य बारिश जरूरी है।

इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ जलविज्ञानी डॉ एसके राय ने बताया कि दो दशक पूर्व मानसून की ज्यादातर बारिश रिमझिम होती थी। जलवायु परिवर्तन की वजह से कम समय में तेज बारिश हो रही है। इससे पानी पहाड़ों पर रुकने के बजाय तेजी से नदियों के जरिए होते हुए मैदानी क्षेत्र में पहुंच रहा है। ऐसे में पर्वतीय राज्यों में जलस्रोत रिचार्ज नहीं हो पा रहे हैं।

इंसानों के पलायन करने से पर्वतीय इलाकों में खेतीबाड़ी भी धीरे-धीरे कम हो रही है परिणाम स्वरूप खेत बंजर हो रहे हैं । इससे बारिश के दौरान खेत भी पानी सोखने की क्षमता खो रहे हैं। जलविज्ञानियों ने चेताया है कि बारिश का यही पैटर्न भविष्य में जारी रहा तो आने वाले समय में हिमालयी क्षेत्रों में प्राकृतिक जल स्रोतों के सूखने का सिलसिला और तेज होगा। नतीजा भयावह जलसंकट के रूप में सामने आएगा।

13 राज्यों में गंभीर जलसंकट..

नीति आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट में आने वाले समय में जलसंकट की आशंका जताई है। रिपोर्ट के अनुसार देश के कई इलाकों में 2030 तक पीने का पानी खत्म होने की कगार पर पहुंच जाएगा। देश की 40 फ़ीसदी आबादी तक पीने के पानी से महरूम हो जाएगी। उत्तराखंड के अलावा राजस्थान, गोवा, केरल, ओडिसा, बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, झारखंड, सिक्किम, असम, नगालैंड और मेघालय राज्य ऐसे हैं जलसंकट ज्यादा बड़ा है। भूमिगत जल का अत्यधिक दोहन होने के चलते इन राज्यों में भूमिगत जल में भी तेजी से कमी हो रही है।

महाराष्ट्र-कर्नाटक जैसे राज्यों के जलाशयों में बचा बेहद कम पानी..

देश के जलविज्ञानियों द्वारा किए गए शोध में यह बात सामने आई है कि जहां उत्तराखंड समेत कई हिमालयी राज्यों में प्राकृतिक जल स्रोत तेजी से सूख रहे हैं, वहीं महाराष्ट्र के चार बड़े जलाशयों में सिर्फ दो फीसदी ही पानी बचा है। कमोबेश यही स्थिति कर्नाटक की भी है जहां चार बड़े जलाशयों में सिर्फ एक फीसदी पानी बचा है।

देश में जरूरत से 70 फ़ीसदी ज्यादा भूमिगत जलदोहन..

शोध में यह बात भी सामने आई है कि देश के तमाम राज्यों में भूमिगत जलदोहन बड़ी तेजी से हो रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में जरूरत से 70 फ़ीसदी अधिक भूमिगत जलदोहन हो रहा है। दुनिया के लिहाज से देखें तो 24 फ़ीसदी भूमिगत जल का दोहन अकेले भारत में हो रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक जल गुणवत्ता सूचकांक में भी भारत की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। जल गुणवत्ता सूचकांक में 122 देशों में भारत 120वें पायदान पर है।

 

 

 

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