क्या हो सकते हैं बच्चों में संक्रमण के लक्षण कितना खतरनाक है ओमिक्रॉन..
जानिए एक्सपर्ट्स की राय
देश- विदेश: देश भर में विशेष रूप से महाराष्ट्र और दिल्ली में ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों से लोगों में एक बार दहशत है। लोगों के मन में एक बार फिर कोरोना की लहर को लेकर डर बना हुआ है। इस बीच सबसे ज्यादा डर उन माता-पिता के जेहन में है, जिनके बच्चे अभी भी कोरोना टीकाकरण के पात्र नहीं हैं। दिन ब दिन बढ़ते कोरोना के मामले एक नया पैदा कर रहे हैं। इस बीच विशेषज्ञों ने बताया कि बच्चों में ओमिक्रॉन कितना ज्यादा खतरनाक है।
मुंबई और दिल्ली के विशेषज्ञों का कहना है कि हालांकि बच्चों सहित कोरोना रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है लेकिन अभी भी उनमें केवल हल्के लक्षण ही दिख रहे हैं। दिल्ली स्थित फोर्टीस अस्पताल में पल्मोनोलॉजी के निदेशक डॉ. विकास मौर्य के अनुसार, “आजकल, हम कई लोगों को बुखार, गले में खराश और खांसी के लक्षणों के साथ कोरोना पॉजिटिविटी देख रहे हैं। ये लक्षण वयस्कों और बच्चों दोनों के मामलों में देखा जा रहा है, हालांकि इनमें से अधिकांश में हल्के लक्षण हैं।”
एक्सपर्ट के मुताबिक बच्चों में बुखार, खांसी, गले में खराश और गले में दर्द जैसे लक्षण सबसे ज्यादा देखने को मिलते हैं। ऐसे में बच्चों में संक्रमण विकसित होने का खतरा बना हुआ है क्योंकि वे अब तक असंक्रमित हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड -19 मामलों की मौजूदा वृद्धि का प्रभाव अब तक बच्चों पर ज्यादा नहीं रहा है।
मुंबई स्थित ग्लोबल हॉस्पिटल में पल्मोनोलॉजी विभाग के सीनीयर कंसल्टेंट हरीश चाफले के मुताबिक, “जैसा कि हम सभी ओमिक्रॉन और डेल्टा वैरिएंट के साथ कोविड -19 मामलों की बढ़ती संख्या देख रहे हैं, जो इस वक्त कोरोना की बढ़ती रफ्तार के लिए संयुक्त रूप से जिम्मेदार हैं। जैसा कि सर्वविदित है कि यह प्रकार अत्यधिक संक्रामक है और वयस्कों में इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। बच्चों पर अब तक ओमिक्रॉन का असर इतना अधिक नहीं है, लेकिन वयस्कों के कारण वे इससे प्रभावित हो सकते हैं। इसलिए बच्चों में इस तरह के संक्रमण विकसित होने का खतरा है क्योंकि वे अब तक असंक्रमित हैं।”
डॉ शैफले के मुताबिक, बच्चों में ओमिक्रॉन के ज्ञात लक्षण मुख्य रूप से ऊपरी श्वसन पथ के संक्रमण हैं, जैसे बुखार, नाक बहना, गले में दर्द, शरीर में दर्द और सूखी खांसी। बच्चों की सुरक्षा का सबसे अच्छा तरीका है कि कोविड के उचित व्यवहार का पालन किया जाए। वयस्कों की जिम्मेदारी है कि वे मास्क पहनें और पूरी कोशिश करें कि संक्रमण घर में न लाए।
डॉ. चाफले कहते हैं, “जहां तक बच्चों की सुरक्षा का सवाल है, हम जानते हैं कि मास्क पहनना ही एकमात्र उपाय है जिससे हम उन्हें किसी भी प्रकार से संक्रमित होने से रोक सकते हैं। इसलिए, इस आयु वर्ग में ऐसा होने के लिए वयस्कों को कोविड के उचित व्यवहार का पालन करना शुरू कर देना चाहिए और एक भूमिका निर्धारित करनी चाहिए। बच्चों के लिए भी इसी मॉडल का पालन करें। वयस्कों को ठीक से मास्क पहनना चाहिए ताकि बच्चे भी उनसे मास्क पहनना सीखें और हाथों को नियमित रूप से धोते रहें।”