उत्तराखंड

केदारघाटी के चोराबाड़ी क्षेत्र में फिर हुआ हिमस्खलन

केदारघाटी के चोराबाड़ी क्षेत्र में फिर हुआ हिमस्खलन..

एक सप्ताह में दूसरी घटना आई सामने..

 

 

 

 

 

 

सुबह 8:56 बजे केदारनाथ के चोराबाड़ी इलाके में हिमस्खलन हुआ। एक हफ्ते में यह दूसरी बार है जब हिमस्खलन सामने आया है। इससे पहले 8 जून को केदारनाथ के चोराबाड़ी ग्लेशियर जोन में हिमस्खलन हुआ था।

 

 

 

 

 

उत्तराखंड: सुबह 8:56 बजे केदारनाथ के चोराबाड़ी इलाके में हिमस्खलन हुआ। एक हफ्ते में यह दूसरी बार है जब हिमस्खलन सामने आया है। इससे पहले 8 जून को केदारनाथ के चोराबाड़ी ग्लेशियर जोन में हिमस्खलन हुआ था। इससे काफी देर तक बर्फ का गुबार उठता रहा। इस दौरान केदारनाथ धाम में मौजूद कई श्रद्धालुओं ने इस घटना को अपने मोबाइल में कैद किया था।

इसी रास्ते से जून 2013 की आपदा में भी भारी मात्रा में मलबा और पानी आया था। पिछले 10 महीनों में हिमस्खलन की पांच घटनाएं हो चुकी हैं। पिछले साल सितंबर और अक्टूबर में इसी क्षेत्र में हिमस्खलन हुआ था। इस दौरान पांच से सात मिनट के लिए क्षेत्र में बर्फ का गुबार उठा। जिस तरह से बर्फ का गुबार तेजी से नीचे की तरफ खिसक रहा था, उससे अनुमान लगाया गया कि काफी ऊंचाई से भारी मात्रा में नई बर्फ टूटकर गिरी है।

इस दौरान केदारनाथ मंदिर, मंदिर परिसर और गोल चबूतरे में मौजूद श्रद्धालुओं ने इस घटना को अपने मोबाइल में कैद किया। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार का कहना हैं कि हिमस्खलन से केदारनाथ मंदिर समेत केदारपुरी के किसी भी प्रकार से कोई नुकसान नहीं पहुंचा हैं। यह घटना मंदिर परिसर से करीब छह किमी दूर हुई है। उनका कहना हैं कि कपाट खुलने के बाद से केदारनाथ क्षेत्र में बर्फबारी के चलते एवलांच की घटना हुई है, जो सामान्य प्रक्रिया है। दूसरी ओर देहरादून में वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मनीष मेहता का कहना हैं कि हिमालय क्षेत्र में हिमस्खलन सामान्य घटना है।

बीते साल तीन बार हुआ था हिमस्खलन..

आपको बता दे कि 22 सितंबर को शाम साढ़े चार बजे केदारनाथ मंदिर से लगभग तीन से चार किमी पीछे पहाड़ी से आंशिक हिमस्खलन हुआ है। इसके बाद एक अक्तूबर को शाम साढ़े पांच बजे के आसपास मंदिर से छह से सात किमी पीछे फिर से आंशिक हिमस्खलन हुआ है। इसके बाद दो अक्तूबर को भी चोराबाड़ी ताल से लगभग तीन किमी ऊपर हिमस्खलन हुआ था।

 

 

 

 

 

 

 

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