प्रदीप सती
सोशल मीडिया। अभी-अभी खबर मिली है कि गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने की मांग को लेकर चार दिन से आमरण अनशन पर बैठे चार आंदोलनकारियों रामकृष्ण तिवारी, महेश चंद्र पांडे, विनोद जुगलान और प्रवीण सिंह को प्रशासन ने जबरन उठा कर श्रीनगर बेस अस्पताल में भर्ती करा दिया है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक आज सुबह लगभग चार बजे प्रशासन के लोग अनशन स्थल पहुंचे और आंदोलनकारियों को उठा ले गए।
अनशनकारियों जिनमे कि एक 72 वर्षीय बुजुर्ग हैं को पहले गैरसैंण अस्पताल ले जाया गया जहां उचित सुविधाएं उपलब्ध न होने पर प्रशासन के लोग उन्हें श्रीनगर ले कर गए। आशंका जताई जा रही है कि चारों अनशनकारियों को गिरफ्तारी के बाद जेल भेजा जा सकता है। प्रशासन की इस कार्रवाही के विरोध में गैरसैंण में लोग आक्रोशित हैं।
गैरसैंण में विधानसभा सत्र के नाम पर हुए दो दिन के छलावे के बाद यह बात सिद्ध हो चुकी है कि स्थाई राजधानी के मद्दे पर भाजपा और कांग्रेस दोनो की मंशा एक है. और मंशा है- जनभावना के प्रतीक गैरसैंण के साथ हर साल छल करते रहना, धीरे-धीरे राजधानी के मसले को नेपथ्य में धकेल देना और जन-मानस के दिल दिमाग से मिटा देना. पहले कांग्रेस और अब भाजपा की सरकार ने भराड़ीसैंण में सत्र के नाम पर प्रपंच रचा और मेहनतकश जनता की गाढ़ी कमाई के करोड़ों रुपये अपने एशो-आराम पर फूंक दिए.
आने वाले वर्षों में भी यह अय्याशी यूं ही चलती रहेगी और एक दिन ये लंपट कांग्रेसी-भाजपाई गैरसैंण को हाशिए से भी बाहर कर देंगे. ये दोनो दल अपनी इस पहाड़ विरोधी साजिश में कामयाब हो जाएं इससे पहले इनके पाखंड को उजागर करना जरूरी है. इसके लिए उन तमाम जनसरोकरी, आंदोलनकारी और पर्वतीय प्रदेश की खुशहाली की कामना करने वाले लोगों और संगठनों को एकजुट होना होगा. गैरसैंण पर आर-पार की लड़ाई लड़ने और जीतने के लिए एक बड़े जनांदोलन का मार्ग प्रशस्थ करना होगा. रस्मी विलाप के बजाय प्रदेश की जनता के बीच जाकर जन-जागरण करना होगा.
उत्तराखंड आंदोलन की तरह बड़ी और निर्णायक लड़ाई लड़नी होगी. यदि इस बार भी हम इस छल को बर्दाश्त कर गए तो ही पहाड़ी प्रदेश की अवधारणा का अवसान तय है. पृथक राज्य की लड़ाई क्या इसी दिन के लिए लड़ी गई थी?
अब समय आ गया है कि गैरसैंण को उत्तराखंड की स्थाई राजधानी बनाने के लिए ‘लड़ेंगे और जीतेंगे’ के संकल्प के साथ जनांदोलन छेड़ा जाए..!