उत्तराखंड

अगले साल तक उत्तराखंड सरकार पर बजट के बराबर हो जाएगा कर्ज..

अगले साल तक उत्तराखंड सरकार पर बजट के बराबर हो जाएगा कर्ज..

केंद्रीय मदद पर रहना होगा निर्भर..

 

 

 

 

 

 

वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में लिए गए निर्णयों को क्रियान्वित करने के लिए अगले तीन साल में उत्तराखंड को देश का अग्रणीय राज्य बनाने के लिए धामी सरकार को हर साल की तरह केंद्रीय अनुदान और कर्ज पर निर्भर रहना होगा

 

 

 

 

 

उत्तराखंड: वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में लिए गए निर्णयों को क्रियान्वित करने के लिए अगले तीन साल में उत्तराखंड को देश का अग्रणीय राज्य बनाने के लिए धामी सरकार को हर साल की तरह केंद्रीय अनुदान और कर्ज पर निर्भर रहना होगा। साल दर साल राज्य के बजट का आकार बढ़कर कुल 77407.08 करोड़ हो गया है। लेकिन इसके साथ ही राज्य पर कर्ज का बोझ भी बढ़ रहा है।

यह एक अजीब संयोग है कि आगामी वित्तीय वर्ष समाप्त होने पर राज्य पर 77 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज हो चुका होगा। बता दे कि यह बुधवार को घोषित बजट के लगभग बराबर होगा। सदन पटल पर पेश सरकार के वार्षिक वित्तीय विवरण से यह खुलासा हुआ है। 31 मार्च 2023 तक राज्य के कर्ज की अनुमानित राशि 68844 करोड़ होने का अनुमान लगाया गया है।

राज्य सरकार ने सशक्त उत्तराखंड का संकल्प लिया है। उन्होंने इस संकल्प के लिए जिन उद्देश्यों की स्थापना की है, उसका झलक बजट दिखाई भी दी है। फिर भी सरकार को उद्योगपतियों, व्यापारियों, से लेकर समाज के अंतिम पंक्ति पर खड़े व्यक्तियों, किसानों, युवा और महिलाओं के विकास से जुड़ी प्राथमिकताओं को पूरा करने लिए सरकार को एक बड़ी पूंजी की आवश्यकता है।

सदन में पेश किए गए बजट का एकमात्र नया पहलू यह है कि यह लक्ष्य आधारित विकास की दिशा में सरकार का पहला कदम है। पर्यटन राज्य में मानव संसाधन विकास, सेवा क्षेत्र को विस्तार देने वाले निवेश और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों वाले राज्य में सड़क, रोपवे और हवाई कनेक्टिविटी पर सरकार का खास फोकस है।

लेकिन इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए केंद्र से 20,893 करोड़ रुपये की दरकार है। सरकार राजस्व और पूंजीगत व्यय को पूरा करने के लिए मोटे तौर पर 19,460 करोड़ रुपये कर्ज लेगी। इसमें लोक ऋण का हिस्सा 18 हजार करोड़ से अधिक का है।

कर्मचारियों के वेतन-पेंशन पर 26 हजार करोड़ खर्च होंगे..

सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती कर्मचारियों और पेंशनरों के वेतन-भत्तों व पेंशन के लिए धनराशि जुटाने की है। एक साल में सिर्फ वेतन पर 18000 करोड़ खर्च होंगे, जबकि पेंशन पर 7601 करोड़ खर्च होंगे। यानी इन चीजों को खरीदने के लिए सरकार को 26,000 करोड़ रुपये से अधिक की आवश्यकता होगी। सरकार की आमदनी में से 11,525 करोड़ रुपये पुराने कर्ज की किस्त लौटाने और 6166 करोड़ वर्षों से लगातार लिए जा रहे कर्ज का ब्याज चुकाने पर खर्च करने होंगे।

 

 

 

 

 

 

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