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शहीद हवलदार प्रदीप थापा की अंतिम यात्रा में उमड़ा सैलाब..

शहीद हवलदार प्रदीप थापा

शहीद हवलदार प्रदीप थापा की अंतिम यात्रा में उमड़ा सैलाब..

नम आंखों से दी विदाई..

 

देश-विदेश : नागालैंड में शहीद हुए हवलदार प्रदीप थापा को रविवार को नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई। इस दौरान शहीद की पत्नी और परिजनों के विलाप ने हर किसी की आंखें नम कर दी। आवास पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी सहित सेना के अधिकारियों ने शहीद को श्रद्धासुमन अर्पित किए।

इसके बाद टपकेश्वर शमशान घाट में सैन्य सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार किया गया। गोरखा राइफल्स के जवानों ने हवा में तीन राउंड गोलियां दागकर शहीद को अंतिम सलामी दी। शहीद के भाई मदन थापा ने उनकी चिता को मुखाग्नि दी।

1/3 गोरखा राइफल्स के हवलदार प्रदीप थापा शुक्रवार सुबह ड्यूटी के दौरान शहीद हो गए थे। रविवार सुबह उनका पार्थिव शरीर अनारवाला स्थित उनके आवास लाया गया, तो घर में कोहराम मच गया। शहीद की पत्नी सुजाता पति के पार्थिव शरीर से लिपटकर रोते-रोते बेसुध हो गई। वहीं, भाई मदन का भी रो-रोकर बुरा हाल था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी शहीद की यात्रा में सम्मिलित हुए।

इस दौरान सीएम ने परिजनों से भेंट कर अपनी शोक संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा हवलदार प्रदीप थापा के बलिदान को हम नमन करते हैं। मुख्यमंत्री ने विश्वास दिलाया कि उत्तराखंड सरकार शहीद परिवार के साथ हमेशा खड़ी रहेगी। उन्होंने कहा ईश्वर शहीद परिवार को दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करे। इस दौरान कांग्रेस नेता गोदावरी थापली सहित कई स्थानीय जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।

 

मासूम बच्चों को देख हर आंख नम..

शहीद प्रदीप अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैैं। उनकी दो बेटियां व एक बेटा है। 12 वर्षीय बेटी सौम्या कक्षा छह व दस वर्षीय शिया कक्षा चार में पढ़ती है। बेटा ईवान अभी सवा साल का है। शहीद के अंतिम दर्शनों को आए स्थानीय लोग ने स्वजन को ढांढस बंधाने की पूरी कोशिश की, पर शहीद के छोटे-छोटे बच्चों को देखकर वे खुद भी अपनी आंखों से आंसू नहीं रोक पाए।

सैन्य परंपरा की मिसाल है परिवार..

शहीद का परिवार वीरभूमि उत्तराखंड की सैन्य परंपरा की जीवंत मिसाल है। उनके पिता अमर थापा सूबेदार मेजर पद से सेवानिवृत्त हुए।

बड़े भाई मनोज थापा नायक और छोटे भाई मदन थापा लांसनायक पद से सेवानिवृत्त हैैं। प्रदीप ने छुट्टी लेकर जनवरी में घर आने की बात कही थी, पर अफसोस उनका तिरंगे में लिपटा शरीर आया।

 

 

 

 

 

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