वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार चारु चंद्र चंदोला का शनिवार देर रात करीब 11.45 बजे निधन हो गया
देहरादून : वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार चारु चंद्र चंदोला का शनिवार देर रात करीब 11.45 बजे निधन हो गया। बीते सोमवार 13 अगस्त को मस्तिष्क आघात (ब्रेन हेमरेज) के बाद उन्हें दून अस्पताल के आईसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया था। जहां वे पिछले पांच दिनों से जिंदगी की जंग लड़ रहे थे। कल 18 अगस्त 2018 को देर रात देहरादून के दून अस्पताल में निधन होे गया है । वे अपने पीछे पत्नी राजेश्वरी चंदोला बेटी सैफाली और साहित्या का भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनकी बड़ी बेटी की शादी हो चुकी है, वे मुंबई में रहती हैं। छोटी बेटी 18/12 पटेल मार्ग स्थित आवास में अपनी मां के साथ रहती हैं। 22 सितंबर, 1938 में मम्यो (अब म्यांमर) में जन्मे चंदोला का बाल्यकाल पौड़ी जनपद के सुमाड़ी गांव में अपने मामा के घर पर बीता। यहीं उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा भी हुई। इसके बाद डीएवी पौड़ी से हाईस्कूल, ईविंग क्रिश्चियन कॉलेज, इलाहाबाद से इंटर और फर्ग्यूसन कॉलेज, पुणे से उन्होंने स्नातक किया। कई पत्र-पत्रिकाओं में अपनी सेवाएं देने के साथ चारु चंद्र चंदोला का साहित्य सृजन भी निरंतर जारी रहा।
‘अच्छी सांस’, ‘चलते-चलाते’, ‘उगने ने दो दूब’, ‘कुछ नहीं होगा’, ‘बिन्सरि’, ‘पौ’, ‘कविता में पहाड़’ आदि उनके प्रमुख काव्य संग्रह हैं। चारु चंद्र चंदोला की लेखनी में पहाड़ हमेशा प्रमुखता में रहा। वे प्रमुख अखबारों में छपने वाले अपने कॉलम ‘सरग दिदा’ में पहाड़ के ज्वलंत मुद्दों को लेकर दहाड़ते थे, तो अपनी काव्य रचनाओं में उतनी ही सौम्यता से पहाड़ की सुंदरता का बखान भी करते थे।
चंदोला जी ने अपनी पत्रकारिता का सफर ” टाइम्स ऑफ इंडिया ” मुम्बई से शुरु किया । वे बतौर प्रशिक्षु पत्रकार ” टाइम्स ऑफ इंडिया ” में भर्ती हुए . उसके बाद मुम्बई के ” फ्री प्रेस जर्नल ” , ” पूना हेरल्ड ” ( पूना ) , पायनियर , स्वतंत्र भारत , नेशनल हेरल्ड ” , अमर उजाला ( मेरठ ) , युगवाणी आदि विभिन्न पत्र – पत्रकाओं के लिए पत्रकारिता की । वे पिछले पॉच दशकों से ” युगवाणी ” अखबार व पत्रिका के समन्वय सम्पादक थे ।