उत्तराखंड

चुनावी साल में पीएम मोदी के मास्टरस्ट्रोक से बदल सकते हैं उत्तराखंड में तराई समीकरण,पढ़िए पूरी खबर..

चुनावी साल में पीएम मोदी के मास्टरस्ट्रोक से बदल सकते हैं उत्तराखंड में तराई समीकरण,पढ़िए पूरी खबर..

 

 

 

उत्तराखंड: चुनाव से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मास्टरस्ट्रोक से भाजपा को उत्तराखंड में भी संजीवनी मिल गई है। जिन कृषि कानूनों से किसान नाराज चल रहे थे, उन्हें वापस लेकर भाजपा ने चुनावी साल में बड़ा डेमेज कंट्रोल करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। उत्तराखंड में हरिद्वार, यूएसनगर, देहरादून और नैनीताल जिले की 25 से अधिक सीटों पर किसानों का प्रभाव है। पीएम मोदी के इस ऐतिहासिक फैसले से उत्तराखंड में भी चुनावी समीकरण बदल सकते हैं। ​

 

किसान आंदोलन रहा है चुनावी ​हथियार..

आपको बता दे कि उत्तराखंड में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी किसानों को साधने की कोशिश में जुटकर भाजपा को पटखनी देने में जुटे थे। किसान आंदोलन को कांग्रेस और आप चुनावी हथियान बना चुकी है। लेकिन अब कृषि कानूनों को वापस लेकर भाजपा को किसानों को पक्ष में बैटिंग करने का मौका मिल गया है। उत्तराखंड के चुनाव में 2022 चुनाव में तराई समीकरण हॉट बन गया है। जिसका कारण भी किसान आंदोलन माना गया। 21 साल में उत्तराखंड में गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र को देखते हुए ही निर्णय लिए जाते रहे हैं।

 

लेकिन बीते कुछ समय से उत्तराखंड में तीसरे समीकरण तराई को भी राजनैतिक दल फोकस कर रहे हैं। इसके पीछे की पहली वजह किसानों का आंदोलन ही माना गया है। भाजपा के लिए किसान आंदोलन सबसे बड़ा चेलेंज साबित हुआ। पहले कृषि कानूनों का विरोध और चुनावी साल में सीएम पुष्कर सिंह धामी और प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक का तराई क्षेत्र से आना। खास बात ये है कि धामी को बीजेपी हाईकमान ने ऐसे समय में कमान सौंपी जब पूरे देश में​ किसानों का आंदोलन चल रहा था।

 

हरिद्वार और यूएसनगर में बदलेगी चुनावी फिजा..

उत्तराखंड में 4 जिलों पर किसानों का प्रभाव है। जिसमें सबसे ज्यादा हरिद्वार और यूएसनगर जिले में है। ऐसे में बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी इस मुद्दे पर चुनावी साल में गंभीरता से फोकस कर रहे हैं। सबसे पहले कांग्रेस ने सत्ता वापसी के लिए परिवर्तन यात्रा निकालने का ऐलान किया। जिसके लिए सबसे पहले तराई क्षेत्र को चुना गया। कांग्रेस ने किसान आंदोलन को देखते हुए सबसे पहले चरण की शुरूआत खटीमा, यूएसनगर, रुद्रपुर जैसे इलाकों से की। जहां किसानों का सबसे बड़ा वोटबैंक है। आम आदमी पार्टी ने भी किसान आंदोलन का राजनीतिक लाभ लेने के लिए अपने संगठन में बड़े स्तर पर फेरबदल कर तराई क्षेत्र को शामिल कर लिया।

 

 

 

कांग्रेस की तरह आप ने भी तराई क्षेत्र का अलग कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है। आप ने उत्तराखंड के भौगोलिक समीकरणों का अध्ययन करने के बाद 3 कार्यकारी अध्यक्ष बनाए हैं। कुमाऊं, गढ़वाल की तरह तराई को अपने संगठन में जगह देना इसी रणनीति का​ हिस्सा माना गया। लेकिन अब पीएम मोदी के मास्टरस्ट्रोक से विपक्ष को अपनी रणनीति में बदलाव करना होगा। चुनावी साल में अब तक उत्तराखंड में जितने सर्वे हुए उनमें भाजपा के पीछे रहने का कारण किसानों की नाराजगी को भी माना गया। भाजपा के लिए अब ऐसी सीटों पर वापसी करने का मौका मिल गया है। जहां किसानों का वोटबैंक बहुत प्रभावी है। इन्हीं सीटों पर भाजपा के दिग्गज नेताओं की साख भी दांव पर लगी है।

 

 

 

 

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

To Top