उत्तराखंड

उक्रांद नेता ने सुमाड़ी मोटरमार्ग निर्माण आंदोलनकारियों को दिया समर्थन..

उक्रांद नेता ने सुमाड़ी मोटरमार्ग निर्माण आंदोलनकारियों को दिया समर्थन..

उत्तराखंड: सुमाड़ी (सेमा-लड़ियासु) बिराणगांव-जाखाल मोटरमार्ग निर्माण की मांग को लेकर स्थानीय लोगों का अनिश्चितकालीन धरना वन विभाग से मिले आवश्वासन के बाद स्थगित कर दिया गया है। संघर्ष समिति ने स्पष्ट किया कि एक माह के बाद वन भूमि की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई तो ग्रामीण आमरण अनशन को मजबूर होंगे।

दरअसल, वर्ष 2010 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने सुमाड़ी (सेमा-लड़ियासु) बिराणगांव-जाखाल मोटरमार्ग की घोषणा की थी। स्वीकृति के एक दशक बाद भी सड़क निर्माण नहीं हुआ है। जबकि स्थानीय लोग कई बार आंदोलन कर चुके हैं। सड़क न होने से ग्रामीणों को चार किमी पैदल चलना पड़ता है। सबसे अधिक समस्या बीमार लोगों को होती है। कई बार बीमार व्यक्ति रास्ते में दम तोड़ देते हैं। सड़क निर्माण के लिए साढ़े तीन हैक्टेयर जमीन अधिग्रहित की गई है। जिसके एवज में सात हैक्टेयर जमीन वृक्षारोपण के लिए चिन्हित की जानी थी। अब वन विभाग ने लौंगा गांव में आरक्षित जमीन चिन्हित की है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जल्द सड़क निर्माण का कार्य शुरू नहीं हुआ तो ग्रामीण उग्र आंदोलन करेंगे और आगामी विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे।

 

इस मौके पर उपाध्यक्ष गोपाल बर्त्वाल, विशंभर गौड़, सर्वेश्वर गौड़, सचिव आशा सिंह, राजेन्द्र पंवार, कार्तिक बर्त्वाल, मगनानंद सेमवाल, सतीश गौड़, दिनेश गौड़, कमला सेमवाल, हरीश भट्ट, गोपाल बर्त्वाल, राजेन्द्र पंवार, परमानंद गौड़, गंभीर बर्त्वाल, सचदेव बर्त्वाल, गुलाब सिंह रौथाण, समेत कई ग्रामीण मौजूद थे।वहीं ब्लॉक प्रमुख प्रदीप थपलियाल, पूर्व जिला पंचायत सदस्य शांति भट्ट ने समर्थन दिया।

उत्तराखंड क्रांति दल के युवा नेता मोहित डिमरी ने सुमाड़ी (सेमा-लड़ियासु) बिराणगांव-जाखाल मोटरमार्ग निर्माण की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे आंदोलनकारियों को समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक से ग्रामीण सड़क की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन सरकारों के कान में जूं तक नहीं रेंग रहा। उन्होंने कहा कि अब सड़क के लिए आर-पार की लड़ाई होगी। सड़क निर्माण में बाधा डाल रहे अधिकारियों का घेराव किया जा रहा है। वहीं उक्रांद के कमल रावत ने कहा कि राज्य बने बीस साल हो गए हैं और आज भी ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के किये मोहताज हैं। इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है।

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