उत्तराखंड की 416 सड़कों पर गाड़ी चलाना मना है, पढ़िए पूरी खबर..
उत्तराखंड: प्रदेश की 416 सड़कें लंबे समय से तैयार हैं, लेकिन इन पर परिवहन विभाग ने वाहन चलाने की अनुमति अभी तक नहीं दी है। लिहाजा इन सड़कों पर बस और मैक्सी कैब इत्यादि चलाने की इजाजत नहीं है। जोखिम लेकर कोई यात्री या कमर्शियल वाहन चलाता है तो दुर्घटना होने की स्थिति में न तो मुआवजा मिलेगा और न ही बीमा आदि का भुगतान। इसका खामियाजा समूचे राज्य में लोगों को भुगतना पड़ रहा है। परिवहन विभाग और निर्माण एजेंसियों के बीच फंसी इन सड़कों पर सुरक्षा के पूरे इंतजाम भी नहीं हैं।
पौड़ी में 778 सड़कें वाहनों के संचालन के लिए स्वीकृत हैं। जबकि 42 सड़क करीब साल भर से लटकी हुई हैं। इनमें 24 सड़कों का एक बार परिवहन महकमे ने संयुक्त निरीक्षण भी कर दिया। इन सड़कों पर पाई गई खामियों को दूर करने के लिए लोनिवि को कहा गया है। धुमाकोट क्षेत्र की मजेंडाबैंड-जडाऊखांद सड़क 20 किलोमीटर लंबी है। किनाथ से जडाऊखांद तक करीब 11 किलोमीटर सड़क स्वीकृत नहीं हो पाई। इस कारण इस सड़क पर बस नहीं चलती और परेशानी होती है। रुद्रप्रयाग में भी 59 सड़कें यात्री और कमर्शियल वाहनों के संचालन के लिए एक से लेकर पांच साल से मंजूरी की राह देख रही हैं। वर्तमान में केवल 63 सड़कें ही वाहनों संचालन को स्वीकृत हैं।
वही टिहरी की अगर बात करे तो टिहरी में कमर्शियल वाहनों के लिए संचालन के लिए 188 सड़कें मंजूर हैं। 20 महत्वपूर्ण सड़कों के प्रस्ताव पिछले करीब दो साल से लटके हुए हैं। साथ ही पिथौरागढ़ में कमर्शियल वाहन, बस, टैक्सी, मैक्सी आदि के संचालन के लिए परिवहन विभाग से 372 सड़क स्वीकृत हैं। जबकि 52 और नए रूट के लिए आवेदन आ चुके हैं। प्रस्ताव पिछले आठ महीने से परिवहन विभाग और निर्माण एजेंसियों के बीच ही अधर में लटके हैं। बागेश्वर में भी इस वक्त 149 सड़कें परिवहन विभाग की मंजूरी का इंतजार कर रही हैं। एक से दो साल से इनके प्रस्ताव लटके हुए हैं। इस मार्ग पर जागरूकता बोर्ड भी नहीं के बराबर लगे हैं।
चंपावत में भी 25 सड़कों को परिवहन विभाग से पिछले छह महीने से मंजूरी नहीं मिली। वर्तमान में जिले में सार्वजनिक यात्री और मालवाहक वाहनों के लिए 87 सड़कें ही स्वीकृत हैं। 109 निर्माणाधीन सड़कों को डामरीकरण की प्रकिया जारी रहने के कारण अभी हरी झंडी नहीं मिली है। वही नैनीताल में इस वक्त आठ महत्वपूर्ण सड़कों के प्रस्ताव अक्तूबर 2021 से लटके हुए हैं। जिले में इस वक्त वाहनों के संचालन के लिए 294 रूट मंजूर हैं।
जिन सड़कों को वाहन संचालन के लिए अनुमति नहीं मिलती, परिवहन विभाग उन पर सुरक्षा इंतजामात शुरू नहीं करता। सड़क के किनारे क्रश बैरियर, यातायात सुरक्षा और जागरूकता से जुड़े साइन बोड़र् आदि भी नहीं लगाए जाते। अवैध मार्गों पर हादसा होने पर वाहन मालिक को बीमा क्लेम का लाभ नहीं मिल पाता। बहरहाल परिवहन विभाग और निर्माण एजेंसियों के बीच फंसी इन 416 सड़कों पर कमर्शियल वाहनों की आवाजाही नहीं हो पा रही, जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है।