उत्तराखंड

केदारनाथ आपदा बरसी या यूँ बोले कभी ना भूलने वाले वो दिन..

केदारनाथ आपदा बरसी या यूँ बोले कभी ना भूलने वाले वो दिन..

केदारनाथ: आज केदारनाथ आपदा को 8 वर्ष हो रहें पर सच्च बोले तो आज के दिन सुन कर रूह कांपती है, इस प्रलयकारी आपदा ने पूरे केदारनाथ (Kedarnath disaster) को बदल कर रख दिया था. इस आपदा के कारण हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई, लाखों लोगों का रोजगार छिन गया तो वहीं हजारों लोगों से उनका आशियाना ही छिन गया. बता दें कि 16/17 जून वर्ष 2013 की भयावह केदारनाथ आपदा को शायद ही कोई भूल पाया हो. इस आपदा ने सबकी रूह को कंपा दिया था.

 

केदारनाथ से आए भूचाल ने ऐसा तांडव मचाया कि लोगों के आशियाने तिनके की तरह उझड़ने लगे और हजारों लोग इस आपदा का शिकार हो गए. केदारनाथ आपदा (Uttarakhand Disaster 2013) में केदारघाटी के लोगों ने अपनो को खोया, इन गांवों में हर परिवार से एक से दो लोगों की जान इस आपदा के कारण गई थी. आपदा के बाद सरकार ने मदद तो की, लेकिन रोजगार को लेकर सरकार ने कोई कदम नहीं उठाए. प्राइवेट संस्थाओं की ओर से पीड़ितों के आंसू पोछने का काम किया गया, जो नाकाफी ही रहा.

मौत का सटीक आंकड़ा आज तक नहीं मिला.

आपदा में कितने लोगों की जान गई इसका भी सटीक आंकड़ा किसी के पास नहीं है, लेकिन हजारों लोगों की मरने की सूचना पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज है. इस आपदा में भारत के ही नहीं बल्कि विदेश के लोगों ने भी अपनी जान गंवाई थी. केदारनाथ की प्रलयकारी आपदा (Kedarnath Disaster 2013) के चश्मदीद आज भी उस पल को सोचकर डर जाते हैं.

हेलीकॉप्टर हादसों में 23 लोगों से गवाई थी जान..

आपदा के बाद केदारनाथ में हेलीकॉप्टर हादसे भी हुए, जिसमें वायु सेना के जवानों से लेकर यात्रियों ने अपनी जान गंवाई. साल 2013 की केदारनाथ आपदा के दौरान भी रेस्क्यू करते हुए वायु सेना के एमआइ-17 हेलीकॉप्टर समेत तीन हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुए थे. इन दुर्घटनाओं में कुल 23 लोगों की मौत हुई. वहीं, केदारनाथ में हुई भारी तबाही के बाद 19 जून को केंद्र सरकार ने वायु सेना को वहां रेस्क्यू की जिम्मेदारी सौंपी. इसके बाद नौ दिनों तक वायु सेना ने केदारनाथ धाम की पहाड़ियों पर रेस्क्यू कर हजारों लोगों की जान बचाई. इस दौरान वायु सेना को भारी नुकसान भी झेलना पड़ा था.

 

एमआई-17 हुआ था क्रैश..

25 जून 2013 को वायु सेना का एमआई-17 हेलीकॉप्टर गौचर से गुप्तकाशी होते हुए आपदा में मारे गए लोगों के दाह-संस्कार के लिए लकड़ी लेकर केदारनाथ पहुंचा था. केदारनाथ में लकड़ी छोड़कर जब हेलीकॉप्टर वापस लौट रहा था तो अचानक मौसम खराब होने के कारण दोपहर करीब दो बजे हेलीकॉप्टर पहाड़ी से टकराकर क्रैश हो गया. इस हादसे की सूचना शाम साढ़े चार बजे मिल पाई और दुर्घटनाग्रस्त हेलीकॉप्टर को ढूंढने में भी दो दिन लगे. इस हेलीकॉप्टर में सवार सभी 20 लोग काल के गाल में समा गए थे. इनमें वायु सेना के दो पायलट समेत पांच क्रू-मेंबर, एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिवादन बल) के नौ सदस्य और आईटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) के छह सदस्य शामिल थे.

 

केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्य..

आपदा के कुछ समय बाद केदारनाथ में पुनर्निर्माण का कार्य शुरू किया गया. सबसे पहले चुनौती गौरीकुण्ड से केदारनाथ पैदल मार्ग को दुरूस्त करने की थी, जिसे 2014 में पूरा किया गया. इसके साथ ही बड़ी-बड़ी मशीनों को धाम में पहुंचाकर हेलीपैड, कॉटेज का निर्माण किया गया. इसके बाद वर्ष 2015 बॉयो टायलेट, मंदिर के पीछे वीआईपी हेलीपैड और सुरक्षा दीवार, मंदाकिनी नदी व सरस्वती नदी पर घाट निर्माण किया गया.

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

To Top