उत्तराखंड

टिहरी बोलेरो हादसे ने खोली सरकार व्यवस्था की पोल..

टिहरी बोलेरो हादसे ने खोली सरकार व्यवस्था की पोल..

बिना परमिट और ग्रीन कार्ड के यात्रा मार्ग पर दौड़ रहे वाहन.

 

 

 

 

 

टिहरी में हुए बोलेरो वाहन के हादसे ने सरकार की पूरी व्यवस्था की पोल खोल दी। टिहरी हादसे की प्रारंभिक जांच में पता चला कि वाहन का परमिट व टैक्स मार्च-2021 को खत्म हो चुका था। वाहन का ग्रीन-कार्ड भी नहीं था।

 

उत्तराखंड: वैसे तो सरकार चारधाम यात्रा के दौरान जगह-जगह चेकिंग अभियान चलाने का दावा कर रही हैं। परिवहन विभाग, पुलिस-प्रशासन लाख दावे कर रहे कि चारधाम यात्रा मार्ग पर वाहनों की जगह-जगह चेकिंग हो रही, लेकिन हकीकत इससे एकदम उलटी ही नजर आ रही है।

 

हालात ये हैं कि व्यावसायिक वाहन परमिट, फिटनेस, टैक्स व ग्रीन कार्ड के बिना यात्रा मार्गों पर बेधड़क दौड़ रहे हैं। बुधवार को टिहरी में हुए बोलेरो वाहन के हादसे ने सरकार की पूरी व्यवस्था की पोल खोल दी। टिहरी हादसे की प्रारंभिक जांच में पता चला कि वाहन का परमिट व टैक्स मार्च-2021 को खत्म हो चुका था। वाहन का ग्रीन-कार्ड भी नहीं था।

आपको बता दे कि बुधवार को टिहरी में पर्यटकों को लेकर गंगोत्री के समीप ट्रैकिंग के लिए ले जा रहा बोलेरो वाहन दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। जिसके बाद शासन ने उच्च स्तरीय जांच बैठा दी है। यह वाहन उत्तरकाशी जिले में पंजीकृत है। प्रारंभिक जांच में पता चला कि वाहन का परमिट नौ मार्च-2021 को खत्म हो चुका था।

 

इसका टैक्स भी जमा नहीं है, जबकि वाहन की फिटनेस व बीमे की वैधता बची हुई थी। चारधाम यात्रा मार्ग पर दौड़ने को व्यावसायिक वाहनों के लिए ग्रीन-कार्ड की अनिवार्यता है, लेकिन इस वाहन के पास ग्रीन-कार्ड भी नहीं था।

साथ ही वाहन ने चारधाम यात्रा मार्ग पर परिवहन विभाग की दो-दो चेकपोस्ट भी पार की। जिनमें भद्रकाली व फकोट चेकपोस्ट शामिल हैं। बिना परमिट, टैक्स व ग्रीन-कार्ड के दौड़ रहे इस वाहन को कहीं नहीं रोका गया। जो कि अपने आप में बड़ा सवाल है।

 

उत्तरकाशी के एआरटीओ मुकेश सैनी का कहना है कि वाहन का परमिट मार्च 2021 में खत्म हो गया था। वहीं, टिहरी के एआरटीओ सीपी मिश्रा का कहना हैं कि वाहन के पास ग्रीन-कार्ड भी नहीं था, जबकि यह बेहद जरूरी है।

 

चारधाम यात्रा मार्ग पर जाने वाले समस्त व्यावसायिक यात्री वाहनों के लिए परिवहन विभाग से ग्रीन-कार्ड व ट्रिप-कार्ड लेने की अनिवार्यता है। ग्रीन-कार्ड से पूर्व वाहन की पूरी तकनीकी व कागजों की जांच होती है। वहीं, ट्रिप-कार्ड में यात्रियों का पूरा रिकार्ड व स्थल दर्ज होता है।

 

 

 

 

 

 

 

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