उत्तराखंड

मातृभाषा को विदेश में स्थापित करने वाले डाॅ सेमवाल का सम्मान..

मातृभाषा को विदेश में स्थापित करने वाले डाॅ सेमवाल का सम्मान..

लोक भाषा को समर्पित कलश साहित्यिक संस्था की दसवीं वर्षगांठ..

कलश संस्था की चौथी स्मारिका का भी किया गया लोकार्पण..

कार्यक्रम में नवोदित कवियों ने अपनी कविताओं का मनवाया लोहा..

 

 

 

रुद्रप्रयाग। लोक भाषा को समर्पित कलश साहित्यिक संस्था की दसवीं वर्षगांठ पर मातृ भाषा को विदेश में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले डाॅ मनीष सेमवाल का नागरिक सम्मान किया गया। डाॅ मनीष वर्तमान में जकार्ता, इंडोनेशिया में भूगोल के सहायक प्रोफेसर हैं। इस अवसर पर कलश संस्था की चौथी स्मारिका का लोकार्पण भी किया गया। कार्यक्रम में गढ़वाली कविताओं के सशक्त हस्ताक्षर जगदम्बा चमोला, मुरली दीवान, सुधीर बत्र्वाल आदि के साथ ही नवोदित कवियों ने भी अपनी कविताओं का लोहा मनवाया।

मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए बतौर मुख्य अतिथि सुप्रीम कोर्ट के वकील एवं सामाजिक कार्यकर्ता संजय शर्मा दरमोड़ा ने कहा कि मातृभाषा आंदोलन को बड़े मंचों तक पहुंचाने में कलश संस्था ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने डाॅ मनीष सेमवाल को मातृभाषा आंदोलन को विदेश तक पहुंचाने में किए जा रहे सराहनीय कार्य के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। साथ ही कलश संस्था का भी आभार जताया कि इसके लिए उन्होंने डाॅ मनीष को सम्मानित किया। वहीं सम्मानित होने पर डाॅ मनीष सेमवाल ने कहा कि अपनों के बीच सम्मानित होना उनके लिए गौरवान्वित क्षण है।

 

उन्होंने कलश के मातृभाषा आंदोलन में हर प्रकार का सहयोग देने का आश्वासन दिया। विशिष्ट अतिथि नपं अध्यक्ष अरूणा बेंजवाल ने कहा कि कलश ने न केवल जाने माने गढ़वाली कवियों को मंच प्रदान किया बल्कि कई नवोदित कवियों को भी कविता लिखने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम के संयोजक कलश के संस्थापक ओमप्रकाश सेमवाल ने बताया कि कलश की पहली स्मारिका के संयोजक समाज सेवी सुन्दर सिंह भण्डारी थे और संपादक साहित्यकार अरविन्द नौटियाल थे। उसके बाद से फसालत लम्ब गौंडी निवासी डाॅ मनीष सेमवाल ने स्मारिका के संयोजक का दायित्व निभाया है। दीपक बेंजवाल के संपादन में यह स्मारिका मातृभाषा आंदोलन के लिए समर्पित है और गढ़वाली कुमाऊंनी भाषा में है।

 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ रंगकर्मी प्रेममोहन डोभाल ने नवादित कवियों को निरन्तर लेखन के लिए प्रेरित किया। कहा कि हर विधा में गढ़वाली में लिखा जाना चाहिए। कार्यक्रम को शिक्षक आशीष डंगवाल, चन्द्रशेखर बेंजवाल, आदि ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम के सह संयोजक सुधीर बत्र्वाल ने आगन्तुक अतिथियों का स्वागत एवं आभार व्यक्त किया। संचालन सह संयोजक कुसुम भट्ट ने किया। कार्यक्रम में नवोदित कवि सिमरन रावत ने दनका दनकि छै सबुतैं लगीं, प्रियंक रावत ने भाषा बचैण बोलि बचैण तथा वेदिका सेमवाल ने भैजि कु ब्यो कविता सुनाई। इस मौके पर जसपाल भारती, विमला राणा, अरुणा चैकियाल हेमंत चैकियाल, विपिन सेमवाल, विकास सेमवाल, सुरेन्द्र दत्त नौटियाल, माधुरी नेगी, विकास सेमवाल, मुकेश तिवारी, अश्विनी गौड़, मोनिका सिलोड़ी आदि रहे।

 

 

 

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