उत्तराखंड

न्याय देवता के रूप में जाने जाते हैं मदमहेश्वर: केदार लिंग..

न्याय देवता के रूप में जाने जाते हैं मदमहेश्वर: केदार लिंग..

त्रिदिवसीय मदमहेश्वर मेले का आगाज, राॅवल के प्रतिनिधि ने किया शुभारंभ..

मेले के पहले दिन स्कूली छात्रों ने दी शानदार प्रस्तुतियां..

 

 

 

रुद्रप्रयाग। राइंका ऊखीमठ के खेल मैदान में आयोजित त्रिदिवसीय मदमहेश्वर मेले के उद्घाटन अवसर पर राॅवल भीमाशंकर लिंग के प्रतिनिधि के रूप में बतौर देव अतिथि के रूप में शिरकत करते हुए डाॅ केदार लिंग ने कहा कि भगवान मदमहेश्वर न्याय के देवता के रूप में माने जाते हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्य को हमेशा पुण्य क्षेत्र का स्मरण कर पुण्य क्षेत्र में गमन करना चाहिए। जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह ने कहा कि मदमहेश्वर मेला धार्मिक के साथ आध्यात्मिक भी हैं। इसलिए मेले में शिरकत करने से मन को अपार शान्ति मिलती है।
जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुमन्त तिवारी ने कहा कि त्रिदिवसीय मदमहेश्वर मेला धीरे-धीरे भव्य रुप लेने लगा है तथा भविष्य में इस मेले को और अधिक भव्य बनाने के सामूहिक प्रयास किये जायेंगे।

 

क्षेत्र पंचायत प्रमुख श्वेता पाण्डेय ने कहा कि मेलों के आयोजन से मानव में आपसी प्यार प्रेम सौहार्द बना रहता है। दिल्ली उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता संजय शर्मा दरमोड़ा ने कहा कि संस्कृति के संरक्षण के लिए सामूहिक पहल करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मेला अध्यक्ष विजय राणा ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। मेले के शुभारंभ अवसर पर राइंका, जूनियर हाईस्कूल पठाली, महिला मंगल दल डंगवाडी, सारी, भेंसारी, सरस्वती विद्या मन्दिर, कन्या हाई स्कूल, एवरग्रीन, भारत सेवा आश्रम सहित विभिन्न विद्यालयों, महिला मंगल दलों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रही।

 

मेले में स्वास्थ्य विभाग, होम्योपैथिक, चित्रलेखा, आयुर्वेदिक, राजयोग सेवा केन्द्र, कृर्षि, उद्यान, राष्ट्रीय आजीविका मिशन, पशुपालन, जिला उद्योग केन्द्र, एटी इण्डिया, बाल विकास, वन विभाग सहित विभिन्न विभागों द्वारा स्टाॅल लगाकर काश्तकारों व ग्रामीणों को अनेक विभागीय जानकारी दी जा रही हैं। कार्यक्रम का संचालन रघुवीर पुष्वाण व भूपेन्द्र राणा ने संयुक्त रूप से किया। इस मौके पर प्रधान पुजारी शिव शंकर लिंग, बागेश लिंग, टी गंगाधर लिंग, केदार सभा अध्यक्ष विनोद शुक्ला, धर्माधिकारी ओंकार शुक्ला, सचिव प्रकाश रावत, वेदपाठी विश्व मोहन जमलोकी, नवीन मैठाणी, सभासद पूजा देवी, सरला रावत, प्रदीप धर्म्वाण, रवींद्र रावत, विजेन्द्र नेगी, कैलाश पुष्वाण, राजकुमार तिवारी, प्रधानाचार्य विश्वनाथ बेंजवाल, दिनेश चन्द्र सेमवाल, जगदीश लाल, श्याम सिंह बिष्ट, अंजना रावत, व्यापार संघ अध्यक्ष राजीव भटट्, देवी प्रसाद तिवारी, रणवीर धर्म्वाण, चन्द्र मोहन उखियाल, लक्ष्मण सिंह कपरवाण सहित मेला समिति पदाधिकारी, सदस्य विभिन्न विद्यालयों के शिक्षक, नौनिहाल, जनप्रतिनिधि व ग्रामीण मौजूद थे।

सामाजिक कुरीतियों पर कवियों ने कसे तंज

त्रिदिवसीय मदमहेश्वर मेले का पहला दिन कलश संस्था के कवियों के नाम रहा। कलश के कवियों ने अंधविश्वास पर कटाक्ष, स्थानीय रीति रिवाजों और परम्पराओं को अक्षुण्ण रखने की दिशा में काव्य पाठ किया। कलश के प्रणेता ओम प्रकाश सेमवाल ने होणि खाण्यौ समौ दगड़्या फेर से बौड़ीगे ऐगे भयों, भल्यारौ समौ दगड़्या फेर से बौड़ीगे ऐगे भयों। गणेश खुगशाल गणी ने एकी भितर मा एकी रुसड़ो खैकि, जब एक बुबै औलाद इन छन, मुरली दीवान ने मेरो बुड्या तै जमनौ आठ पास पर क्य कन नौकरि ना चाकरि पैदल बटौ गाजर घास, तेजपाल रावत निर्मोही चला दादु मिलीक तौं रीति-रिवाजों तैं खोजीक ल्ह्यौला, अनूप नेगी ने द्वी ही लोग भौत छिन ये द्यौस चलौणौ तैं पर शर्त केवल एक हि च घौर गुजरात होण चैन्द, उपासना सेमवाल ने सुख मेटि मेटी थकी जिन्दगी, दुख स्हौणौ सगोर भी होण चैन्द, सुरेन्द्र दत्त नौटियाल ने काशी विश्वनाथ दैनु ह्वे काव्य प्रस्तुत कर दर्शकों का खूब मनोरंजन किया।

 

 

 

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