उत्तराखंड

आईटीआई के पुनः संचालन को लेकर आंदोलन दूसरे दिन भी जारी…

आईटीआई के पुनः संचालन को लेकर आंदोलन दूसरे दिन भी जारी...

आईटीआई के पुनः संचालन को लेकर आंदोलन दूसरे दिन भी जारी…

29 वर्षो से स्थापित आईटीआई को दो साल सरकार ने किया था बंद…

चिरबिटिया में आंदोलन कर रहे हैं ग्रामीण, पूर्व मंत्री ने आंदोलन को दिया समर्थन…

रुद्रप्रयाग। राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान चिरबटिया (आईटीआई) को पुनः संचालित करने की मांग को लेकर स्थानीय लोगों का क्रमिक अनशन दूसरे दिन भी जारी रहा। कहा कि यदि शीघ्र संस्थान का संचालन शुरू नहीं होता, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
रविवार को भी राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान संघर्ष समिति के बैनर तले चिरबिटिया में आईटीआई का संचालन फिर से शुरू करने को लेकर क्रमिक-अनशन जारी रहा।

 

क्रमिक-अनशन पर संघर्ष समिति के अध्यक्ष सैन सिंह मेहरा, जन विकास संस्थान चिरबिटिया के अध्यक्ष बैसाखी लाल, प्रधान लुठियाग दिनेश सिंह कैंतुरा, पूर्व प्रधान प्रेम सिंह, कमल सिंह दूसरे दिन भी बैठे रहे। इस अवसर पर आंदोलनकारियों ने कहा कि 29 वर्षों से स्थापित आईटीआई को वर्ष 2019 में सरकार ने बंद कर दिया, जबकि आईटीआई भवन निर्माण के लिए स्थानीय लोगों ने लुठियाग-चिरबिटिया में करीब 20 नाली जमीन भी दी। वर्तमान में किराए के भवन पर ही आईटीआई संचालित हो रहा था।

सरकार ने भवन न होने की बात कहकर आईटीआई को बंद कर दिया। ऐसे में युवाओं को व्यावसायिक शिक्षा के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि आईटीआई में पर्याप्त मशीनें और स्टॉफ मौजूद है। इस मौके पर प्रधान तयूंखर दर्शनी देवी पंवार, विक्रम पंवार, बीरेंद्र कंडवाल, अर्जुन मेहरा, गुमान सिंह कैंतुरा, प्रधान पालकुराली कमला देवी, प्रधान प्रतिनिधि रतन सिंह रावत, अमर सिंह कैंतुरा, उपाध्यक्ष ग्राम प्रधान तितराना वीरेन्द्र सिंह समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे।

 

वहीं कांग्रेसी नेता एवं पूर्व मंत्री मातबर सिंह कंडारी ने आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा कि वर्ष 1982 में ब्लॉक प्रमुख रहते हुए उन्होंने चिरबटिया आईटीआई की नीव रखी थी। आईटीआई बनाने का उद्देश्य नैलचामी पट्टी के साथ ही लस्या पट्टी के युवाओं को तकनीकी शिक्षा ग्रहण कराना था, ताकि वह प्रशिक्षण लेकर अपना स्वरोजगार कर सकें। यह जिले का दुर्भाग्य है, जहां अन्य जिलों में सरकार नए शिक्षण संस्थान खोल रही हैं। वहीं 29 साल बाद दो वर्ष से बंद चल रहा संस्थान शासन-प्रशासन व विधायक की उदासीनता को दर्शाता है।

 

सरकार द्वारा आईटीआई को बंद कराने से लाखों की मशीन जंक खाकर बर्बाद हो रही है। जिससे स्थानीय लोगों को मजबूर होकर आंदोलन के लिए बाध्य होना पड रहा है। कहा कि प्रदेश सरकार जहां हर गांव को डिजिटल बनाने की बात कर रही है, वहीं चिरबिटिया में बने आईटीआई को बंद कराकर युवाओं के साथ छलावा किया जा रहा है, जिसके लिए व्यापक स्तर पर लड़ाई लड़ी जाएगी।

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