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इस शक्तिपीठ पर गिरा था माता सती का दाहिना वक्ष..

शक्तिपीठ

इस शक्तिपीठ पर गिरा था माता सती का दाहिना वक्ष..

मां ब्रजेश्वरी मंदिर की अद्भुत कथा..

देश -विदेश : हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा क्षेत्र में नगरकोट धाम कांगड़ा की माता ब्रजेश्वरी देवी का सर्वश्रेष्ठ स्थान है। मान्यता है कि इस स्थान पर सती का बायां वक्षस्थल गिरा था। जनसाधारण में ये कांगड़े वाली देवी के नाम से विख्यात हैं।

ब्रजेश्वरी देवी मंदिर का पांडवों ने उद्धार किया था। बाद में सुशर्मा नाम के राजा द्वारा इसे फिर से स्थापित किया गया था। महाराजा रणजीत सिंह ने स्वयं इस मंदिर में आकर माता रानी को स्वर्ण छत्र अर्पित किया था। वर्ष 1905 में आए भूकंप में इस मंदिर का अधिकांश भाग नष्ट हो गया था। तब पुराने ढांचे के आधार पर ही मंदिर को नया रूप दिया गया।

कांगड़ा नगर चौक से 3 किलोमीटर की दूरी पर पर्वतीय खंड के बगल में कांगड़ा दुर्ग क्षेत्र में स्थित इस मंदिर में तीन शिखर हैं। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपने विवरण में नगरकोट की ब्रजेश्वरी देवी का वर्णन किया है। यह मंदिर न सिर्फ अपनी विशालता, बल्कि उत्कृष्ट शिल्प सौंदर्य के लिए भी प्रसिद्ध रहा है।

प्रवेश द्वार से अंदर जाते ही मंदिर के प्रांगण के ठीक सामने ही दीवार पर ताखों में ध्यानू भक्त का स्थान है, जिसके दोनों तरफ शेर बने हैं। मंदिर के पीछे सूर्य देवता, भैरव जी व वटवृक्ष हैं, तो दूसरी तरफ मां तारा देवी, शीतला माता मंदिर और दशविद्या भवन स्थित हैं। मंदिर के पुजारी रामेश्वर नाथ बताते हैं कि यहां के भैरव जी किसी प्रकार के अनिष्ट की सूचना पहले ही दे देते हैं। तब भैरव जी की आंखों से आंसू गिरते प्रतीत होते हैं।

यहां मकर संक्रान्ति महोत्सव बहुत खास होता है, जो एक सप्ताह तक चलता है। मान्यता है कि सतयुग में राक्षसों का वध करके ब्रजेश्वरी देवी ने महायुद्ध में विजय प्राप्त की, तो सभी देवी-देवताओं ने उनकी स्तुति की और देवी के शरीर पर जहां-जहां चोट व घाव बने थे, उस पर घृत का लेपन किया। उनके शरीर पर मक्खन लगाकर उन्हें शीतलता प्रदान की।

मकर संक्रान्ति का पुण्य दिन था। तभी से यह परम्परा मानते हुए हर वर्ष यहां मकर संक्रान्ति को माता के ऊपर पांच मन देसी घी का लेपन कर मक्खन, मेवों, मौसमी फलों से माता की पूजा की जाती है। रंग-बिरंगे फूलों व लताओं से देवी का शृंगार किया जाता है। यह क्रम एक सप्ताह चलता है। इस महोत्सव को देखने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं।

यहां के लिए हिमाचल प्रदेश और सीमावर्ती राज्यों के शहरों से सीधी बस की सुविधा उपलब्ध है। पठानकोट निकटतम रेलवे स्टेशन है। वहां से लगभग 3 घंटे में सड़क मार्ग से पहुंच सकते हैं। छोटी रेल लाइन से कांगड़ा मंदिर स्टेशन पर उतरना उचित है। मंदिर नगर क्षेत्र में ही है, इसलिए पहुंचने में परेशानी नहीं होती।

 

 

 

 

 

 

 

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