रुद्रपुर में आयोजित धार्मिक अनुष्ठान में उमड़ रहा सैलाब…
कथा श्रवण से मनुष्य को मिलता है मोक्ष: देवशाली
रुद्रपुर गांव में भुखण्ड भैरवनाथ ने की थी भगवान रुद्र की तपस्या
रुद्रप्रयाग। गुप्तकाशी क्षेत्र के ग्राम रुद्रपुर में इन दिनों गांव का माहौल भक्तिमय बना हुआ है। यहां आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में हर दिन सैकड़ों की भीड़ उमड़ रही है और भक्त जन कथा का श्रवण कर पुण्य अर्जित कर रहे हैं।
कथा के सातवें दिन आचार्य हर्षवर्द्धन देवशाली ने कंस वध की महिमा का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण भगवान रिश्ते से कंस के भांजे थे और उन्होंने ही अपने मामा का वध किया। असुर कंस को अपने बल पर बहुत घमंड था और वह जानता था कि उसकी मौत का कारण उसका भांजा बनेगा। ऐसे में उसने अपनी बहन के बच्चों को मारना शुरू किया, लेकिन श्रीकृष्ण के जन्म की उसे खबर तक नहीं लगी। उन्होंने भक्त जनों से कहा कि मनुष्य को अभिमान नहीं करना चाहिए। अभिमानी व्यक्ति कभी भी आगे नहीं बढ़ सकता है। उसके पतन का कारण वह स्वयं बन जाता है।
कहा कि श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से मोक्ष की प्राप्ति होती है। तीर्थ पुरोहित समाज के अध्यक्ष एवं पूर्व प्रधान विनोद शुक्ला ने बताया कि रुद्रपुर गांव का विशेष महत्व है। व्यासपीठ से तीर्थ पुरोहितों की उत्पत्ति फेगू गांव से हुई, जिनके मुख्य आराध्य भुखण्ड भैरव हैं। तीर्थ पुरोहित भुखण्ड भैरव के वंशज थे, जो तपस्या करके रुद्रतुल्य हो गये। गांव में भुखण्ड भैरवनाथ ने भगवान रुद्र की तपस्या की, इसलिए गांव का नाम रुद्रपुर पड़ा। तीर्थ पुरोहित केदारनाथ में श्रद्धाभाव से तीर्थ यात्रियों की व्यवस्था व सेवा करते हैं और अनादिकाल से तीर्थ पुरोहित रुद्रपुर गांव में निवास कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि गांव में जब भी कोई धार्मिक अनुष्ठान होता है तो धियाणियां एवं प्रवासी बाहरी शहरों से गांव में आते हैं। इन दिनों गांव में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया, जिसमें हर दिन सैकड़ों की संख्या में भक्तजन पहुंचकर पुण्य अर्जित कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि स्व0 देवी प्रसाद पुरोहित की पुण्य स्मृति में कथा का आयोजन किया गया है। इस मौके पर केदार सभा के पूर्व अध्यक्ष किशन बगवाड़ी, प्रवीन तिवारी, रमाकांत शर्मा, कैलाश जमलोकी, हेमंत कुर्माचली, सतीश देवशाली, विश्वनाथ शुक्ला, भैरव पश्वा शिव प्रसाद शुक्ला, मदन बगवाड़ी सहित सैकड़ों की संख्या में भक्त जन मौजूद थे।