डॉ विजय लक्ष्मी पोस्ती ने बढ़ाया केदारघाटी का मान..
पिता और स्व. माता को समर्पित की अपनी डिग्री…
केंद्रीय विवि बनने के बाद गढ़वाल विवि का पहला दीक्षांत समारोह..
पादप कर्थिकी विषय में हिप्पोफी सेल्सिफो नामक पदार्थ पर कर रहे थे शोध…
उत्तराखंड : केंद्रीय विवि बनने के बाद गढ़वाल विवि का पहला दीक्षांत समारोह आज आयोजित हुआ। जिसमें उपाधियों का वितरण कुलाधिपति (चांसलर) पूर्व आईएएस योगेंद्र नारायण के हाथों हुआ। समारोह में पीजी, एमफिल व पीएचडी उपाधियों का वितरण किया गया।
गढ़वाल विवि में 13 वर्ष बाद दीक्षांत समारोह आयोजित हुआ। वर्ष 2005 में गढ़वाल विवि मे दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया था, जिसमें तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने शिरकत की थी। केंद्रीय विवि बनने के बाद गढ़वाल विवि में पहली बार दीक्षांत समारोह का आयोजन हुआ।
डॉ पोस्ती ने बढ़ाया केदारघाटी का मान..
डॉ विजय लक्ष्मी मूलतः केदारघाटी के किमाणा गांव से है और हाल में लंमगौण्डी गांव (ससुराल पक्ष ) की निवासी हैं, और वर्तमान में गढ़वाल विवि के पौड़ी वनस्पति विज्ञान डिपार्टमेंट में कार्यरत है, आज केंद्रीय विवि दीक्षांत समारोह में डॉ विजय लक्ष्मी ने पीएचडी डिग्री प्राप्त की, उन्होंने अपनी डिग्री अपने पिता श्री दीन दयाल त्रिवेदी और अपनी स्व माता दीपा त्रिवेदी के नाम समर्पित की, डॉ विजय लष्मी की प्रारंभिक शिक्षा जाख धार नवोदय स्कूल से हुई, b.sc की पढ़ाई केंद्रीय विवि श्रीनगर से और M.sc GBPUAT पंतनगर से हुई, विजय लक्ष्मी ने तीन बार CSIR – Net की परीक्षा को उत्तीण की है..
डॉ विजय लक्ष्मी पादप कर्थिकी विषय में हिप्पोफी सेल्सिफो नामक पदार्थ पर शोध कर रहे थे आमतौर पर इस पदार्थ को ामेश या चुक कहा जाता है यह बहुत उपयोगी पदार्थों की श्रेणी में आता है इसके फलो से प्रचुर मात्रा में विटामिन C,A,E,K प्राप्त होता है साथ ही यह पौधा एंटी ऑक्साइड का भंडार है, और इसको कई औषधीय पद्धतियों में भी इसका प्रयोग किया जाता है ,पर्यावरण में यह पौधा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है यह मृदा में नाइट्रोजन फिक्स करने के साथ साथ मृदा अपरदन भी रोकता है इस प्रजाति के पौधो में नर और मादा पुष्प अलग अलग पौधो में लगते है, इस वजह से संभावना रहती है की दोनों लिंगो के पौधे अलग अलग प्रकार से कार्य करते होंगे.. डॉ विजय लक्ष्मी ने अपने शोध कार्य द्वारा इन्ही विभिन्न अन्तरो को नर और मादा पौधो में पता करने की कोशिश की है ..
विजय लक्ष्मी गढ़वाल विश्वविद्यालय में अपनी इस शोध से सिर्फ अपना नही बल्कि पूरे केदार घाटी और समस्त तीर्थ पुरोहित समाज का मान बढ़ाया हैं, युवाओं का शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ते कदम केदारघाटी के लिए एक सुखद खबर है