उत्तराखंड

पूर्व मंत्री डा हरक सिंह रावत के भविष्य पर संशय..

पूर्व मंत्री डा हरक सिंह रावत के भविष्य पर संशय..

हरक का लोकसभा चुनाव का दावा भी पड़ा कमजोर..

 

 

 

 

 

विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में वापसी करने में सफल रहे पूर्व मंत्री डा हरक सिंह रावत अपनी साख नहीं बचा पाए। वे चुनाव तो नहीं लड़े, लेकिन लैंसडौन सीट पर अपनी पुत्रवधू अनुकृति को टिकट दिलाने में कामयाब रहे थे। अब अनुकृति की हार के बाद हरक कांग्रेस में हाशिये पर जा सकते हैं।

 

उत्तराखंड: विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में वापसी करने में सफल रहे पूर्व मंत्री डा हरक सिंह रावत अपनी साख नहीं बचा पाए। वे चुनाव तो नहीं लड़े, लेकिन लैंसडौन सीट पर अपनी पुत्रवधू अनुकृति को टिकट दिलाने में कामयाब रहे थे। अब अनुकृति की हार के बाद हरक कांग्रेस में हाशिये पर जा सकते हैं। साथ ही उनका लोकसभा चुनाव का दावा भी कमजोर पड़ा है। इसे देखते हुए अब सबकी नजर हरक के अगले कदम पर टिक गई है।

वर्ष 2016 के राजनीतिक घटनाक्रम के बाद हरक सिंह रावत भी कांग्रेस के उन नौ विधायकों में शामिल थे, जो पाला बदल कर भाजपा में शामिल हो गए थे। तब दिए गए सहयोग के लिए वर्ष 2017 में भाजपा की सरकार बनने पर पार्टी ने उन्हें मंत्री बनाया। इसके बाद वह अपने बड़बोलेपन के कारण अक्सर सुर्खियों में रहे। पिछले वर्ष सरकार में हुए नेतृत्व परिवर्तन के दौरान वह रूठ गए थे, लेकिन फिर राष्ट्रीय नेतृत्व ने उन्हें मना लिया था। इसके बावजूद भाजपा में दबाव की राजनीति को लेकर वह निरंतर चर्चा के केंद्र में रहे।

विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हरक तब चर्चा में आये, जब कोटद्वार मेडिकल कालेज की मांग को लेकर वह कैबिनेट की बैठक छोड़कर चले गए थे। इसके बाद जिस तरह से दबाव बनाकर उन्होंने इस कालेज की मांग और इसके लिए बजट स्वीकृत कराया, वह किसी से छिपा नहीं है। यही नहीं, इस दौरान उनकी कांग्रेस में वापसी की चर्चा भी होती रही थी। इससे पार्टी लगातार असहज नजर आई।

इस बीच जब विधानसभा चुनाव की घोषणा हुई तो हरक ने दो टिकट की मांग रख दी। तब वह भाजपा कोर ग्रुप की बैठक में भी शामिल नहीं हुए। इस पर पार्टी ने 17 जनवरी को हरक को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने के साथ ही उन्हें भाजपा से बाहर का रास्ता दिखा दिया। तब हरक को यह उम्मीद कतई नहीं थी कि पार्टी उनके मामले में इतना सख्त निर्णय लेगी।

बाद में लंबी जिद्दोजहद के बाद हरक ने स्वयं की कांग्रेस में वापसी कराने में सफलता पाई। इसके बाद हरक ने स्वयं के लिए तो नहीं, लेकिन अपनी पुत्रवधू अनुकृति के लिए लैंसडौन से टिकट मांगा। ऐेसे में हरक की प्रतिष्ठा लैंसडौन सीट से जुड़ी हुई थी। कांग्रेस में शामिल होने पर यह माना जा रहा था कि वर्ष 2024 में पार्टी उन्हें लोकसभा चुनाव में अवसर देगी, लेकिन बदली परिस्थितियों में इसकी संभावना क्षीण पड़ी है।

 

 

 

 

 

 

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