वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम के लिए बनाये जाएंगे प्रशिक्षण केंद्र-मुख्यमंत्री रावत..
उत्तराखंड: मानव वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया जाए जंगल पर लोगों की निर्भरता को कम करने के लिए ग्रामीणों को एलपीजी देने के अलावा उन्हें रोजगार से भी जोड़ने के प्रयास किये जाए। जंगल के किनारे रहने वाले पशुपालकों के पशुओं का बीमा कराया जाए। बीमे की 25 प्रतिशत प्रीमियम पशुपालक व शेष उनकी संस्था जमा करेगी।मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मानव वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम के लिए प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने की घोषणा की है। सीएम का कहना है कि यह देश का पहला प्रशिक्षण संस्थान होगा और मानव वन्यजीव संघर्ष के बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए प्रदेश को इसकी खासी जरूरत है।
सीएम आवास में सीड्स और हनीवेल सेफ स्कूल योजना के तहत आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा प्रबंधन मंत्रालय का अलग से गठन करने वाला भी उत्तराखंड देश का पहला राज्य है। सीएम के मुताबिक राज्य के आपदा की दृष्टि से संवेदनशील होने के कारण स्कूलों में छात्रों एवं शिक्षकों को प्राकृतिक आपदा से बचाव की जानकारी दिया जाना समय की जरूरत है। स्कूलों में शिक्षा के अनुकूल माहौल से छात्रों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने के साथ ही उनके मानसिक विकास में मदद मिलती है। सीएम ने कोरोना वायरस का जिक्र करते हुए कहा कि इस वैश्विक महामारी का हम सतर्कता बरतने के साथ ही सामना करने में सफल हो पाए।
दुनिया के अनेक सुविधा संपन्न देशों के मुकाबले हम इससे अपना बचाव कर पाए हैं। कार्यक्रम में चार विकास खंडों के 15 स्कूलों का रूपांतरण किए जाने के बाद इन स्कूलों को शिक्षा विभाग को सौंपा गया। कार्यक्रम में डॉ मनु गुप्ता, वीरेंद्र मिश्रा, अनीता चौहान, मुकुल सती, डीआईजी एसडीआरएफ रिद्धिम अग्रवाल आदि मौजूद रहे।