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21 साल बाद इस मैदान में भारत से हारी दक्षिण अफ्रीकी टीम

21 साल बाद इस मैदान में भारत से हारी दक्षिण अफ्रीकी टीम..

भारत ने अफ्रीकी टीम के खराब फॉर्म का फायदा उठाया..

 

 

भारतीय टीम का अफ्रीका दौरा बॉक्सिंग डे टेस्ट के साथ शुरू हुआ। भारत के सामने दौरे से पहले कई चुनौतियां थीं, लेकिन इन सबको पीछे छोड़ते हुए भारत ने जीत हासिल की। भारत ने सेंचुरियन टेस्ट में दक्षिण अफ्रीका को 113 रन से हरा दिया।

 

देश-विदेश: भारतीय टीम का अफ्रीका दौरा बॉक्सिंग डे टेस्ट के साथ शुरू हुआ। भारत के सामने दौरे से पहले कई चुनौतियां थीं, लेकिन इन सबको पीछे छोड़ते हुए भारत ने जीत हासिल की। भारत ने सेंचुरियन टेस्ट में दक्षिण अफ्रीका को 113 रन से हरा दिया। इस मैदान पर अफ्रीका का रिकॉर्ड बेहद शानदार रहा है। इस टेस्ट से पहले तक अफ्रीकी टीम ने यहां 26 मैच खेले थे और सिर्फ दो मैच ही हारे थे।

आपको बता दे कि भारत ने ऑस्ट्रेलिया में गाबा का गुरूर तोड़ने के बाद अब टीम ने दक्षिण अफ्रीका में सेंचुरियन भी फतह कर ली है। इस साल की शुरुआत में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को ब्रिस्बेन के गाबा में हराया था। इस मैदान पर ऑस्ट्रेलिया 32 साल बाद हारी थी। वहीं, इसी साल भारतीय टीम ने ओवल के मैदान पर इंग्लैंड को हराया था। ओवल में इंग्लैंड की टीम 50 साल बाद हारी थी।

2000 में दक्षिण अफ्रीका हारा था पिछला मैच..

भारत से पहले सेंचुरियन के मैदान में सिर्फ ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की टीम ही अफ्रीका को हरा पाई थी। अफ्रीकी टीम यहां आखिरी मैच साल 2000 में हारी थी। इसके बाद हुए पांच मैचों में अफ्रीका ने तीन जीते थे, जबकि एक मैच ड्रॉ रहा। अब 21 साल बाद भारत ने दक्षिण अफ्रीका को हराकर दक्षिण अफ्रीका के अजेय रहने का सिलसिला तोड़ दिया है।

 

आज उन्हें भारत के हाथों हार का सामना करना पड़ा। भारतीय टीम यहां तीन मैच खेली है। इसमें से एक जीत है और दो में उसे हार का सामना करना पड़ा है। पहला मैच भारत 2010 में पारी और 25 रन से हारा था, जबकी 2018 में हुए दूसरे मैच में टीम इंडिया को 135 रन से हार झेलनी पड़ी थी।

सेंचुरियन में 80 फीसदी मैच जीता है अफ्रीका..

सेंचुरियन के मैदान में अफ्रीका का रिकॉर्ड बेहतरीन है और एक ही मैदान में सबसे ज्यादा टेस्ट जीतने के मामले में अफ्रीकी टीम दूसरे नंबर पर है। पाकिस्तान ने कराची में 43 में से 23 मैच जीते हैं और इस सूची में पहले नंबर पर है, लेकिन वहां पाकिस्तान का जीत प्रतिशत 53.49 का है, जबकि सेंचुरियन में अफ्रीका ने करीब 80 फीसदी मैच जीते हैं। वहीं इंग्लैंड ने क्राइस्टचर्च में 15 में से आठ और भारत ने मोहाली में 13 में से सात मैच जीते हैं। इंग्लैंड डरबन में 16 में से छह मैच जीता है।

 

वहीं, जीत और हार का प्रतिशत देखा जाए तो कराची में पाकिस्तान का जीत और हार का प्रतिशत 11.5 का है, जबकि सेंचुरियन में अफ्रीका का जीत और हार का प्रतिशत 10.5 का है। हालांकि, कराची में पाकिस्तान ने 43 में से 18 मैच ड्रॉ खेले हैं, लेकिन सेंचुरियन में अफ्रीका ने 26 में से सिर्फ तीन मैच ड्रॉ किए हैं। इन तमाम चुनौतियों के बावजूद भारत ने दक्षिण अफ्रीका जैसी मजबूत टीम को उसके घर में हराने में कामयाब रहा।

 

 

 

अफ्रीका की टीम अपने घर में पिछले नौ में से छह टेस्ट मैच हारी है। ऐसे में भारत ने इस टीम के खराब फॉर्म का फायदा उठाया और जीत हासिल की। अब टीम इंडिया चाहेगी कि अफ्रीका को हराकर पहली बार यहां टेस्ट सीरीज जीती जाए। अफ्रीकी टीम ने सेंचुरियन में 27 टेस्ट खेले हैं और 21 में जीत हासिल की है। इस दौरान सिर्फ तीन मैचों में उसे हार का सामना करना पड़ा है। साल 2000 में अफ्रीका और इंग्लैंड ने अपनी पहली पारी बिना कोई गेंद खेले घोषित कर दी थी। इसके बाद दूसरी पारी में इंग्लैंड ने दो विकेट से जीत हासिल की थी। यह आखिरी मौका था, जब अफ्रीका इस मैदान में हारा था।

भारत ने 113 रन से जीता मैच..

भारतीय टीम ने पहली पारी में 327 रन बनाए थे। वहीं, दक्षिण अफ्रीका की टीम पहली पारी में 197 रन बना सकी। इस तरह भारत को दूसरी पारी में 130 रनों की बढ़त मिली। दूसरी पारी में भारत ने 174 रन बनाए। इस लिहाज से टीम इंडिया की कुल बढ़त 304 रन की हुई और दक्षिण अफ्रीका के सामने 305 रनों का लक्ष्य रखा। जवाब में दक्षिण अफ्रीका की टीम 191 पर सिमट गई।

गाबा में तोड़ा ऑस्ट्रेलियाई टीम का घमंड..

गाबा के मैदान में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को तीन विकेट से हराकर उसका घमंड चूर-चूर किया था। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया इस मैदान में 1988 में हारा था, जब वेस्टइंडीज ने उसे मात दी थी। इसके बाद से ऑस्ट्रेलिया ने हर टीम को गाबा के मैदान में हराया था। 1988 के बाद ऑस्ट्रेलिया ने इस मैदान में 31 टेस्टे खेले थे और 24 में जीत हासिल की थी, जबकि सात मैच ड्रॉ हुए थे। इसके बाद भारत की कमजोर टीम ने ही ऑस्ट्रेलिया को हराया था, जिसमें विराट, बुमराह, शमी और अश्विन जैसे दिग्गज खिलाड़ी नहीं थे।

 

 

 

 

 

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