जिंदल ग्रूप के प्रमुख और आर्किटेक्ट ने लिया केदारपुरी का जायजा
2018 में होगा शंकराचार्य समाधि स्थल का निर्माण
मंदिर मार्ग के चौड़ीकरण कार्य में बढ़ाई गई दो मशीने
रुद्रप्रयाग। केदारनाथ मंदिर के रि-डेवलपमेंट को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं खासी दिलचस्पी ले रहे हैं। वे पुनर्निर्माण कार्य की हर जानकारी ले रहे हैं और धाम में होने वाले कार्यों का डिजायन तैयार होने पर उसकी मंजूरी दे रहे हैं। केदारनाथ पहुंचे जिंदल ग्रूप के प्रमुख सज्जन जिंदल ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि केदार मंदिर के पीछे आदिगुरू शंकराचार्च की समाधिस्थल के पुनर्निर्माण कार्य शुरू होने में दो माह का समय लग सकता है। मुंबई से आये आर्किटेक्ट और जिंदल ग्रूप के प्रमुख सज्जन जिंदल ने जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल के साथ निर्माण स्थल क्षेत्र का जायजा लिया। दूसरी ओर धाम में हो रहे रि-डेवलपमेंट कार्यों के तहत संगम से मंदिर परिसर तक रास्ते के चैड़ीकरण के लिए मशीनों की संख्या बढ़ा दी गई है।
दरअसल, केदारनाथ मंदिर के पीछे आदिगुरू शंकराचार्य की समाधिस्थल के पुनर्निर्माण को लेकर मुंबई से आए आर्किटेक्ट ने जायजा लिया। अब डिजाइन तैयार किया जायेगा, जिसमें कम से कम डेढ़ से दो माह का समय लग सकता है। संभावना है कि वर्ष 2018 जनवरी अंतिम सप्ताह या फरवरी से समाधि स्थल का पुनर्निर्माण कार्य शुरू होगा। ज़िलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि केदारनाथ धाम में लोक निर्माण विभाग की ओर से संगम से परिसर तक ढाई सौ मीटर पैदल मार्ग के चौड़ीकरण कार्य को तय समय तक पूरा करने के लिए एक जेसीबी और एक पोकलैंड और काम पर लगा दी है। पचास फीट चौड़ीकरण के लिए मार्ग के दोनों तरफ से पांच से छः मीटर कटिंग की जा रही है।
जिंदल ग्रुप के प्रमुख सज्जन जिंदल ने कहा कि केदारनाथ मंदिर का निर्माण आठवीं सदी है। मंदिर का इतिहास हजारों साल से जुड़ा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत केदारनाथ के विकास को लेकर खासी दिलचस्पी ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि शंकराचार्य की समाधि स्थल का डिजायन स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देखना चाहते हैं, इसलिए केदारपुरी का जाजया लिया गया है।
जिस तरह शासन-प्रशासन और केन्द्र सरकार केदारनाथ रि-डेवलपमेंट को लेकर खासी दिलचस्पी दिखा रही है और केदारपुरी का समय -समय पर जायजा लिया जा रहा है, उससे तो लगता है कि छः माह के भीतर केदारनाथ का नक़्शा बदल जायेगा। मगर सवाल यह भी है कि अगर समय से केदारपुरी में कार्य नहीं किये गये, इसका खामियाजा सरकार को आगामी चुनावों में भुगतना पड़ सकता है और विपक्षी पार्टी को बैठे बिठाये मुद्दा मिल जायेगा।